पहले एक दौर था जब भारत जैसे देश में कंप्यूटर साइंस की डिग्री के लिए युवाओं में काफी होड़ थी लेकिन हाल के दिनों में इसके ट्रेंड में कमी आई है। एनालिटिक्स इंडिया मैगजीन ने मेनलो वेंचर्स के डीडी दास के हवाले से बताया कि साल 2021 में कंप्यूटर साइंस की डिग्री का काफी क्रेज था और भारी संख्या में युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन रहे थे लेकिन साल 2024 में इसका ग्राफ नीचे जाता दिख रहा है।
दास के मुताबिक, पिछले कई सालों के मुकाबले इस साल सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की नौकरियों में 40 फीसदी की गिरावट देखी गई है।
जानकारों की अगर माने तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। उनके अनुसार, हाल के दिनों में कंपनियों ने अपनी हायरिंग पॉलिसी में भी कई बदलाव किए हैं साथ ही जिस तरीके से दिन पर दिन एआई का यूज बढ़ रहा है, उससे सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की डिमांड कम होती दिख रही है।
क्या हो सकते हैं कारण
रिपोर्ट में डीडी दास ने बताया कि कैसे दुनिया की बड़ी-बड़ी टेक कंपनियां अपने यहां से कर्मचारियों को निकाल रही है और इसका सीधा असर टेक टीम पर पड़ रहा है। इससे सबसे अधिक आईटी कर्मचारियों की ही नौकरियां जा रही है।
मौजूदा वक्त की बात करें तो गूगल ने कंपनी में काम कर रहें पाइथन प्रोग्रामरों को निकाला है ताकि वह कुछ कम सैलेरी वाले प्रोग्रामारों की आउटसोर्सिंग कर सके।
दास के मुताबिक, स्टार्टअप जो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की भारी संख्या में नौकरी देती है, वे अब कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले एक्सपर्टों की तलाश कर रही है। स्टार्टअप नए ग्रेजुएट को नौकरी देने के पक्ष में नहीं होती है क्योंकि इन्हें ट्रेनिंग देने में काफी खर्चा होता है।
दास ने बताया कि हाल के दिनों में स्टार्टअपों की हायरिंग में बदलाव देखे गएं है और वे एआई की जानकारी रखने वाले नए ग्रेजुएट को अपने यहां नौकरियां दे रही हैं।
एआई का क्या है रोल
हाल के दिनों में बाजार में कई एआई टूलों के आ जाने से प्रोग्रामरों की डिमांड में कमी आई है और सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को अपने लिए नौकरी पाने में काफी समस्या हो रही है।
ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि एआई की मदद से पहले के मुकाबले अब आसानी से प्रोग्रामर बना जा सकता है। एआई जिस तरीके से हर किसी के पास आसानी से पहुंच गई उससे अब हर कोई इसकी मदद से सॉफ्टवेयर में कुछ करना चाहता है और प्रोग्रामर बनना चाहता है।
क्या कहना है एक्सपर्टों का
सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की नौकरियों में आ रही कमी पर बोलते हुए डीडी दास ने बताया कि अभी ट्रेंड में आ रही कमी के चलते इंजीनियर किसी अन्य जॉब में स्विच कर जाएंगे और जैसे ही यह नौकरियां फिर से बूम पर होगी वे वापस आ जाएंगे।
कुछ और एक्सपर्ट जैसे इसहाक हसन ने डेवलपरों को केवल कंप्यूटर साइंस की डिग्री लेने से मना कर रहे हैं और इसके साथ ये उन्हें जीव विज्ञान और रसायन विज्ञान की भी जानकारी और डिग्री लेने का सुझाव दे रहे हैं। उनके अनुसार, आने वाले दिनों में इन सब की जानकारी रखने वालों की अच्छी मांग बढ़ने वाली है।
एआई कितने लोगों की नौकरियां ले सकता है इसे लेकर मेटा एआई के प्रमुख यान लेकन ने बहुत पहले एक ट्वीट किया था और कहा था इसका असर पड़ने में 15 से 20 साल लग सकते हैं।
उनके अनुसार, एआई के चलते हाल में बड़े पैमाने पर नौकरियां नहीं जा सकती है। कई और एक्सपर्ट की अगर माने तो आने वाले सालों में एआई के चलते नौकरियों में बढ़ोतरी हो सकती है।
आने वाले सालों में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की बढ़ेगी नौकरियां-फ्रेंकोइस चॉलेट
भविष्य में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरियों में इजाफे की संभावना पर बोलते हुए केरास के निर्माता फ्रेंकोइस चॉलेट ने कहा है कि आने वाले पांच सालों में सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की नौकरियां में बढ़ोतरी होगी।
चॉलेट के मुताबिक, अभी सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की अनुमानित संख्या 26 मिलियन (2.6 करोड़) है जो आने वाले पांच सालों में 30 से 35 मिलियन (3 से 3.5 करोड़) तक होने की संभावना है।