देश भर में ‘डिजिटल अरेस्ट’ के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। देश के कई राज्यों में इसके जरिए बड़ी ठगी की गई है। इससे जुड़े एक मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अब स्वतः संज्ञान लिया है और मामले पर गंभीर चिंता जाहिर की है। शीर्ष अदालत ने हरियाणा के अंबाला में एक बुजुर्ग दंपति से जालसाजों द्वारा कोर्ट और जाँच एजेंसियों के जाली आदेशों के आधार पर 1.05 करोड़ रुपये की उगाही किए जाने को लेकर केंद्र सरकार और सीबीआई से जवाब माँगा है।
यह मामला 73 वर्षीय महिला द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई को लिखे पत्र के बाद सामने आया था। महिला ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर बताया कि कैसे ठगों ने उन्हें और उनके पति को डिजिटल अरेस्ट कर एक करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की।
महिला ने आरोप लगाया कि 3 से 16 सितंबर के बीच जालसाजों ने सीबीआई और ईडी अधिकारियों के रूप में खुद को प्रस्तुत करते हुए कई ऑडियो और वीडियो कॉल के माध्यम से दंपति को गिरफ्तार करने के लिए स्टाम्प और सील के साथ एक जाली कोर्ट आदेश दिखाया। उन्होंने कई बैंक लेनदेन के माध्यम से 1 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई की।
न्याय व्यवस्था में जनता के विश्वास पर हमला
पीठ ने पाया कि निर्दोष लोगों, खासकर वरिष्ठ नागरिकों को डिजिटल रूप से अरेस्ट करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय के आदेशों और न्यायाधीशों के हस्ताक्षरों की जालसाजी करना न्यायपालिका में लोगों के विश्वास और भरोसे की नींव को हिलाता है।
शीर्ष अदालत ने कहा, “न्यायाधीशों के जाली हस्ताक्षरों वाले न्यायिक आदेशों का निर्माण नियम के शासन के अलावा न्यायिक प्रणाली में सार्वजनिक विश्वास की नींव पर सीधा प्रहार है। ऐसा कार्य संस्था की गरिमा पर सीधा हमला है।”
कोर्ट ने जोर देकर कहा कि इस तरह के गंभीर आपराधिक कृत्य को धोखाधड़ी या साइबर अपराध का सामान्य या अकेला मामला नहीं माना जा सकता।
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देशव्यापी आपराधिक षड्यंत्र का खुलासा जरूरी
पीठ ने कहा कि अंबाला का यह मामला अकेला उदाहरण नहीं है, बल्कि मीडिया में कई बार देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसे अपराधों की खबरें आई हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हमारा मत है कि न्यायिक दस्तावेज़ों की जालसाजी, निर्दोष लोगों- विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों, से जबरन वसूली/लूटपाट में शामिल आपराधिक उद्यम की पूरी सीमा का पता लगाने के लिए केंद्र और राज्य पुलिस के बीच समन्वित प्रयासों और कार्रवाई की आवश्यकता है।” पीठ ने इस मुद्दे पर अटॉर्नी जनरल की मदद मांगी है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव के माध्यम से केंद्र सरकार, सीबीआई के निदेशक, गृह विभाग के प्रधान सचिव और अंबाला के साइबर क्राइम एसपी को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने हरियाणा सरकार और अंबाला साइबर क्राइम एसपी को इस मामले में अब तक हुई जाँच की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया है। इस मामले में अंबाला के साइबर क्राइम विभाग में भारतीय न्याय संहिता (BNS) के विभिन्न प्रावधानों के तहत दो एफआईआर दर्ज की गई हैं।