वाशिंगटनः टेक दिग्गज एप्पल ने कैलिफोर्निया के क्यूपर्टिनो स्थित अपने मुख्यालय से 185 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। यह कार्रवाई कंपनी के चैरिटेबल मैचिंग ग्रांट्स प्रोग्राम में धोखाधड़ी की जांच के बाद की गई। यह कार्यक्रम कंपनी के कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) पहल का हिस्सा है, जिसमें कर्मचारियों द्वारा किए गए दान को कंपनी मैच करती है, ताकि सामाजिक संगठनों को अधिक सहायता प्रदान की जा सके।
आरोप है कि कुछ कर्मचारियों ने गैर-लाभकारी संगठनों के साथ साजिश रचकर फर्जी दान की रसीदें तैयार कीं। इन रसीदों के आधार पर एप्पल ने उनके दान की राशि को मैच किया। लेकिन असल में ये दान कभी किया ही नहीं गया। दान की नकली रसीदें बनाकर कर्मचारियों ने अपनी मूल राशि वापस ले ली, जबकि एप्पल द्वारा दी गई अतिरिक्त राशि को निजी लाभ के लिए रख लिया गया। यह न केवल कंपनी की नीतियों का गंभीर उल्लंघन है, बल्कि अमेरिकी टैक्स कानूनों का भी उल्लंघन है, क्योंकि इन नकली दानों पर टैक्स छूट का दावा किया गया।
जांच में सामने आए अहम तथ्य
एनबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, लॉस एंजेलेस के जिला अटॉर्नी कार्यालय ने खुलासा किया कि इस धोखाधड़ी में शामिल कई कर्मचारियों को एप्पल ने बे एरिया के अपने कार्यालयों से बर्खास्त कर दिया। जांच के दौरान छह कर्मचारियों के नाम सार्वजनिक किए गए, जो कथित तौर पर इस घोटाले के प्रमुख आरोपी हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने तीन वर्षों में करीब $152,000 (₹1.25 करोड़) का घोटाला किया।
इन आरोपियों के नाम सिउ केई (एलेक्स) क्वान, याथेई (हेसन) यूएन, याट सी (सनी) एनजी, वेंटाओ (विक्टर) ली, लिचाओ नी, और झेंग चांग हैं। इनकी उम्र 31 से 39 वर्ष के बीच है। सिउ केई (एलेक्स) क्वान को इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। वह न केवल हॉप4किड्स नामक एक गैर-लाभकारी संगठन का सीईओ है, बल्कि उसने दूसरे संगठन अमेरिकन चाइनीज इंटरनेशनल कल्चरल एक्सचेंज (ACICE) का एकाउंटेंट बनकर भी इस धोखाधड़ी को अंजाम दिया।
इस योजना के तहत, कर्मचारियों ने दान देने का झूठा दावा किया। ये दान नकली रसीदों के माध्यम से दिखाया गया, जो संबंधित गैर-लाभकारी संगठनों के साथ मिलीभगत कर तैयार की गई थीं। कर्मचारियों को उनकी दान की मूल राशि लौटा दी गई और एप्पल द्वारा जो अतिरिक्त मैचिंग राशि दी गई, उसे निजी लाभ के लिए रख लिया गया। इसके अलावा, इन फर्जी दानों का इस्तेमाल टैक्स छूट लेने के लिए भी किया गया, जिससे कैलिफोर्निया राज्य को आर्थिक नुकसान पहुंचा।
भारतीय समुदाय की संलिप्तता पर सवाल
हालांकि, सार्वजनिक किए गए छह आरोपियों में कोई भी भारतीय नहीं है, लेकिन ग्रेट आंध्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बर्खास्त किए गए 185 कर्मचारियों में से कई भारतीय मूल के हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इनमें से कुछ भारतीय कर्मचारियों ने अमेरिकी तेलुगु संगठनों के साथ मिलकर इस धोखाधड़ी को अंजाम दिया। हालांकि, अभी तक स्थानीय अधिकारियों ने इस दावे की पुष्टि नहीं की है।
सांता क्लारा काउंटी के जिला अटॉर्नी कार्यालय ने इस मामले में गंभीर आरोप लगाए हैं। इसके तहत, आरोपियों पर कॉर्पोरेट धोखाधड़ी के साथ-साथ टैक्स फ्रॉड का मामला भी दर्ज किया गया है। टैक्स फ्रॉड का आरोप इसलिए लगाया गया क्योंकि इन फर्जी दान राशियों को टैक्स छूट के लिए दिखाया गया था।
एप्पल ने इस मामले में फिलहाल कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। कंपनी की ओर से इस घटना पर चुप्पी साधी गई है, लेकिन यह स्पष्ट है कि इस घोटाले ने एप्पल के सुरक्षा और आंतरिक प्रक्रिया से जुड़े नियमों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिला अटॉर्नी कार्यालय इस मामले की जांच जारी रखे हुए है। आने वाले समय में इस घोटाले से जुड़े और भी तथ्य सामने आ सकते हैं।