नई दिल्ली: भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने ऑनलाइन गेमिंग कंपनी विंजो से शिकायत मिलने के बाद गूगल के खिलाफ नई जांच शुरू की है। शिकायत में गूगल पर अपनी प्ले स्टोर नीतियों के माध्यम से अविश्वास कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है।

दावा है कि गूगल कथित तौर पर रियल मनी वाले गेमिंग ऐप्स के संचालन को कथित तौर पर प्रतिबंधित करता है। सीसीआई ने अपने महानिदेशक को 60 दिनों के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया।

अपनी शिकायत में विंजो ने दावा किया कि गूगल के डेवलपर वितरण अनुबंध और डेवलपर प्रोग्राम नीतियां ऐप डेवलपरों पर अनुचित शर्तें लगाती हैं। यही नहीं गेमिंग कंपनी का यह भी आरोप है कि गूगल विंजो जैसे इस तरह के रियल मनी वाले गेमिंग ऐप को प्ले स्टोर पर होस्ट होने से प्रतिबंधित करता है।

साइडलोडिंग के लिए गेमिंग कंपनियों को मजबूर होना पड़ रहा है

इस कारण विंजो जैसी कंपनियों को साइडलोडिंग का उपयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। साइडलोडिंग ऐप इंस्टॉल करने का एक ऑनलाइन तरीका है जिसमें कोई भी ऐप को ऐप इंस्टॉलिंग प्लेटफॉर्म गूगल प्लेज स्टोर के बजाय इंटरनेट या फिर ऐप के कंपनी वेबसाइट से इंस्टॉल करना होता है।

विंजो का दावा है कि गूगल प्ले स्टोर की नीतियां रियल मनी वाले गेमिंग ऐप को साइडलोडिंग इस्तेमाल करने के लिए मजबूर कर रही है। कंपनी ने यह आरोप लगाया है कि साइडलोडिंग के जरिए इंस्टॉल किए गए ऐप को लेकर गूगल प्ले स्टोर यूजरों को भ्रामक चेतावनियां जारी कर इस प्रक्रिया को हतोत्साहित करता है।

गेमिंग कंपनी के अनुसार, प्ले स्टोर की इन चेतावनियों के कारण उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच रहा, इससे यूजर गुमराह हो रहे, और कंपनी को वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ रहा।

सीसीआई की जांच इस पर केंद्रित है कि भारत में ऐप्स के वितरण पर गूगल का नियंत्रण और उसकी नीतियां प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा चार का उल्लंघन कर रही हैं या नहीं।

ऑनलाइन गेमिंग कंपनी विंजो ने गूगल पर क्या आरोप लगाया है

विंजो का आरोप है कि गूगल प्ले स्टोर की नीतियां प्रतिस्पर्धा को रोकते हैं, रियल मनी गेमिंग ऐप्स की वृद्धि को सीमित करते हैं, और एंड्रॉइड डिवाइस पर ऐप के वितरण पर गूगल के नियंत्रण को गलत तरीके से मजबूत करते हैं।

बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब गूगल को भारत में नियामक जांच का सामना करना पड़ा है। इससे पहले मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम बाजार में इसके प्रभुत्व से संबंधित कथित प्रतिस्पर्धा-विरोधी नीतियों के लिए तकनीकी दिग्गज कंपनी की पहले भी जांच की जा चुकी है।

इसी साल अगस्त में गूगल पर अमेरिका में एंटीट्रस्ट एक मामले में टेक कंपनी को दोषी पाया गया था। गूगल पर इंटरनेट सर्च में एकाधिकार बनाए रखने को लेकर उस पर दोष तय हुए थे।

आरोप है कि टेक कंपनी ऑनलाइन सर्च बाजार पर लगभग 90 फीसदी कंट्रोल करता और इस सिलसिले में साल 2020 में अमेरिकी न्याय विभाग गूगल के खिलाफ मुकदमा दायर किया था।