बेंगलुरुः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में पीएसएलवी-सी60/स्पैडेक्स मिशन के तहत उपग्रहों की दूसरी डॉकिंग पूरी कर ली है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस बारे में एक्स पर पोस्ट कर जानकारी दी।
मंत्री ने आगे बताया कि "जैसा कि पहसे बताया गया था PSLV-C60/स्पैडेक्स मिशन को 30 दिसंबर 2024 को लांच किया गया था। उसके बाद उपग्रहों को पहली बार 16 जनवरी 2025 को सुबह छह बजकर 25 मिनट पर सफलतापूर्वक डॉक किया गया और 13 मार्च 2025 को सुबह नौ बजकर 20 मिनट पर सफलतापूर्वक अनडॉक किया गया। अगले दो हफ्तों में आगे के प्रयोगों की योजना बनाई गई है।"
#ISRO SPADEX Update:
— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) April 21, 2025
Glad to inform that the second docking of satellites has been accomplished successfully.
As informed earlier, the PSLV-C60 / SPADEX mission was successfully launched on 30 December 2024. Thereafter the satellites were successfully docked for the first time…
30 दिसंबर को लांच किया गया था मिशन
इस मिशन को बीते साल 30 दिसंबर को लांच किया गया था। तब इसरो ने अंतरिक्ष में डॉकिंग प्रयोग का प्रदर्शन करने के लिए दो उपग्रहों SDX01 और SDX02 को कक्षा में स्थापित किया था।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने एक बयान में कहा था कि उसने 13 मार्च को सुबह नौ बजकर 20 मिनट पर पहले ही प्रयास में स्पैडेक्स उपग्रहों को अनडॉक करने का काम पूरा कर लिया था।
इस बयान में आगे कहा गया कि उपग्रहों की अनडॉकिंग 460 किमी की गोलाकार कक्षा में 45 डिग्री झुकाव के साथ हुई। उपग्रह स्वतंत्र रूप से परिक्रमा कर रहे थे और उनकी स्थिति सामान्य है।
इसके साथ ही इसरो ने वृ्त्ताकार कक्षा में मिलन, डॉकिंग और अनडॉकिंग कार्यों के लिए आवश्यक सभी क्षमताओं का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया।
इसरो चेयरमैन ने क्या कहा?
समाचार एजेंसी एएनआई ने इसरो चेयरमैन डॉ. वी नारायणन के हवाले से लिखा "16 जनवरी को हमने बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की, हमने दोनों उपग्रहों को एकसाथ सफलातपूर्वक डॉक किया और यह एक ही पिंड के रूप में घूम रहा था। फिर हम इसे अलग करना चाहते थे। अनडॉकिंग प्रक्रिया, इसके लिए हमने बहुत सारे अध्ययन और विश्लेषण किए और हमने एक सिम्युलेटर बनाया और 120 सिमुलेशन किए, क्योंकि कोई गलती नहीं होनी चाहिए। 13 मार्च को सुबह नौ बजकर 20 मिनट पर पहले प्रयास में ही हम अनडॉकिंग प्रक्रिया में सफल रहे। "
इसरो अध्यक्ष से जब भारत के मानव मिशन के भविष्य के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वे किसी भी छोटी सी असफलता से सीखते हैं। उन्होंने आगे कहा "हम अपनी और दूसरों की छोटी-छोटी असफलताओं से सबक लेते हैं। यह एक बहुत ही जटिल तकनीक है जिससे कि हम सीखते हैं। जो भी बाधाएं हैं, हम उनका ध्यान रख रहे हैं और हम जिस तरह के प्रयास कर रहे हैं, उस पर हमें पूरा भरोसा है। भारतीय वैज्ञानिकों का समर्पण कुछ और ही है।"