नई दिल्ली: हाल में हुए एक सर्वे में यह खुलासा हुआ है कि पिछले तीन सालों में 47 फीसदी भारतीयों को वित्तीय धोखाधड़ी का सामना करना पड़ा है। इन वित्तीय धोखाधड़ियों में सबसे ज्यादा क्रेडिट कार्ड और यूपीआई के जरिए धोखाधड़ी की गई है और ये सर्वे के लिस्ट में टॉप पर हैं।

सर्वे में 302 जिलों के 23 हजार लोगों ने हिस्सा लिया था जिसमें से 62 फीसदी पुरुष थे और 38 प्रतिशत महिलाएं थीं। लोकलसर्कल्स के एक हालिया सर्वे में शामिल होने वाले लगभग आधे लोगों ने यह कहा है कि उनके क्रेडिट कार्ड पर घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय व्यापारियों ने अनऑथराइज्ड चार्ज लगाया है।

क्रेडिट कार्ड और यूपीआई लेनदेन में हुए है इतने फ्रॉड

इस सर्वे में शामिल होने वाले लोगों में से 43 फीसदी लोगों ने उनके साथ क्रेडिट कार्ड के लेनदेन के दौरान धोखाधड़ी होने की बात कही है। यही नहीं यूपीआई लेनदेन के जरिए भी धोखाधड़ी में भी अच्छा इजाफा देखा गया है। सर्वे में शामिल 36 फीसदी लोगों ने यूपीआई लेनदेन के समय फ्रॉड होने के बात कही है।

इस वित्त वर्ष में इन मामलों में हुई है तेजी से वृद्धि

भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, वित्त वर्ष 24 में धोखाधड़ी के मामलों में 166 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इन धोखाधड़ी के मामलों में 36 हजार केस दर्ज किए गए हैं जिसमें 13,930 करोड़ रुपए का फ्रॉड हुआ है।

हालांकि इस वित्त वर्ष में धोखाधड़ी के मामलों में इजाफा तो हुआ है लेकिन पिछले साल के मुकाबले फ्रॉड के रकम में कमी देखी गई है। यह रकम 2023 का लगभग आधा है।

ज्यादातर भारतीय धोखाधड़ी की नहीं करते हैं रिपोर्ट

सर्वे में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि हर 10 में से छह भारतीय उनके साथ होने वाली वित्तीय धोखाधड़ी को वो रिपोर्ट नहीं करते हैं। यही नहीं सर्वे में डेटा की सुरक्षा को लेकर भी लोगों ने चिंताएं जताई है।

डेटा की सुरक्षा पर भी है लोगों की चिंता

लोगों का कहना है कि उनका डेटा इंटरनेट और डार्क वेब जैसी जगहों पर बिक्री के लिए आसानी से उपलब्ध है जिससे बहुत ही आासानी से किसी को भी टारगेट किया जा सकता है। कई अंतरराष्ट्रीय वेबसाइट और एप पर लेनदेन के लिए बैंक ओटीपी की भी जरूरत नहीं पड़ती है जिससे उनके साथ फ्रॉड होने का खतरा बना रहता है।

डॉट ने 392 हैंडसेटों को किया ब्लॉक

दूरसंचार विभाग (डॉट) ने देश के टेलीकॉम ऑपरेटरों को 392 हैंडसेट को ब्लॉक करने और इन हैंडसेट से जुड़े 31,740 मोबाइल कनेक्शनों को फिस से रि-वेरिफाई करने का आदेश दिया है।

स्कैमरों द्वारा इन हैंडसेट और मोबाइल कनेक्शनों के जरिए लोगों को निशाना बनाने और उनके साथ धोखाधड़ी करने के आरोप लगे हैं। स्कैमर लोगों को एसएमएस और व्हाट्सएप मैसेज भेजकर उन्हें बिजली बिल से जुड़े फेक केवाईसी करने को कहते हैं और इस फिर उनके साथ स्कैम करते हैं।

ऐसे पकड़े गए हैं स्कैमर

डॉट के चक्षु पोर्टल पर एआई विश्लेषण ने धोखाधड़ी वाली इन गतिविधियों की पहचान की है जिसके बाद यह कदम उठाया गया है। अगर मोबाइल कनेक्शन रि-वेरिफाई प्रक्रिया के दौरान फेल हो जाते हैं तो इन पर भी एक्शन लिया जाएगा। डॉट द्वारा इन मोबाइल नंबरों को बंद करने का निर्देश दिया जाएगा।