एलन मस्क के रॉकेट ने अंतरिक्ष में पहुंचाया भारत का GSAT-N2 सेटेलाइट, क्या है इसकी खासियत?

यह पहली बार है जब स्पेसएक्स ने इसरो के किसी सेटेलाइट को लॉन्च करने में अहम भूमिका निभाई है। GSAT-N2 की मदद से भारतीय क्षेत्र में हवाई जहाजों में इंटरनेट की उपलब्धता संभव हो सकेगी।

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एलन मस्क के रॉकेट ने अंतरिक्ष में पहुंचाया भारत का GSAT-N2 सेटेलाइट, क्या है इसकी खासियत?

GSAT-N2 सफलतापूर्व लॉन्च (फोटो- एक्स)

बेंगलुरु: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के संचार उपग्रह GSAT-N2 को सोमवार को अमेरिका के केप कैनावेरल से एलन मस्क के स्वामित्व वाले स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट द्वारा सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया। यह सेटेलाइट जिसे GSAT-20 या CMS-03 के नाम से भी जाना जाता है, भारत के दूरसंचार और टेलीविजन के लिए राष्ट्रीय संचार उपग्रहों की GSAT सीरीज से संबंधित है।

करीब 4700 किलोग्राम वजन वाले GSAT-N2 उपग्रह का उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों में डाटा या इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध कराना है। इसे शुरू में भारत के LVM3 रॉकेट पर लॉन्च किया जाना था, लेकिन वजन सीमा 700 किलोग्राम से अधिक हो गई। इसके बाद स्पेसएक्स के अधिक शक्तिशाली रॉकेट फाल्कन 9 से इसकी लॉन्चिंग की योजना बनाई गई।

स्पेसएक्स के जरिए पहली बार भारत का सेटेलाइट लॉन्च

इसरो का प्रक्षेपण यान LVM3 चार हजार किलोग्राम वजन तक के उपग्रहों को भू-स्थैतिक स्थानांतरण कक्षा में पहुंचाने में सक्षम है। चूंकि जीसैट-एन2 का वजन इससे भी ज्यादा है, इसलिए फॉल्कन-9 का इस्तेमाल किया गया।

यह पहली बार है जब स्पेसएक्स ने भारत सरकार से संबंधित किसी सेटेलाइट को लॉन्च करने में अहम भूमिका निभाई है। इसरो इससे पहले कुछ मौकों पर यूरोपीय एरियन रॉकेट सीरीज का इस्तेमाल करती रही है। आखिरी GSAT, GSAT-N1 या GSAT-24 जून 2022 में फ्रेंच गुयाना से एरियन 5 रॉकेट पर लॉन्च किया गया था।

क्या है GSAT-N2?

GSAT-N2 दूरदराज के क्षेत्रों में डाटा या इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध कराने में मददगार साबित होगा। भारतीय क्षेत्र में हवाई जहाजों में इंटरनेट की उपलब्धता भी इससे संभव हो सकेगी। यह सेटेलाइट सिग्नल संचारित करने के लिए 32 यूजर बीम पर काम करता है, जिसमें आठ नैरो बीम देश के उत्तर-पूर्वी हिस्से के लिए हैं, जबकि 24 वाइड स्पॉट बीम भारत की मुख्य भूमि के बाकी हिस्सों के लिए समर्पित हैं।

इसरो के अनुसार, 'जीसैट-एन2 का मिशन काल 14 साल है। यह 32 यूजर बीम से लैस है, जिसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र पर आठ स्पॉट बीम और शेष भारत में 24 वाइड स्पॉट बीम शामिल हैं। ये 32 बीम देश के भीतर स्थित हब स्टेशनों द्वारा समर्थित होंगे।'

उपग्रह अभी अपनी अंतिम कक्षा में नहीं है, और अंतरिक्ष में अपने होम स्पॉट में पहुंचने में इसे करीब दो महीने लगेंगे। वहीं, फाल्कन 9 रॉकेट, जिसने सोमवार को 19वीं बार उड़ान भरी, वो उड़ान भरने के लगभग साढ़े आठ मिनट बाद सुरक्षित वापस पृथ्वी पर उतर गया।

GSAT-N2 से मिलेगा बड़ा फायदा

इसरो के मुताबिक जब यह स्वदेशी उपग्रह परिचालन में आ जाएगा तो यह विश्व इंटरनेट मानचित्र पर भारत में मौजूद इन-फ्लाइट इंटरनेट कनेक्टिविटी की बड़ी कमी को दूर कर देगा।

मौजूदा समय में जब अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें भारतीय वायु क्षेत्र में प्रवेश करती हैं, तो उन्हें इंटरनेट बंद करना पड़ता है क्योंकि भारत इस सेवा की अनुमति नहीं देता है। लेकिन, हाल ही में भारत ने उड़ान के दौरान देश में इंटरनेट की सुविधा देने के लिए नियमों में संशोधन किया है।

नए नियमों के अनुसार, तीन हजार मीटर से अधिक की ऊंचाई पर विमान के अंदर वाई-फाई सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं। हालांकि यात्री इन सेवाओं का उपयोग तभी कर पाएंगे जब विमान में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग की अनुमति होगी।

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