नई दिल्ली: मोबाइल से होने वाले साइबर अपराधों पर नकेल कसने के लिए सरकार बड़ी तैयारी कर रही है। इसके तहत टेलीकॉम कंपनियां करीब 18 लाख मोबाइल कनेक्शन को बंद करने की योजना बना रही है।
ये वो कनेक्शन हैं जिन्हें साइबर अपराध और ऑनलाइन धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने अपने विस्तृत जांच में यह पाया कि मौजूदा दौर में अवैध गतिविधियों के लिए मोबाइल कनेक्शन का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा है।
ऐसे में इस दुरुपयोग को रोकने के लिए सरकार यह अहम कदम उठाने जा रही है। अधिकारियों ने अपने विस्तृत जांच में यह पाया कि कई मामलों में केवल एक फोन और हजारों मोबाइल कनेक्शन की मदद से लाखों के साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी की गई है।
इससे पहले नौ मई को दूरसंचार विभाग (DoT) ने टेलीकॉम ऑपरेटरों से 28,220 मोबाइल हैंडसेट को बंद करने को कहा था। यही नहीं इन हैंडसेट से जुड़े 20 लाख से भी अधिक मोबाइल कनेक्शनों को फिर से सत्यापित करने को कहा था।
केवल 10 फीसदी ही पास कर पा रहे वेरिफिकेशन
अधिकारियों के अनुसार, साइबर अपराध में शामिल जिन मोबाइल कनेक्शनों का वेरिफिकेशन हो रहा है उन में से केवल 10 फीसदी ही ऐसे कनेक्शन हैं जिनका टेलीकॉम कंपनियां द्वारा सही से और पूरा वेरिफिकेशन हो पा रहा है।
बाकी सभी कनेक्शन री-वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को फेल कर जा रहे हैं। ऐसे में री-वेरिफिकेशन के फेल होने के 15 दिन बाद इन कनेक्शनों को टेलीकॉम कंपनियां बंद कर दे रही है।
क्या कहते हैं आंकड़ें
पिछले कई सालों में भारत में बढ़ रहे साइबर अपराधों में भारी उछाल देखा गया है। ऐसे में इन अपराधों में मोबाइल का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है। मोबाइल आधारित साइबर अपराधों में इजाफा के कारण सरकार को यह कदम उठाना पड़ रहा है और मोबाइल हैंडसेट के साथ मोबाइल कनेक्शनों पर एक्शन लिया जा रहा है।
राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) के अनुसार, साल 2023 में डिजिटल वित्तीय धोखाधड़ी के कारण इससे पीड़ित लोगों का ₹10,319 करोड़ का नुकसान हुआ है। यही नहीं इस दौरान करीब 694 हजार शिकायतें दर्ज कराई गई है।
साइबर अपराधी कैसे करते हैं हैंडसेट और सिम कार्ड का इस्तेमाल
अधिकारियों ने अपने विस्तृत जांच में यह पाया कि साइबर अपराधी अलग-अलग टेलीकॉम सर्कल के सिम को खरीदते हैं और वे काफी जल्दी-जल्दी मोबाइल हैंडसेट और सिम कार्ड को बदलते हैं।
अधिकारियों ने पाया कि कैसे असम और ओडिशा के टेलीकॉम सर्कल वाले सिम कार्ड को दिल्ली एनसीआर में इस्तेमाल किया जाता है। वे मोबाइल हैंडसेट और सिम कार्ड को इसलिए जल्दी-जल्दी बदलते हैं ताकि वे सरकार और जांच एजेंसियों की रडार में न आ सकें।
जांच में यह भी पता चला है कि साइबर अपराधी केवल एक सिम कार्ड से कई कॉल करते हैं और फिर सिम कार्ड को बंद कर देते हैं ताकि वे पकड़े न जाएं। ऐसा इसलिए क्योंकि एक ही नंबर से ज्यादा क़ल करने पर वे सरकार और टेलीकॉम कंपनियां के नजर में भी आ सकते हैं।
सरकार ने लिया है यह एक्शन
शुरुआती जांच के तहत पिछले साल साइबर अपराध में शामिल होने के कारण टेलीकॉम कंपनियां ने दो लाख सिम कार्ड को बंद कर दिया था। यही नहीं सरकार ने साइबर अपराध के गढ़ कहे जाने वाले हरियाणा के मेवात को लेकर भी जांच शुरू की गई थी और इस दौरान 37 हजार सिम कार्ड को बंद किया गया था।
टेलीकॉम कंपनियों को सरकार ने क्या कहा
सरकार का मानना है कि देश भर में बढ़ रहे साइबर अपराध से निपटने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को सामने आना होगा। सरकार का कहना है कि इन कंपनियों को सिम कार्ड के इस्तेमाल से संबंधित संदिग्ध गतिविधियों का पता लगान के लिए सतर्क रहने की जरूरत है।
यही नहीं किस पैटर्न में एक सिम कार्ड इस्तेमाल हो रहा है, इसके लिए एक सिस्टम होना भी जरूरी है।