Sunday, October 19, 2025
Homeभारतन्याय में देरी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, 8 लाख से अधिक लंबित...

न्याय में देरी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, 8 लाख से अधिक लंबित ‘एग्जीक्यूशन याचिकाओं’ पर हाईकोर्टों को निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि पिछले छह महीनों में लगभग 3.38 लाख मामलों का निपटारा हुआ है, लेकिन अब भी आठ लाख से अधिक याचिकाएं लंबित हैं।

नई दिल्ली: देश की निचली अदालतों में 8 लाख से अधिक एग्जीक्यूशन याचिकाएं लंबित होने पर चिंता जताते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सभी उच्च न्यायालयों को इनके शीघ्र निपटारे के लिए एक प्रभावी व्यवस्था तैयार करने का निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति पंकज मित्तल की पीठ ने 16 अक्टूबर को अपने आदेश में निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “हमें जो आँकड़े मिले हैं, वे अत्यंत निराशाजनक हैं। पूरे देश में एग्जीक्यूशन याचिकाओं के लंबित होने के आँकड़े चिंताजनक हैं। आज की तारीख में, राष्ट्रव्यापी स्तर पर 8,82,578 एग्जीक्यूशन याचिकाएं लंबित हैं।”

पीठ ने बताया कि पिछले छह महीनों में लगभग 3.38 लाख मामलों का निपटारा हुआ है, लेकिन अब भी आठ लाख से अधिक याचिकाएं लंबित हैं। अदालत ने सभी उच्च न्यायालयों से कहा है कि वे अपने-अपने अधीन जिला अदालतों के लिए एक स्पष्ट प्रक्रिया और दिशा-निर्देश तय करें, ताकि इन मामलों का निपटारा शीघ्र हो सके।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में यह भी दर्ज किया कि कर्नाटक हाईकोर्ट अब तक आवश्यक आंकड़े देने में विफल रहा है। अदालत ने कहा, “रजिस्ट्री एक बार फिर कर्नाटक हाईकोर्ट को स्मरण पत्र भेजे कि वह पिछले छह महीनों में निपटाए गए और अब तक लंबित निष्पादन मामलों की जानकारी तत्काल उपलब्ध कराए।”

किस उच्च न्यायालय में कितनी लंबित याचिकाएं?

उच्च न्यायालयों द्वारा सौंपे गए आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र में सबसे अधिक 3.4 लाख से ज्यादा निष्पादन याचिकाएं लंबित हैं, जबकि सिक्किम में सबसे कम केवल 61 मामले दर्ज हैं। इसके अलावा तमिलनाडु में करीब 86,000, केरल में लगभग 83,000, और आंध्र प्रदेश व उत्तर प्रदेश में क्रमशः 68,000 और 27,000 से अधिक मामले अभी भी लंबित हैं।

उपर्युक्त आंकड़ों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि किसी डिक्री को लागू करने में सालों लग जाते हैं, तो यह न्याय की अवधारणा के साथ मजाक है। सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी कि फैसले के बाद उसके क्रियान्वयन में इतनी देरी न्याय प्रणाली की विश्वसनीयता को कमजोर करती है।

शीर्ष अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 10 अप्रैल 2026 को तय की है और सभी हाईकोर्ट्स से उस समय तक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है कि उन्होंने लंबित निष्पादन याचिकाओं के निपटारे के लिए क्या ठोस कदम उठाए।

साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने पेरियाम्मल (मृत) बनाम राजमणि नामक 40 वर्ष पुराने संपत्ति विवाद मामले की सुनवाई करते हुए सभी उच्च न्यायालयों को निर्देश दिया था कि वे अपने अधीनस्थ जिला न्यायालयों से आंकड़े एकत्र करें और लंबित निष्पादन याचिकाओं को छह महीनों के भीतर निपटाएं।

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.com
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

डॉ उर्वशी on कहानीः इरेज़र
मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा