प्रतिकात्मक फोटो (फोटो- IANS)
न्यूयॉर्क: साइबर अपराध के खिलाफ लड़ाई में एक अंतरराष्ट्रीय कानून प्रवर्तन टीम ने बड़ी सफलता हासिल की है। जांच टीम ने साइबर क्राइम के इस मामले में चीन के एक नागरिक को गिरफ्तार किया है। साथ ही पिछले करीब एक दशक से काम कर रहे एक बड़े बॉटनेट को भी नष्ट कर दिया है। बॉटनेट एक तकनीकी शब्द है जो आमतौर पर कई कम्प्यूटर के उस नेटवर्क को कहा जाता है जो किसी एक शख्स या ग्रुप के कंट्रोल में रहता है और मैलवेयर से संक्रमित रहता है।
मैलवेयर को आसान भाषा में समझें तो ये उन सॉफ्टवेयर का संक्षिप्त रूप होता है, जिसे साइबर अपराधी या हैकर्स इस्तेमाल करते हैं। मैलवेयर की मदद से अपराधी डेटा की चोरी करने सहित कंप्यूटर सिस्टम को नुकसान पहुंचाने या अन्य साइबर अपराध को अंजाम देते हैं। बहरहाल, ताजा मामले में जिस बॉटनेट को नष्ट किया गया है उसे '911 एस5' के नाम से जाना जाता है। इसके जरिए साइबर अपराधियों द्वारा कई अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया गया था। इसमें पहचान की चोरी, बाल शोषण और वित्तीय धोखाधड़ी तक के मामले शामिल हैं। इस बॉटनेट का नेटवर्क कितना व्यापक था, इसका इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसने दुनिया भर में करीब 2 करोड़ (19 मिलियन) आईपी एड्रेस में सेंध लगाई थी।
200 देशों के कम्प्यूटर को बनाया गया था निशाना
इस अभियान में कई देशों का सहयोग शामिल था। इससे ये भी साबित होता है कि साइबर अपराध की वैश्विक प्रवृत्ति और इससे निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बेहद जरूरी है। जांच में ये बात भी सामने आई है कि इस बॉटनेट को चीन का नागरिक युन्हे वांग (Yunhe Wang) नाम का शख्स ऑपरेट करता था। इस बॉटनेट के जरिए लगभग 200 देशों में लाखों कंप्यूटरों को संक्रमित करते हुए उन पर पहुंच बनाई गई थी।
इस तरह की कम्प्यूटर मशीनों को आमतौर पर 'जॉम्बी' कंप्यूटर कहा जाता है। अपराधी इनका इस्तेमाल अवैध गतिविधियों को अंजाम देने के लिए करते थे। अमेरिका के डिपॉर्टमेंट ऑफ जस्टिस और एफबीआई ने खासतौर पर साइबर अपराध के खिलाफ इस ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसकी वजह से कई महत्वपूर्ण वित्तीय और परिचालन जब्ती हुई, जिसमें लाखों क्रिप्टोकरेंसी और लग्जरी संपत्तियां शामिल हैं।
'911 एस5' बॉटनेट क्या था... युन्हे वांग कब गिरफ्तार हुआ?
'911 एस5' बॉटनेट लगभग 200 देशों में फैले मैलवेयर-संक्रमित कंप्यूटरों का एक विशाल नेटवर्क था। एफबीआई निदेशक क्रिस्टोफर रे के अनुसार इस तरह का यह संभवतः दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क था। इसने पहचान की चोरी, वित्तीय धोखाधड़ी और बाल शोषण सामग्री तक पहुंच सहित कई साइबर अपराधों को बढ़ावा दिया।
इसे चलाने वाले की पहचान 35 साल के चीनी नागरिक युन्हे वांग के तौर पर हुई है। वांग को 24 मई को सिंगापुर में गिरफ्तार किया गया था। वह कथित तौर पर 150 सर्वरों के जरिए से इस नेटवर्क को संभालता था। सामने आई जानकारी के अनुसार इनमें से आधे सर्वर अमेरिका आधारित थे।
बॉटनेट कैसे काम करता था?
बॉटनेट रेसिडेंसियल विंडोज कंप्यूटरों को मैलवेयर से संक्रमित करके अपने काम को अंजाम देता था। मैलवेयर से संक्रमित होने के बाद ये कम्प्यूटर एक तरह से 'जॉम्बी मशीनों' की तरह काम करते थे जिन्हें दूर से नियंत्रित किया जा सकता था। इसके बाद साइबर अपराधी इन कंप्यूटरों तक पहुंच हासिल कर लेते थे और इसका इस्तेमाल कई तरह की अवैध गतिविधियों को अंजाम देने के लिए करते थे।
अपराधियों ने पहचान की चोरी, वित्तीय धोखाधड़ी, बाल शोषण सहित बम की धमकी और साइबर हमले जैसे अपराध इससे अंजाम दिए। बॉटनेट ने वित्तीय संस्थानों से ठगी, महामारी के दौरान राहत के लिए चलाए गए संघीय ऋण कार्यक्रम में घोटाले जैसे अपराध भी अंजाम दिए। अमेरिकी अटॉर्नी जनरल मेरिक गारलैंड ने बताया कि इन साइबर अपराधों के चलते रिलीफ प्रोग्राम फंड से अनुमानित 5.9 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ।
बॉटनेट के खिलाफ ऑपरेशन में क्या जब्त हुआ?
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार जांच टीम ने इस मेगा ऑपरेशन में क्रिप्टोकरेंसी में लगभग $29 मिलियन, (दो अरब 41 करोड़ रुपये), $4 मिलियन मूल्य (33 करोड़) के लग्जरी गुड्स और लगभग $30 मिलियन (दो अरब 40 करोड़) की अचल संपत्ति जब्त की। ये संपत्तियां सिंगापुर, थाईलैंड, दुबई सहित अन्य देशों में थीं। इसके अलावा बॉटनेट से जुड़े 22 डोमेन भी जब्त किए गए।
कैसे इस ऑपरेशन को दिया गया अंजाम?
इस अभियान को 'ऑपरेशन टनल रैट' नाम दिया गया था। इस ऑपरेशन के तहत सिंगापुर और थाईलैंड में कई सर्च वारंट निकाले गए। साथ ही कई संदिग्धों से पूछताछ भी की गई। आखिरकार एफबीआई ने अन्य अंतरराष्ट्रीय जांच टीमों के साथ मिलकर बॉटनेट को नष्ट किया और वांग को गिरफ्तार कर लिया गया। बताया जा रहा है कि अधिकारी इस मामले में कुछ अन्य लोगों की गिरफ्तारियों की संभावना भी तलाश रही है।
इस ऑपरेशन में आम लोग कैसे हुए शामिल?
एफबीआई ने इसके लिए एक वेब पेज बनाया है जहां कोई भी जाकर यह जांच कर सकता हैं कि कहीं उनका आईपी पता तो उस लिस्ट में शामिल नहीं है, जिसे बॉटनेट के जरिए संचालित किया जा रहा था। इससे संभावित पीड़ितों को भविष्य में किसी भी सुरक्षा समस्या की पहचान करने और उससे निपटने में मदद मिलेगी। बहरहाल, अब अमेरिका सिंगापुर से वांग के प्रत्यर्पण का इंतजार कर रहा है। एफबीआई के साइबर डिवीजन के उप सहायक निदेशक ब्रेट लेथरमैन ने प्रत्यर्पण को तत्काल करने की मांग की है। उन्होंने इस पर जोर देते हुए कहा, 'हम उसे अपने पास हैं, आप जानते हैं, जितनी जल्दी हो सके।'