कर्नाटक में नेतृत्व बदलाव और मंत्रिमंडल फेरबदल की चर्चाएं दोबारा तेज हो गई हैं। पांच साल के करीब आधे पड़ाव पर पहुंची कांग्रेस सरकार के नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें रविवार फिर से जोर पकड़ लीं जब शिवकुमार दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलने पहुंचे। राजनीतिक गलियारों में इसे कुछ लोग ‘नवंबर क्रांति’ कह रहे हैं। हालांकि शिवकुमार ने सोमवार को इन अटकलों को साफ तौर पर नकार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार और पार्टी में किसी तरह के बदलाव की फिलहाल कोई योजना नहीं है।
दिल्ली में मीडिया से बातचीत के दौरान शिवकुमार ने बताया कि उनकी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात सामान्य पार्टी प्रक्रियाओं का हिस्सा थी। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रदेश अध्यक्ष का राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलना आम बात है। इसमें कुछ असामान्य नहीं है। शिवकुमार के अनुसार बातचीत मुख्य रूप से पार्टी कार्यालयों के उद्घाटन, ट्रस्ट से जुड़े मामलों और अन्य संगठनात्मक मुद्दों पर केंद्रित थी।
कैबिनेट में बदलाव की अटकलें!
मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलों पर उन्होंने दो टूक जवाब दिया और कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं सोच रहे हैं। अगर पार्टी है तो हम सब हैं। मैं यहां सिर्फ संगठन के मुद्दों पर चर्चा करने आया हूं। शिवकुमार ने कहा कि उनके इस्तीफे की अफवाहें बेबुनियाद हैं। उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस का वफादार सिपाही हूं। न तो किसी पर दबाव है, न कोई मनमुटाव है। मैं पार्टी को कभी ब्लैकमेल नहीं कर सकता। उन्होंने लोगों से अफवाहें फैलाने से बचने की अपील की।
हालांकि, पार्टी सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया कैबिनेट में बदलाव के पक्ष में हैं और इस वजह से संगठन के भीतर खींचतान बढ़ सकती है। ये चर्चाएं यूं ही नहीं हैं। राज्य की राजनीति में लंबे समय से यह भी चर्चा है कि सत्ता साझेदारी के कथित 2023 समझौते के तहत शिवकुमार को आगे चलकर मुख्यमंत्री बनाए जाने पर बात हुई थी।
इधर, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सुबह बेंगलुरु से दिल्ली रवाना हुए। समाज कल्याण मंत्री एचसी महादेवप्पा, सीएम के कानूनी सलाहकार और विधायक ए.एस. पोन्नन्ना तथा वरिष्ठ विधायक अशोक पट्टन भी उनके साथ गए हैं। दिल्ली में उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात तय है। माना जा रहा है कि इसके बाद वे खड़गे से भी मुलाकात करेंगे और मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा करेंगे।
इससे पहले, बर्खास्त मंत्री केएन राजन्ना ने सिद्धारमैया से उनके आवास पर मुलाकात की। करीब 20 मिनट चली इस बैठक में राजन्ना ने खुद को फिर से मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने का अनुरोध किया और भरोसा दिया कि वे कांग्रेस विचारधारा के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं। मतदाता धोखाधड़ी के मुद्दे पर राहुल गांधी के बयान से इतर टिप्पणी करने के कारण उन्हें पद से हटाया गया था।
राजन्ना ने अपने गृह जिले तुमकुरु में पार्टी के नुकसान की चेतावनी भी दी है, और उनके समर्थक बिना कांग्रेस झंडे के कार्यक्रम आयोजित करने लगे हैं, जिससे असंतोष के संकेत और मजबूत हुए हैं।

