नई दिल्ली: नेशनल स्पेस डे को मौके पर इसरो ने भारत के भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रम की तैयारी को लेकर कई बड़े ऐलान किये। इसमें 2035 तक भारत का अपना भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) और 2040 तक चंद्रमा पर सुरक्षित लैंडिंग के बाद वापसी मिशन सहित कई और योजनाएं शामिल हैं। इससे पहले इसरो ने शुक्रवार को बताया था कि भारत अपले 15 साल में 100 से ज्यादा सैटेलाइट लॉन्च करने वाला है। यह देश की अर्थ-ऑब्जर्वेशन डेटा और सेटेलाइट आधारित संचार और नेविगेशन के लिए होगा।
बहरहाल, राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर दिल्ली में एक कार्यक्रम में इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा, 'प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) के दृष्टिकोण के आधार पर हम चंद्रयान-4 और शुक्र ऑर्बिटर मिशन शुरू करने जा रहे हैं। 2028 तक हम बीएएस का पहला मॉड्यूल लॉन्च कर देंगे, जो 2035 तक पूरी तरह से शुरू हो जाएगा।' उन्होंने आगे कहा कि नेक्स्ट जेनरेशन लॉन्चर (एनजीएल) पर काम को भी मंजूरी मिल गई है।
उन्होंने आगे कहा, '2040 तक, भारत न केवल चंद्रमा पर उतरेगा, बल्कि नमूने भी सुरक्षित रूप से वापस लाएगा। उस समय, हमारा अंतरिक्ष कार्यक्रम दुनिया की किसी भी अग्रणी अंतरिक्ष एजेंसी के बराबर होगा।'
'पीएम मोदी ने दिया था ISS का आइडिया'
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) मिशन की सफलता का जिक्र करते हुए, इसरो प्रमुख ने कहा कि भारत अपने 'गगनयात्री' को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन भेजने में कामयाब रहा और इस उपलब्धि के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि भारत के अपने रॉकेट से किसी शख्स को अंतरिक्ष में भेजने से पहले अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर एक 'गगनयात्री' भेजने का विचार प्रधानमंत्री मोदी का ही था।
उन्होंने कहा, 'एक बड़ी उपलब्धि हमारे एक 'गगनयात्री' को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन भेजना है। इसके लिए भी प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहिए। यह उनका ही विचार था कि अपने रॉकेट से किसी 'गगनयात्री' को अंतरिक्ष में भेजने से पहले, हमें उनमें से एक को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन भेजना चाहिए। उनकी दूरदर्शिता के कारण आज यह बड़ी सफलता मिली... शुक्ला जी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन गए और सुरक्षित वापस आ गए... उनके तीन सहयोगियों को भुलाया नहीं जा सकता। चार लोग हैं, चार 'गगनयात्री'। मैं कहता था कि चारों लोग हमारे लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। आखिरकार, केवल एक व्यक्ति को यह अवसर मिला।'
पीएम मोदी ने क्या कहा?
इस अवसर पर वैज्ञानिकों और छात्रों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत की उपलब्धियों ने उसे वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण में एक अलग स्थान दिलाया है। उन्होंने कहा, 'अंतरिक्ष क्षेत्र में एक के बाद एक नई उपलब्धियाँ हासिल करना भारत और भारतीय वैज्ञानिकों का स्वभाव बन गया है। सिर्फ दो साल पहले, भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुँचने वाला पहला देश बनकर इतिहास रचा था। हम चाँद और मंगल पर पहुँच चुके हैं, और अब हमें गहरे अंतरिक्ष में झाँकना है।'
प्रधानमंत्री ने हाल ही में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के साथ अपनी मुलाकात का भी जिक्र किया, जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर तिरंगा लगाया था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'जब उन्होंने मुझे तिरंगा दिखाया, वह क्षण शब्दों से परे है। उनमें मैंने नए भारत के युवाओं का असीम साहस और अनंत सपने देखे। इन सपनों को आगे बढ़ाने के लिए, हम भारत का अपना अंतरिक्ष यात्री समूह तैयार कर रहे हैं, और मैं युवा मित्रों को इसमें शामिल होने और भारत की आकांक्षाओं को पंख देने के लिए आमंत्रित करता हूँ।'
बता दें कि राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस हर साल 23 अगस्त को मनाया जाता है। इसका लक्ष्य भारत की ऐतिहासिक अंतरिक्ष उपलब्धियों का जश्न मनाना और लोगों को इसके लिए जागरूक करना है।