नई दिल्लीः एक चौंकाने वाली खोज में, वैज्ञानिकों ने पानी की एक अनोखी चौथी अवस्था की पहचान की है, जिसे "प्लास्टिक आइस VII" (Plastic Ice VII) कहा जा रहा है। यह खोज विज्ञान जगत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और चरम परिस्थितियों में पानी के व्यवहार को समझने के नए द्वार खोल सकती है।

रिपब्लिक वर्ल्ड के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने उच्च-स्तरीय उपकरणों की मदद से 6 गीगापास्कल (GPa) तक के दबाव और 327°C (620°F) तक के तापमान में पानी को रखकर इस नई अवस्था का निर्माण किया। यह खोज वैज्ञानिकों की 17 साल पुरानी उस भविष्यवाणी की पुष्टि करती है, जिसमें कहा गया था कि आइस VII में हाइड्रोजन परमाणु उच्च तापमान और दबाव में सूक्ष्म स्तर पर घूमते हैं।

प्लास्टिक आइस VII के अनोखे गुण

इस नए रूप को "प्लास्टिक" इसलिए कहा गया क्योंकि इसमें तरल पानी और ठोस बर्फ दोनों के गुण मौजूद हैं। इस अवस्था में हाइड्रोजन परमाणु कुछ हद तक अव्यवस्थित होते हैं, जिससे इसका आणविक घूमने का तरीका पारंपरिक बर्फ से अलग हो जाता है। इस खोज में क्वासी-इलास्टिक न्यूट्रॉन स्कैटरिंग (QENS) तकनीक का उपयोग किया गया, जो हाइड्रोजन जैसे सूक्ष्म कणों की गतिविधियों को ट्रैक करने में मदद करता है।

इस खोज के दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं, खासकर हमारे सौरमंडल और उससे बाहर स्थित बर्फीले ग्रहों और चंद्रमाओं के अध्ययन में। वैज्ञानिकों का मानना है कि नेपच्यून, यूरेनस और बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा जैसे खगोलीय पिंडों पर कभी प्लास्टिक आइस VII मौजूद हो सकती थी। इससे इन ग्रहों के भूगर्भीय परिवर्तनों और आंतरिक संरचनाओं को समझने में मदद मिल सकती है।

प्लास्टिक आइस VII की खोज का महत्व

यह खोज केवल पानी के चरम स्थितियों में व्यवहार को समझने तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्रह विज्ञान (Planetary Science) के लिए भी नए रास्ते खोलती है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस नए रूप के अध्ययन से अन्य ग्रहों पर पानी की विभिन्न अवस्थाओं की संभावनाओं का भी पता चल सकता है, जिससे हमारे ब्रह्मांड को समझने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया जा सकता है।