Thursday, October 16, 2025
Homeविश्वनहीं रहे 'स्लीपिंग प्रिंस', 20 साल से कोमा में रहे सऊदी प्रिंस...

नहीं रहे ‘स्लीपिंग प्रिंस’, 20 साल से कोमा में रहे सऊदी प्रिंस अल-वलीद बिन खालिद का निधन

रियादः सऊदी अरब के ‘स्लीपिंग प्रिंस’ के नाम से मशहूर प्रिंस अल-वलीद बिन खालिद बिन तलाल अल सऊद का 36 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वह करीब दो दशक कोमा में थे। प्रिंस अल-वलीद के परिवार ने रविवार को उनके निधन की पुष्टि की है। 

प्रिंस अल-वलीद के पिता प्रिंस खालिद बिन तलाल बिन अब्दुल अजीज ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, “अल्लाह के हुक्म, नियति में पूर्ण विश्वास और गहरे दुःख के साथ, हम अपने प्यारे बेटे प्रिंस अल-वलीद बिन खालिद बिन तलाल बिन अब्दुल अजीज अल सऊद के निधन पर शोक व्यक्त करते हैं। अल्लाह उन पर रहम करे।”

परिवार ने घोषणा की है कि रविवार को रियाद स्थित इमाम तुर्की बिन अब्दुल्ला मस्जिद में असर की नमाज बाद अंतिम संस्कार की नमाज अदा की जाएगी।

साल 2005 में कार एक्सीडेंट के बाद प्रिंस अल-वलीद कोमा में चले गए थे। हादसे के वक्त वह महज 15 साल के थे। प्रिंस अल-वलीद को ब्रेन हेमरेज हुआ, जिसके बाद उन्हें सऊदी अरब वापस लाया गया। यहां उन्हें रियाद के किंग अब्दुल अजीज मेडिकल सिटी में भर्ती कराया गया।

अमेरिका और स्पेन के विशेषज्ञों से इलाज सहित व्यापक चिकित्सकीय प्रयासों के बावजूद, प्रिंस पूरी तरह से होश में नहीं आ सके। प्रिंस अल-वलीद करीब 20 वर्षों तक वह वेजिटेटिव स्टेट में रहे। इस दौरान वह वेंटिलेटर और लाइफ सपोर्ट पर निर्भर थे।

पिता प्रिंस खालिद बिन तलाल, बेटे को जीवित रखने के फैसले पर अड़े रहे। उन्होंने लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटाने के सुझाव को अस्वीकार कर दिया। वर्षों तक अपने बेटे के बिस्तर के पास पिता की मौजूदगी ने लोगों के साथ एक गहरा भावनात्मक जुड़ाव पैदा किया।

अप्रैल 1990 में जन्मे प्रिंस अल-वलीद, सऊदी शाही परिवार के एक प्रमुख सदस्य, प्रिंस खालिद बिन तलाल के सबसे बड़े बेटे थे।

 

IANS
IANS
Indo-Asian News Service (IANS) भारत की एक निजी समाचार एजेंसी है। यह विभिन्न विषयों पर समाचार, विश्लेषण आदि प्रदान करती है।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

डॉ उर्वशी on कहानीः इरेज़र
मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा