पाकिस्तान से जुड़े हैकर ग्रुप भारत सरकार और सैन्य संस्थाओं को कर रहे टारगेट, चुनाव के दौरान भी हो रहे साइबर हमले

हैकर समूह कई प्रोग्रामिंग भाषाओं और लोकप्रिय वेब सर्विसों का दुरुपयोग कर भारत को निशाना बना रहे हैं। \r\n

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Pakistan related hacker group targeting Indian govt military institutions cyber attacks happening even during loksabha elections 2024

प्रतिकात्मक फोटो (फोटो- IANS)

नई दिल्ली: पाकिस्तान स्थित हैकर समूह ट्रांसपेरेंट ट्राइब कथित तौर पर भारत सरकार और सैन्य संस्थाओं को निशाना बना रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, हैकरों का यह समूह पाइथन, गोलांग और रस्ट जैसी प्रोग्रामिंग भाषाओं का उपयोग कर सरकार और संस्थानों को टारगेट कर रहे हैं।

यही नहीं यह ग्रुप टेलीग्राम, डिस्कॉर्ड, स्लैक और गूगल ड्राइव जैसे कुछ लोकप्रिय वेब सर्विसों का भी दुरुपयोग कर रहे हैं।

हैकरों के साइबर अटैक से जुड़े अभियानों की बात तब सामने आई जब देश में लोकसभा चुनाव चल रहा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले साल के अंत से लेकर अप्रैल 2024 तक भारत सरकार और सैन्य संस्थाओं को निशाना बनाया जा रहा है और यह आगे भी जारी रह सकता है।

यह रिपोर्ट ब्लैकबेरी रिसर्च एंड इंटेलिजेंस टीम द्वारा प्रकाशित की गई है जिसमें यह खुलासे हुए हैं।

अन्य रिपोर्ट में और क्या खुलासा हुआ है

वैश्विक साइबर सुरक्षा प्रदान करने वाला प्रोवाइडर क्विक हील टेक्नोलॉजीज लिमिटेड की उद्यम शाखा सेक्राइट के एक अलग शोध में एक अन्य पाकिस्तानी ग्रुप का खुलासा हुआ है जो भारत सरकार को टारगेट कर रही है।

स्टडी में साइड कॉपी ग्रुप का जिक्र किया गया है जो तीन अलग-अलग अभियानों के जरिए भारत सरकार पर अटैक कर रही है।

कौन है ट्रांसपेरेंट ट्राइब

ट्रांसपेरेंट ट्राइब हैकरों का एक ग्रुप है जिसके लिंक पाकिस्तान से जुड़े हुए हैं। इसे हैकरों की दुनिया में एपीटी36, प्रोजेक्टएम, मिथिक लेपर्ड या अर्थ करकड्डन के नाम से भी जाना जाता है।

यह ग्रुप काफी पुराना है और साल 2013 से सक्रिय है। इससे पहले ट्रांसपेरेंट ट्राइब ने भारत के शिक्षा और रक्षा क्षेत्रों को अटैक किया था। ग्रुप ने स्पैम जिप फाइल या लिंक वाले फिशिंग ईमेलों के जरिए भारत में अटैक किया था।

पाकिस्तान के संबंध के लिए मिले हैं आधार

हाल में हुए शोध में ब्लैकबेरी रिसर्च एंड इंटेलिजेंस की टीम ने यह खुलासा किया है कि ट्रांसपेरेंट ट्राइब कई तरह के दुर्भावनापूर्ण टूल को इस्तेमाल कर रहा है, जिसमें कुछ पुराने और नए टूल भी शामिल हैं।

स्टडी में एक स्पीयर-फ़िशिंग ईमेल के भीतर एम्बेडेड पाकिस्तानी-आधारित मोबाइल डेटा नेटवर्क ऑपरेटर से जुड़े एक दूरस्थ आईपी पते की भी खोज की गई। स्टडी में एक फाइल के लोकेशन का भी पता लगाया है जिसका टाइम जोन "एशिया/कराची" पर सेट किया हुआ था।

टीम ने यह भी खुलासा किया है कि अक्टूबर 2023 में ट्रांसपेरेंट ट्राइब ने अटैक के लिए एक नया तरीका खोजा था और वे लोग आएसओ फोटो का इस्तेमाल कर अटैक को अंजाम देते थे।

स्टडी में टीम ने यह भी पाया कि यह ग्रुप "ऑल-इन-वन" जासूसी टूल का भी इस्तेमाल कर रहा था जो हर काम कर सकता है। यह टूल गोलंग के साथ कंपाइल होकर किसी भी फाइल को खोजने से लेकर उसे चुराने का भी काम करता है। यही नहीं यह टूल स्क्रीनशॉट लेने से लेकर फोटो और फाइल अपलोड भी करने में सक्षम है।

2023 में हर दिन भारतीयों कंपनियों पर हुए इतने हमले

केवल भारत सरकार और सैन्य संस्थाओं को ही नहीं बल्कि भारतीय कंपनियों पर भी साइबर अटैक हुआ है। साइबर अपराधियों की ओर से 2023 में भारतीय कंपनियों पर औसत नौ हजार साइबर हमले प्रतिदिन किए गए हैं।

सोमवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में ये खुलासा किया गया। साइबर सिक्योरिटी कंपनी कैस्परस्काई के मुताबिक, 2023 में भारतीय कंपनियों पर करीब 30 लाख से ज्यादा हमले साइबर अपराधियों की ओर से जनवरी से दिसंबर के बीच में किए गए हैं। इसमें 2022 में तुलना में 47 प्रतिशत की बढ़त देखी गई है।

साइबर हमलों पर कैस्परस्काई के जनरल मैनेजर ने क्या कहा

कैस्परस्काई के भारत के जनरल मैनेजर जयदीप सिंह ने कहा कि सरकार स्थानीय डिजिटल अर्थव्यवस्था और इंफ्रास्ट्रक्चर पर काफी फोकस कर रही है। ऑनलाइन हमलों को देखते हुए भारतीय कंपनियों को साइबर सिक्योरिटी को प्रमुखता से लेना होगा।

आगे कहा कि अगर कंपनियां साइबर सिक्योरिटी को प्राथमिकता में लेने में विफल रहती हैं तो वे डिजिटलीकरण का फायदा पूरी तरह से नहीं उठा पाएंगी। अब सक्रिय कदम उठाने और संभावित साइबर खतरों से बचाव का समय आ गया है।

समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ

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