ISRO ने गगनयान मिशन से पहले किया हवाई परीक्षण, दिसंबर में लांच होगा मिशन

इसरो को दिसंबर में लांच होने वाले गगनयान मिशन से पहले बड़ी सफलता मिली है। इस मिशन में भारतीय वायु सेना, भारतीय नौसेना, डीआरडीओ , भारतीय तटरक्षक बल भी शामिल हुआ।

isro air drop test before launching of gaganyan mission in december

गगनयान मिशन से पहले इसरो को मिली बड़ी सफलता Photograph: (एक्स (https://x.com/isro/status/1959528237484376542/photo/2))

इसरो ने अपने पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं। इसरो ने अपने महत्वकांक्षी गगनयान मिशन के लिए डिजाइन किए गए पैराशूट आधारित मंदन प्रणाली का पहला एकीकृत एयर ड्रॉप टेस्ट (IADT-01) सफलतापूर्वक आयोजित कर लिया है।

इसरो का यह परीक्षण सुरक्षा तंत्र को प्रमाणित करने का एक महत्वपूर्ण चरण है जिससे अंतरिक्ष यात्रियों की पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी सुनिश्चित हो सकेगी। 

इस परीक्षण में इसरो के साथ भारतीय वायु सेना, भारतीय नौसेना, डीआरडीओ, भारतीय तटरक्षक बल शामिल हुए। यह गगनयान मिशन में सहयोगात्मक भूमिका को दर्शाता है। 

पैराशूट प्रणाली वायुमंडल में पुनः प्रवेश करने के बाद क्रू मॉड्यूल की रक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। परीक्षण के दौरान एक मॉक मॉड्यूल को विमान से छोड़ा गया और नव विकसित पैराशूट असेंबली के मार्गदर्शन में सुरक्षित रूप से नीचे उतारा गया जिससे इसकी कार्यक्षमता सफलतापूर्वक सिद्ध हुई। 

इसरो अधिकारियों ने क्या कहा?

इसरो के अधिकारियों ने इस मिशन के बारे में कहा कि इसका उद्देश्य पैराशूट प्रणाली का मूल्यांकन करना था और लैंडिंग से पहले सुरक्षित रूप से अवमंदन सुनिश्चित करना है। अधिकारियों के मुताबिक, यह एक महत्वपूर्ण क्षमता प्रदर्शन है जो इसरो को अधिक आत्मविश्वास देता है क्योंकि हम चालक दल की उड़ान के करीब पहुंच रहे हैं। 

गगनयान मिशन इसी साल दिसंबर में लांच होना है। पृथ्वी की निचली कक्षा में मानव अभियान के परीक्षण में भारत का यह पहला प्रयास होगा।

2028 में प्रक्षेपित होने वाला यह मानवयुक्त मिशन, भारत को स्वतंत्र चालक दल के साथ अंतरिक्ष उड़ान क्षमता प्राप्त करने वाला चौथा देश बना देगा।

इस मिशन को तीन सदस्यीय चालक दल को लगभग 400 किलोमीटर की कक्षा में तीन दिनों तक ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसके बाद वे सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर लौट आएंगे।

अधिकारियों ने ज़ोर देकर कहा कि यह सफल परीक्षण अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा के मानकों को मज़बूत करता है, जो इस कार्यक्रम की सबसे प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है।

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