"ऑल आइज ऑन रफाह" अभियान के नाम पर ठगी में 40 फीसदी का इजाफा, 60 प्रतिशत बढ़े फिशिंग ईमेल

बेटर बिजनेस ब्यूरो ने कहा है कि केवल तीन महीने में नकली चैरिटी से जुड़े शिकायतों में 35 फीसदी का इजाफा हुआ है।

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40 percent increase in fraud in the name All Eyes on Rafah campaign 60 percent increase in phishing emails

प्रतिकात्मक फोटो (फोटो- IANS)

नई दिल्ली: इजराइल और हमास के बीच चल रहे युद्ध को लेकर भी ठगी की जा रहा है और रफाह के लोगों की मदद के नाम पर स्कैम किया जा रहा है। हाल में सोशल मीडिया पर "ऑल आइज ऑन रफाह" अभियान काफी लोकप्रिय हुआ है जिसमें इस युद्ध में रफाह के लोगों के हालात को लेकर यह वाक्यांश कहा गया था। देखते ही देखते यह वाक्यांश काफी फेमस हुआ था और यह एक अभियान का रूप ले लिया था।

जैसे ही किसी चीज का ट्रेंड बढ़ता है, स्कैमर भी एक्टिव हो जाते हैं और उस ट्रेंड का फायदा उठाकर ठगी करने का कोशिश करते हैं। ऐसे ही कोशिश "ऑल आइज ऑन रफाह" अभियान के दौरान देखी गई है जिसका फायदा उठाकर स्कैमर फेक वेबसाइट बना रहे हैं और रफाह की लोगों की मदद के लिए फंड जमा कर उनके साथ स्कैम कर रहे हैं।

क्या है "ऑल आइज ऑन रफाह" स्कैम

सोशल मीडिया पर "ऑल आइज ऑन रफाह" अभियान के ट्रेंड होने पर स्कैरों ने फेक वेबसाइट बनाना शुरू किया है और रफाह के लोगों के लिए लोगों से फंड मांगने लगे। इसके लिए स्कैमर रफाह के ताजा हालातों की तस्वीरें और वीडियो को इस्तेमाल करते हैं और मदद के लिए फंड मांगते हैं।

वे ऐसे तस्वीरें और वीडियो का इस्तेमाल करते हैं जिसे देख लोग भावुक हो जाएं और बिना कुछ सोचे-समझे पेमेंट कर दें।

हाल में बेंगलुरु के एक 28 वर्षीय सॉफ्टवेयर डेवेलपर को इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट दिखी थी जिसमें मरे हुए बच्चों के फोटो को देखकर वह भावुक हो गया था। ऐसे में बिना कुछ सोचे उसने मदद करने की सोची और पोस्ट के साथ दिए गए लिंक को क्लिक कर 10 हजार का मदद किया।

पेमेंट करने के कुछ देर बाद जब वह पेमेंट के रसीद के लिए दोबारा उस लिंक को खोला तो वह नहीं खुला था। इस तरीके की डेवेलपर के दोस्त के साथ भी हुआ था जिसने भी उस पोस्ट को देखकर रफाह के लोगों की मदद के लिए कुछ फंड दिए थे।

क्या कहते हैं साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि गाजा युद्ध से पीड़ित लोगों की मदद से जुड़ी धोखाधड़ी वाले पोस्ट और खातों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है। यही नहीं गाजा और रफाह से संबंधित ईमेल के जरिए फिशिंग के प्रयासों में तेजी रिपोर्ट की गई है।

मामले में उपभोक्ता संरक्षण एजेंसियों का कहना है कि हाल के दिनों में नकली दान के जरिए होने वाले ठगी की शिकायतों में बढ़ोतरी हुई है।

जानकारों का कहना है कि गाजा और रफाह से जुड़े जितनी भी ठगी की जाती है उनमें यह देखा गया है कि स्कैमर नकली वेबसाइट, नकली क्रिप्टोकरेंसी लिंक, फिशिंग ईमेल, फेक वीडियो लिंक के जरिए लोगों को निशाना बना रहे हैं।

