एलन मस्क के स्टारलिंक को स्पेस रेगुलेटर से मिली हरी झंडी, अब भारत के दूरदराज इलाकों में मिलेगा हाई-स्पीड इंटरनेट

इन-स्पेस की वेबसाइट पर उपलब्ध ऑथराइजेशन लिस्ट के अनुसार, इस मंजूरी के बाद स्टारलिंक के लिए देश में कमर्शियल सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सर्विस शुरू करने के लिए अंतिम विनियामक बाधा दूर हो गई है।

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Photograph: (IANS)

नई दिल्लीः भारत में सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सर्विस शुरू करने के लिए एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को बुधवार को देश के स्पेस रेगुलेटर भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) से 5 सालों के लिए मंजूरी मिल गई है। 

इन-स्पेस की वेबसाइट पर उपलब्ध ऑथराइजेशन लिस्ट के अनुसार, इस मंजूरी के बाद स्टारलिंक के लिए देश में कमर्शियल सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सर्विस शुरू करने के लिए अंतिम विनियामक बाधा दूर हो गई है।

स्टारलिंक को अब सरकार से स्पेक्ट्रम हासिल करना होगा और अपनी सेवाओं के लिए जमीनी इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होगा। दूरसंचार विभाग (डीओटी) सुरक्षा अनुपालन को पूरा करने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष कंपनी को ट्रायल स्पेक्ट्रम देने के लिए तैयार है।

इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद स्टारलिंक देश में कुछ महीनों में ही सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सर्विस शुरू कर सकती है।

स्टारलिंक ने भारत में वीसैट प्रोवाइडर्स के साथ पहले ही व्यावसायिक समझौते पर हस्ताक्षर कर लिए हैं। वीसैट (वेरी स्मॉल अपर्चर टर्मिनल) सेवा प्रदाता उपग्रह-आधारित इंटरनेट और संचार समाधान प्रदान करते हैं, खासकर उन स्थानों के लिए जहां स्थलीय कनेक्टिविटी सीमित या बिल्कुल नहीं है।

केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पिछले हफ्ते कहा था कि स्पेसएक्स की स्टारलिंक सेवा के भारत में प्रवेश के लिए उनकी ओर से सभी आवश्यक जांच-पड़ताल पूरी कर ली गई है, और स्पेस रेगुलेटर से आवश्यक नियामक और लाइसेंसिंग मंजूरी मिलने के बाद, वे जब चाहें देश में यह सेवा शुरू कर सकते हैं।

मंजूरी देने से पहले स्पेस रेगुलेटर ने स्टारलिंक को एक लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) जारी किया था।

स्टारलिंक पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले सैटेलाइट के एक नेटवर्क के माध्यम से इंटरनेट प्रदान करता है। कंपनी वर्तमान में दुनिया के सबसे बड़े सैटेलाइट नेटवर्क का संचालन करती है, जिनके 6,750 से अधिक सैटेलाइट कक्षा में स्थापित हैं। स्टारलिंक इंटरनेट सेवाएं मंगोलिया, जापान, फिलीपींस, मलेशिया, इंडोनेशिया, जॉर्डन, यमन, अजरबैजान और श्रीलंका सहित कई देशों में पहले से ही उपलब्ध हैं।

(यह खबर समाचार एजेंसी आईएएनएस फीड द्वारा प्रकाशित है। शीर्षक बोले भारत डेस्क द्वारा दिया गया है)

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