DeepSeek के AI पर क्यों हो रहा है विवाद और किन देशों ने लगाया बैन?

डीपसीक की गोपनीयता नीति को लेकर कई देश चिंता जता रहे हैं। डीपसीक को लेकर सबसे बड़ी चिंता यह है कि यूजर के डेटा को चीन में सरकार के साथ साझा किया जा सकता है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर Photograph: (AI Image)


नई दिल्ली: चीन के एआई मॉडल और चैटबॉट ऐप डीपसीप (DeepSeek) के चर्चा में आने के बाद अब दुनिया भर में इसके इस्तेमाल को लेकर चिंता जताई जाने लगी है। यह ऐप कई देशों के नियामकों की जांच के दायरे में आ गया है। कुछ देशों में तो इस चीनी एआई तकनीक के सरकारी उपयोग पर पाबंदी लगा दी गई है।

कई मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आयरलैंड, फ्रांस, बेल्जियम और नीदरलैंड जैसे देशों में डीपसीक ऐप के डेटा संग्रह के तरीकों के बारे में चिंता जताई गई है।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में कई संघीय एजेंसियों ने अपने कर्मचारियों को डीपसीक का इस्तेमाल नहीं करने का निर्देश दिया है। वहीं, कई कंपनियों ने नेटस्कोप और आर्मिस जैसी अपनी साइबर सुरक्षा फर्मों से ऐप तक पहुंच को ब्लॉक करने का अनुरोध किया है।

डीपसीक को लेकर क्या है डर?

डीपसीक ऐप की गोपनीयता नीति में लिखा है, 'हम अपनी एकत्रित जानकारी का पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना में स्थित सुरक्षित सर्वर में संग्रह करते हैं।'

डीपसीक की गोपनीयता नीति के अनुसार, यह कंपनी उपयोगकर्ताओं के नाम, जन्मतिथि, ईमेल, फोन नंबर और पासवर्ड जैसी जानकारियां एकत्र करती है। इसके अलावा, यह कीबोर्ड इनपुट पैटर्न, ऑडियो डेटा, अपलोड की गई फाइलें और चैट हिस्ट्री भी स्टोर करती है। कंपनी अपनी नीति के तहत इन जानकारियों को चीन की सरकारी एजेंसियों के साथ साझा करने का अधिकार रखती है।

डीपसीक को लेकर सबसे बड़ी चिंता यह है कि यूजर डेटा को चीन में सरकार के साथ साझा किया जा सकता है। दरअसल, चीन में कानून हैं जिसके तहत कंपनियों को सरकार के अनुरोध पर स्थानीय खुफिया एजेंसियों के साथ डेटा साझा करना जरूरी है।

डीपसीक को लेकर इन्हीं सुरक्षा चिंताओं के बीच भारत सरकार डीपसीक के एआई मॉडल को स्थानीय सर्वर पर होस्ट करने की योजना बना रही है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कुछ दिन पहले कहा था कि इसे जल्द ही भारतीय सर्वर पर होस्ट किया जाएगा।

इन देशों में डीपसीक के एआई पर बैन

पिछले महीने इटली डीपसीक के एआई पर प्रतिबंध लगाने वाले पहले देशों में से एक बन गया। इसके AI चैटबॉट ऐप को कथित तौर पर देश में ऐप स्टोर से गायब कर दिया गया है। यह कदम इटली की गोपनीयता निगरानी संस्था द्वारा चीनी एआई स्टार्टअप से यूजर डेटा को प्रबंधित करने संबंधी तरीकों की  इटालियन डेटा प्रोटेक्शन एजेंसी (डीपीए) द्वारा जानकारी मांगने के कुछ दिनों बाद उठाया गया है। इटली ने डीपसीक को नोटिस का जवाब देने के लिए 20 दिन का समय दिया था।

ताइवान ने भी यह कहते हुए कि डीपसीक को सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए प्रतिबंधित किया है। ताइवान के डिजिटल मामलों के मंत्रालय ने सरकारी एजेंसियों को कंपनी के एआई का उपयोग करने से प्रतिबंधित कर दिया है। वेबसाइट टेकक्रंच के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों द्वारा महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा सुविधाओं के लिए डीपसीक की तकनीक का उपयोग करने से सीमा पार सूचना के लीक होने का जोखिम है। कथित तौर पर ताइवान के पब्लिक स्कूल और राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों में भी इसे बैन किया गया है।

ऑस्ट्रेलिया में भी सरकारी कर्मचारियों को सुरक्षा चिंताओं के कारण डीपसीक एआई ऐप इंस्टॉल करने और उपयोग करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है। सभी सरकारी संस्थाओं को गृह विभाग के सचिव द्वारा अनिवार्य रूप से इस संबंध में निर्देशित किया गया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार यह प्रतिबंध देश के दूसरे आम नागरिकों पर लागू नहीं है।

दक्षिण कोरिया ने मांगी है डीपसीक से जानकारी

दक्षिण कोरिया के डाटा सुरक्षा प्राधिकरण ने भी चीन की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) कंपनी डीपसीक से जानकारी मांगने का फैसला किया है। अधिकारियों के अनुसार, इस कंपनी के डेटा संग्रहण तरीकों को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। 

पिछले हफ्ते आई एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण कोरिया के गृह मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाला 'व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षा आयोग' (पीआईपीसी)  चीन में डीपसीक के मुख्यालय को आधिकारिक पत्र भेजने का फैसला किया था। इसमें कंपनी से यह पूछा जाएगा कि वह व्यक्तिगत डाटा कैसे इकट्ठा करती है और उसे किस तरह इस्तेमाल करती है। आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि यदि कंपनी की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं मिलता, तो आगे जांच या तथ्यों की समीक्षा की जा सकती है।

इन सरकारी एजेंसियों ने भी लगाया है बैन

भारत में केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने डेटा की सुरक्षा को लेकर जोखिमों का हवाला देते हुए अपने कर्मचारियों को चैटजीपीटी और डीपसीक जैसे एआई टूल का उपयोग करने के प्रति आगाह किया है। रॉयटर्स के अनुसार 29 जनवरी को मंत्रालय द्वारा जारी एक आंतरिक सलाह में कहा गया है, 'यह निर्धारित किया गया है कि कार्यालय के कंप्यूटर और उपकरणों में एआई उपकरण और एआई ऐप्स (जैसे चैटजीपीटी, डीपसीक आदि) (सरकारी) डेटा और दस्तावेजों की गोपनीयता के लिए जोखिम पैदा करते हैं।'

इसके अलावा ​​अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों को डीपसीक तकनीक का उपयोग करने के प्रति आगाह किया गया है। साथ ही कांग्रेस के कर्मचारियों को उनके आधिकारिक उपकरणों पर डीपसीक ऐप्स इंस्टॉल करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है।

सीएनबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी नौसेना ने अपने सदस्यों को सुरक्षा चिंताओं के कारण किसी भी हाल में डीपसीक के ऐप्स या एआई तकनीक का उपयोग नहीं करने का निर्देश दिया है। अमेरिकी नौसेना ने एक आंतरिक ईमेल में यह बात कही गई है।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी रक्षा विभाग (डीओडी) के मुख्यालय पेंटागन में डीपसीक के इस्तेमाल को बैन किया गया है।

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने भी कर्मचारियों को इसका इस्तेमाल नहीं करवने को कहा है। वहीं अमेरिकी प्रांत टेक्सास के गवर्नर ग्रेग एबॉट ने राज्य में सरकार द्वारा जारी उपकरणों से डीपसीक और अन्य चीनी कंपनियों द्वारा विकसित एआई सॉफ्टवेयर पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है।

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