नई दिल्ली: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने शनिवार को एक बड़ी सफलता हासिल की। डीआरडीओ ने एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (IADWS) का ओडिशा के तट पर सफलतापूर्वक पहला उड़ान परीक्षण किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को एक ट्वीट के जरिए जानकारी दी कि यह परीक्षण 23 अगस्त 2025 को करीब दोपहर 12:30 बजे किया गया।

राजनाथ सिंह ने इस सफलता के लिए डीआरडीओ, भारतीय सशस्त्र बलों और रक्षा उद्योग को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस अद्वितीय उड़ान परीक्षण ने देश की बहु-स्तरीय वायु रक्षा क्षमता को स्थापित किया है, जो महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों के लिए दुश्मन के हवाई खतरों के खिलाफ क्षेत्र की रक्षा को मजबूत करेगा।

एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित है। इसमें क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल, एडवांस्ड वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम मिसाइलें और हाई पावर लेजर-आधारित डायरेक्टेड एनर्जी वेपन शामिल हैं।

क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (QRSAM): यह त्वरित प्रतिक्रिया वाली सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जो कम दूरी के हवाई लक्ष्यों को मार गिराने में सक्षम है।

उन्नत अति लघु दूरी वायु रक्षा प्रणाली (VSHORADS): यह बेहद कम दूरी के हवाई खतरों, जैसे कि हेलीकॉप्टर और यूएवी (ड्रोन), से रक्षा के लिए डिज़ाइन की गई है।

हाई-पावर लेजर-आधारित गाइडेड एनर्जी वेपन (DEW): यह एक शक्तिशाली निर्देशित ऊर्जा हथियार है जो सटीक लेजर बीम का उपयोग करके हवाई लक्ष्यों को नष्ट कर सकता है। इन तीनों का संयोजन इसे अनोखा और रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण बनाता है।

भारत वर्तमान में कौन-सी वायु रक्षा प्रणाली इस्तेमाल करता है?

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारत की वायु रक्षा प्रणालियों ने अपनी ताकत दिखाते हुए कई ड्रोन, मिसाइलें, माइक्रो-यूएवी और लूटेरिंग म्यूनिशन को प्रभावी ढंग से रोक दिया। पाकिस्तान के साथ बढ़े तनाव के बीच यह क्षमता न सिर्फ विश्वसनीय साबित हुई, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारत की रक्षा शक्ति को रेखांकित किया।

भारत के पास वर्तमान में मौजूद प्रमुख वायु रक्षा प्रणालियाँ:

S-400 वायु रक्षा प्रणाली

आकाश वायु रक्षा प्रणाली (Akash Air Defence System)

SPYDER वायु रक्षा प्रणाली

बराक-8 एमके-एसएएम (Barak-8 MK-SAM)

इगला-एस (Igla-S)

9K33 ओसा ए.के. (Osa AK)

2K12 कुब (Kub)

QRSAM (क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल)

इससे पहले डीआरडीओ ने अत्याधुनिक मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल ‘अग्नि-5’ का सफल परीक्षण किया था। यह परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से, स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड की देखरेख में किया गया। परीक्षण के दौरान इसकी मार्गदर्शन प्रणाली, प्रणोदन, चरण विभाजन और अंतिम सटीकता की भी पुष्टि हुई। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इससे यह साबित होता है कि भारत की सामरिक सेनाएँ कम तैयारी समय में भी मिसाइल लॉन्च करने में सक्षम हैं।

अग्नि-5 की प्रमुख विशेषताएँ

अग्नि-5 मध्यम दूरी की एक बैलिस्टिक मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता 5,000 किलोमीटर से अधिक है। यह आधुनिक नेविगेशन, मार्गदर्शन और पुनः प्रवेश प्रणाली से लैस है। परमाणु और पारंपरिक दोनों तरह के वारहेड ले जाने में भी सक्षम है।