जब कभी भी आप यात्रा के लिए भारतीय रेलवे ट्रेनों का इस्तेमाल किया होगा या फिर आप किसी स्टेशन पर रुके होंगे तो आप ने यह महसूस किया होगा कि वहां से आपको दुर्गंध आई होगी।
आजकल भारतीय रेलवे की ट्रेनें और उसके स्टेशनों से बदबू आना कोई नई बात नहीं है और इससे न केवल यात्री बल्कि रेलवे भी इससे परेशान हो गया है।
ऐसे में ट्रेन और स्टेशनों को बदबू से दूर करने के लिए नई तकनीकों और समाधानों की खोज की जा रही है। इसी कड़ी में हाल में एक बैठक हुई है जिसमें रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया है और रेल मदद एप के जरिए इस तरह की शिकायतों पर चर्चा की है।
यह समस्या काफी गंभीर है जिसके समाधान के लिए रेलवे नई तकनीक की मदद ले रही है। इस तकनीक में नए रसायनों और ट्रेन और स्टेशनों पर पानी की सप्लाई को मार्डन लुक दिए जाने की कोशिश की जा रही है।
क्या है यह नई तकनीक
ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह बताया है कि पिछले कुछ महीनों में रेल मदद एप के जरिए उन्हें कई शिकायतें देखने को मिली है जिसमें बदबूदार ट्रेनों और स्टेशन परिसरों का जिक्र किया गया है।
अधिकारी का हवाला देते हुए रिपोर्ट में यह कहा गया है कि “रेल मदद एप में आने वाली दुर्गंध के संबंध में बड़ी संख्या में शिकायतों को संबोधित करने के लिए, रेलवे बोर्ड ने दुर्गंध डिटेक्टरों के लिए नई IoT आधारित तकनीक का परीक्षण करने की सिफारिश की है।”
रेलवे बोर्ड ने इस समस्या के समाधान के लिए IoT-आधारित तकनीक विशेष रूप से दुर्गंध डिटेक्टरों का परीक्षण करने का सुझाव दिया है। ऐसे में इस परियोजना के लिए मशहूर मुंबई स्थित स्टार्टअप विलिसो टेक्नोलॉजीज को चुना गया है।
यह तकनीक कितना असरदार है इसके लिए और ऑनबोर्ड हाउसकीपिंग सेवाओं की निगरानी के लिए चुनिंदा कोच जैसे एलएचबी और आईसीएफ डिजाइन को पहले चेक किया जाएगा। यही नहीं नई वंदे भारत स्लीपर वैरिएंट वाली ट्रेनों की पहली एसी श्रेणी की कारों में गंध रहित शौचालय और गर्म पानी के शॉवर भी लगाए जाएंगे।
ट्रेन और स्टेशनों पर बैक्टीरिया से ऐसे निपटा जाएगा
रेलवे बोर्ड ट्रेन्स, प्लेटफार्म्स और कार्यालयों में गंध पैदा करने वाले बैक्टीरिया को लेकर भी काफी चिंतित है और इससे निपटने के लिए बोर्ड डिंपल केमिकल्स एंड सर्विसेज के सफाई उत्पाद क्लोनन कॉन्संट्रेट के इस्तेमाल पर भी विचार कर रही है। यही नहीं भारतीय रेलवे यात्री सुविधा में सुधार के लिए ट्रेनों में पानी की व्यवस्था में सुधार करने पर भी विचार कर रहा है।
सेंटर फॉर एडवांस्ड मेंटेनेंस टेक्नोलॉजी (CAMTECH) की एक रिपोर्ट में एनरूट कोच वॉटरिंग सिस्टम के मानकीकरण पर भी जोर दिया गया है और कहा गया है कि ट्रेन के कोच में पानी भरने के दौरान कर्मचारियों द्वारा जो रास्तों का इस्तेमाल होता है, वह सही नहीं है और इस अपर्याप्त बुनियादी ढांचे पर ध्यान देने की जरूरत है।
यही नहीं रिपोर्ट में यात्रियों की अधिक संख्या के कारण ट्रेनों में पानी की बढ़ती खपत पर भी प्रकाश डाला गया है और जनशक्ति और समय की आवश्यकताओं का मूल्यांकन करने के लिए परीक्षण करने की भी सिफारिश की गई है।