भारतीय मल्टीनेशनल कंपनी इंफोसिस और कॉग्निजैंट सोल्युशंस के बीच कानूनी लड़ाई एक बार फिर से तेज हो गई है। इंफोसिस ने अमेरिका के टेक्सास स्थित डलास जिले में एक नया मामला दर्ज कराया है। इंफोसिस द्वारा दर्ज कराए गए इस मामले में कॉग्निजैंट के खिलाफ उसके सॉफ्टवेयर के माध्यम से प्रतिस्पर्धा को दबाने का आरोप लगाया गया है। इसके साथ ही हेल्थकेयर सॉफ्टवेयर बाजार में अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए अपनी एकाधिकार शक्ति का लाभ उठाने का भी आरोप लगाया गया है।

इकॉनामिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इंफोसिस ने कॉग्ननिजैंट के खिलाफ प्रतिस्पर्धा विरोधी प्रथाओं में लिप्त रहने का आरोप लगाया है। कंपनी का आरोप है कि कॉग्निजैंट ने उत्पादन कम करके प्रतिस्पर्धी कंपनियों को बाजार में प्रवेश रोककर ग्राहकों से अधिक कीमत वसूली है।

इंफोसिस द्वारा इस संबंध में दाखिल किए गए दस्तावेज में आरोप लगाया गया है कि कॉग्निजैंट कंपनी ने प्रतिबंधात्मक गैर-प्रकटीकरण समझौतों यानी एनडीएए का इस्तेमाल किया। इसके साथ ही कॉग्निजैंट पर अपने सॉफ्टवेयर उत्पादों QNXT और फेसेट्स पर प्रशिक्षण रोक दिया। इंफोसिस द्वारा यह भी आरोप लगाया गया है कि उसके कर्मचारियों को हेलिक्स के विकास में बाधा डालने के लिए भी बेईमानी व्यवहार करवाया गया। 

कंपनी द्वारा जमा की गई 35 पन्नों के दस्वावेज के मुताबिक, कॉग्निजैंट पर यह भी आरोप लगाया गया है कि उसने बाजार में अपने प्रभुत्व को बरकरार रखने के लिए बहिष्कार की रणनीति अपनाई। इंफोसिस ने अदालत से यह भी दरख्वास्त की है कि वह कॉग्निजैंट के इस मामले को खत्म करने की मांग खारिज करे। 

कब से शुरू हुआ मामला? 

दोनों ही कंपनियों के बीच कानूनी विवाद साल 2024 से शुरू हुआ था जब कॉग्निजैंट ने इंफोसिस पर ट्राइजेटो सॉफ्टवेयर से व्यापार रहस्य चुराने का आरोप लगाया था। इसके जवाब में इंफोसिस ने साल 2025 में जवाब देते हुए कॉग्निजैंट की प्रतिस्पर्धा विरोधी रणनीति अपनाने का आरोप लगाया था। 

हालांकि कॉग्निजैंट ने इंफोसिस के इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि इंफोसिस ने बौद्धिक संपदा का दुरुपयोग किया था।