नई दिल्लीः एयरटेल के बाद जियो ने भी एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक के साथ समझौता कर लिया है। भारत की दोनों ही दिग्गज टेलीकॉम कंपनियां पहले स्टारलिंक का विरोध कर रही थीं, लेकिन अब दोनों ने स्पेसएक्स के साथ साझेदारी कर Starlink ब्रॉडबैंड सेवाएं लाने की तैयारी में हैं। हालांकि, यह साझेदारी तब ही अमल में आएगी जब भारतीय सरकार से स्टारलिंक को आवश्यक मंजूरी मिल जाएगी।
जियो ने घोषणा की है कि वह अपने मौजूदा ब्रॉडबैंड नेटवर्क, जैसे जियोएयरफाइबर और जियोफाइबर, के साथ स्टारलिंक की सेवाओं का एकीकरण करेगा। वहीं, एयरटेल ने भी स्पेसएक्स के साथ करार कर इसे अगली पीढ़ी की सैटेलाइट कनेक्टिविटी में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। एयरटेल ने कहा कि वह अपने एंटरप्राइज सॉल्यूशंस के लिए स्टारलिंक का उपयोग करेगा।
स्टारलिंक की भारत में एंट्री की जटिल राह
स्टारलिंक 2022 से ही भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने की कोशिश कर रही थी। हालांकि, शुरुआत में जियो और एयरटेल दोनों ही कंपनियां स्टारलिंक की एंट्री का विरोध कर रही थीं। भारतीय सरकार द्वारा सैटेलाइट ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम के प्रशासनिक आवंटन का निर्णय लेने के बाद जियो ने नीलामी आधारित प्रक्रिया की मांग की थी, जबकि सरकार ने वैश्विक प्रथाओं का पालन करने का निर्णय लिया।
स्टारलिंक को अभी भारत में काम करने के लिए सरकार की मंजूरी का इंतजार है। इसके लिए उसे दूरसंचार विभाग (DoT) और IN-SPACe से आवश्यक अनुमोदन लेने होंगे। रिपोर्ट्स के अनुसार, स्पेसएक्स ने स्टारलिंक को ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (GMPCS) लाइसेंस प्राप्त करने के लिए जरूरी जानकारी सरकार को प्रदान कर दी है और अधिकांश प्रमुख शर्तों को स्वीकार कर लिया है।
'स्टारलिंक को नियमों का करना होगा पालन'
रिपब्लिक प्लेनरी समिट 2025 में भारत के दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कहा था कि देश विदेशी टेलीकॉम कंपनियों के लिए कोई बाधा नहीं खड़ी करेगा, जिससे Starlink को भारत में संचालन की संभावना मिल सकती है।
उन्होंने कहा था, "हम किसी से डरते नहीं हैं। हमारे दरवाजे सभी के लिए खुले हैं, जो भारत में आकर बढ़ने और देश-विदेश की सेवा करने का अवसर पाना चाहते हैं।" हालांकि, नवंबर में सिंधिया ने यह भी स्पष्ट किया था कि Starlink को भारत में काम करने के लिए सभी नियमों का पालन करना होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि एयरटेल और जियो के साथ हुए करार के बाद स्टारलिंक को इन अनुमोदनों के लिए तेजी से स्वीकृति मिल सकती है। वहीं, अमेजन की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा कुइपर (Kuiper) भी अब इसी दिशा में आगे बढ़ सकती है।
इंडिया मोबाइल कांग्रेस (IMC) 2024 के दौरान भारती एयरटेल के अध्यक्ष सुनील मित्तल ने सैटेलाइट कंपनियों के लिए स्पेक्ट्रम खरीदने और लाइसेंस शुल्क चुकाने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि पारंपरिक टेलीकॉम कंपनियों के साथ समान प्रतिस्पर्धा बनी रहे। इस पर एलन मस्क ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नीलामी-आधारित दृष्टिकोण अभूतपूर्व होगा।
स्टारलिंक भारत में क्या बदलाव ला सकता है?
भारत की 40 प्रतिशत आबादी अभी भी डेटा कनेक्टिविटी से वंचित है। पारंपरिक टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर से इन इलाकों तक पहुंचना मुश्किल होता है, लेकिन स्टारलिंक जैसी सेवाएं इस अंतर को पाट सकती हैं। वहीं, स्कूल, अस्पताल, और अन्य सरकारी सेवाएं इंटरनेट के माध्यम से अधिक कुशलता से संचालित की जा सकती हैं। लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट्स के कारण इंटरनेट की स्पीड अधिक होगी और लैटेंसी कम रहेगी, जिससे ऑनलाइन गेमिंग, वीडियो कॉलिंग और स्ट्रीमिंग में सुधार होगा।