Table of Contents
नई दिल्ली: गूगल एंड्रॉइड स्मार्टफोन की चोरी से सुरक्षा के लिए नए फीचर जारी करता रहता है। इसी क्रम में कंपनी ने एक नया बायोमेट्रिक आधारित फीचर 'आइडेंटिटि चेक (Identity Check)' पेश किया है। यह फीचर स्मार्टफोन चोरी हो जाने पर इसके मालिक की प्राइवेसी और डेटा को सुरक्षित रखने में मदद करेगा।
Google ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा, 'गलत हाथों में चोरी हुआ उपकरण संवेदनशील डेटा को उजागर कर सकता है। पहचान की चोरी, वित्तीय धोखाधड़ी और गोपनीयता के उल्लंघन आदि मामले आपके लिए संवेदनशील हो सकते हैं।' यूजर्स की इन्हीं चिताओं के बीच गूगल ने नया फीचर लॉन्च किया है।
पिक्सल और सैमसंग गैलेक्सी डिवाइसों पर उपलब्ध
फिलहाल नए फीचर को एंड्रॉइड 15 चलाने वाले पिक्सेल स्मार्टफोन और सैमसंग गैलेक्सी डिवाइसों के लिए रोल आउट किया गया है। इस फीचर की बदौलत बड़ी मदद मिल सकती है। चोरी करने वाले भले ही फोन को अनलॉक कर लें या पासवर्ड से छेड़छाड़ करें, फिर भी वे स्मार्टफोन पर डिजिटल खातों तक पहुंचने में सफल नहीं होंगे।
दरअसल, डिवाइस जब ट्रस्टेड लोकेशन से बाहर होगा यानी ऐसी जगह जहां आमतौर पर इसके यूजर लेकर नहीं जाते, ऐसी स्थिति में यूजर्स को इन फोन पर कुछ खातों और डिवाइस सेटिंग्स तक पहुंचने के लिए बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन की जरूरत होगी। यूजर्स फोन में ट्रस्टेड लोकेशन की लिस्ट भी जोड़ सकते हैं, जैसे घर, दोस्त या ऑफिस का पता आदि।
यह सुविधा केवल क्लास 3 बायोमेट्रिक्स वाले स्मार्टफोन पर उपलब्ध होगी, जिसे पहले "स्ट्रॉन्ग बायोमेट्रिक्स" के रूप में जाना जाता था। ये डिवाइस 72 घंटों के बाद ही प्राइमरी ऑथेंटिकेशन जैसे पिन, पासकोड या पैटर्न पर वापस आते हैं। बता दें कि इन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट सेंसर (अल्ट्रासोनिक या ऑप्टिकल) या 3डी फेस रिकग्निशन वाले डिवाइस को क्लास 3 बायोमेट्रिक डिवाइस माना जाता है।
पिन कोड भी नहीं बदला जा सकेगा
आइडेंटिटि चेक यह भी सुनिश्चित करती है कि कोई चोर बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन के बिना पिन कोड नहीं बदल सकता। साथ ही वह फाइंड माइ डिवाइस (Find My Device) या थेप्ट प्रोटेक्शन को बंद नहीं कर पाएगा।
इसी तरह, Google ने चोरी के मामले में यूजर्स को व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा में मदद करने के लिए थेफ्ट डिटेक्शन और ऑफलाइन डिवाइस लॉक जैसी अतिरिक्त सुविधाएँ भी पेश की हैं।