उनके अनुसार, घोटालेबाज फर्जी वेबसाइटें बनाते हैं जो वैध सहायता संगठनों की वेबसाइट की तरह ही दिखने में होती है और उस पर फेक दान लेते हैं और फिर फ्रॉड करते हैं। यही नहीं स्कैमर फिशिंग ईमेल भी भेजते हैं जिसे लोग पहचान नहीं पाते हैं और उसे प्रतिष्ठित दान मानकर वे मदद के लिए पैसें भेज देते हैं।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं फेक लिंक

डिजिटल जोखिम प्रबंधन फर्म एथेनियन टेक के सीईओ कनिष्क गौड़ की अगर माने तो मौजूदा दौर में गाजा राहत प्रयासों से संबंधित घोटालों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। उनके अनुसार, स्कैमर गाजा में स्थिति की तात्कालिकता और भावनात्मक अपील को टारगेट कर लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं और स्कैम कर रहे हैं।

टेलीग्राम, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर इस तरह के लिंक पाए जा रहे हैं जिससे लोग धोखा में आ जा रहे हैं।

फेक सोशल मीडिया अकाउंट से किया जा रहा है टारगेट

जानकारों का कहना है कि गाजा और रफाह से जुड़े असली संगठन जो वहां के लोगों की मदद के लिए दान ले रहे हैं और उनकी सहायता कर रहे हैं। ये स्कैमर उन असली संगठनों की नकल कर एक फेक वेबसाइट बना रहे हैं ताकि लोग धोखे में आकर इस नकली वेबसाइट को असली मानकर इस पर दान कर दें।

एक्सपर्ट के अनुसार, स्कैमर नकली क्रिप्टोकरेंसी लिंक को बढ़ावा देते हैं और तत्काल दान के लिए बाध्य करने के लिए अत्यावश्यक और भावनात्मक भाषा का उपयोग करते हैं। आम लोग अकसर उनके नकली पोस्ट और वीडियो में फंस जाते हैं और ठगी का शिकार हो जाते हैं।

ठगी में हुआ है 40 फीसदी का इजाफा

एक सोशल मीडिया मॉनिटरिंग टूल ने अपनी एक रिपोर्ट में यह दावा किया है कि "ऑल आइज ऑन रफाह" अभियान के जोर पकड़ने के बाद इससे जुड़े घोटालों में 40 फीसदी की वृद्धि देखी है। यही नहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस अभियान से जुड़े फिशिंग ईमेल में भी 60 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

बेटर बिजनेस ब्यूरो ने भी इसी तरीके के दावे कि हैं और कहा है कि केवल तीन महीने में नकली चैरिटी से जुड़े शिकायतों में 35 फीसदी का इजाफा हुआ है।

यही नहीं प्रूफपॉइंट जैसी कंपनी ने भी हर रोज हजारों फिशिंग प्रयासों को रिकॉर्ड किया है और दावा किया है कि ये प्रयास गाजा थीम से प्रभावित थे। यूरोपीय संघ और ब्रिटेन में वित्तीय संस्थानों ने कथित गाजा सहायता अभियानों से जुड़े कई संदिग्ध लेनदेन को चिह्नित भी किया है।

इसके अलावा कई बैंकों ने भी इस तरह के लेनदेन में 50 फीसदी का इजाफा नोट किया है।

"ऑल आइज ऑन रफाह" अभियान क्या है

जब इजराइल और हमास का युद्ध और भी आक्रमक हो गया था तब यह वाक्यांश सोशल मीडिया पर काफी ट्रेंड हुआ था। इस वाक्यांश को सबसे पहले गाजा और वेस्ट बैंक के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि रिचर्ड "रिक" पीपरकोर्न ने कहा था।

इस युद्ध पर उनके एक एक टिप्पणी के बाद यह वाक्यांश अस्तित्व में आया था। इस वाक्यांश का उपयोग गाजा पट्टी के एक शहर रफाह की गंभीर स्थिति की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए किया गया था।

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