चेन्नई: तमिलनाडु में सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री के श्रमिकों ने एक महीने से अधिक समय से चली आ रही अपनी हड़ताल खत्म कर दी है। इन कामगारों ने बेहतर वेतन, कामकाजी सुविधाओं और नए बने यूनियन को मान्यता देने की मांग को लेकर अपनी हड़ताल शुरू की थी। करीब 1500 श्रमिक इस हड़ताल में शामिल थे।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार इन श्रमिकों का समर्थन करने वाले एक श्रमिक कार्यकर्ता ने बताया कि सैमसंग ने अभी तक यूनियन को मान्यता नहीं दी है, लेकिन कंपनी अन्य मांगों पर बातचीत के लिए सहमत हो गई है। यह हड़ताल हाल के वर्षों में दक्षिण कोरियाई कंपनी में हुए सबसे बड़े हड़तालों में से एक थी।
सैमसंग के श्रमिकों के हड़ताल को लेकर सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (CITU) ने बताया कि इसे खत्म करने का फैसला लिया गया है। CITU भारत में एक राष्ट्रीय स्तर का ट्रेड यूनियन है। इसके करीब 60 लाख से ज्यादा सदस्य हैं। यह ट्रेड यूनियन सैमसंग में हड़ताल का भी नेतृत्व कर रहा था।
CITU, कांचीपुरम के सचिव और सैमसंग इंडिया वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष ई मुथुकुमार ने बताया, ‘बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया कि कर्मचारी गुरुवार को अपने काम पर लौट आएंगे।’
उन्होंने कहा कि नई यूनियन जिसे सैमसंग इंडिया लेबर वेलफेयर यूनियन (SILWU) नाम दिया गया है, इसके पंजीकरण का मुद्दा एक अदालत द्वारा तय किया जाएगा।
‘सैमसंग प्रबंधन के साथ अन्य मुद्दों पर बातचीत जारी रहेगी’
ई मुथुकुमार ने कहा, ‘हमने विरोध वापस लेने का फैसला किया है क्योंकि सैमसंग प्रबंधन ने उच्च वेतन, चिकित्सा बीमा और बेहतर सुविधाओं जैसी सभी प्रमुख मांगों पर श्रमिकों के साथ बातचीत करने का फैसला किया है। इसलिए इन पर बातें जारी रहेंगी।’
इससे पहले मंगलवार को प्रदर्शनकारी श्रमिकों के प्रतिनिधियों ने तमिलनाडु श्रम विभाग के अधिकारियों से मुलाकात की थी। बैठक के बाद राज्य के उद्योग मंत्री टीआरबी राजा ने कहा था कि हड़ताली कर्मचारियों ने तुरंत काम पर लौटने का फैसला किया है और सैमसंग भी ‘हड़ताल में भाग लेने के लिए श्रमिकों को प्रताड़ित नहीं करने’ पर सहमत हुआ है।
उन्होंने यह भी कहा कि कर्मचारी प्रबंधन के साथ पूर्ण सहयोग करने के लिए सहमत हुए हैं और सैमसंग उनके द्वारा रखी गई मांगों के चार्टर का लिखित जवाब दाखिल करेगा।
बाद में, सैमसंग ने एक बयान जारी कर कहा कि वह हड़ताल वापस लेने के सीटू के फैसले का स्वागत करता है। बयान में कहा गया, ‘हम उन श्रमिकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेंगे जिन्होंने केवल हड़ताल में भाग लिया था। हम चेन्नई कारखाने को काम करने के लिए एक शानदार जगह बनाने के लिए अपने श्रमिकों के साथ मिलकर आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’
9 सितंबर को शुरू हुई थी हड़ताल
श्रमिकों ने 9 सितंबर को चेन्नई में स्थित सैमसंग के इस कारखाने के पास अपना विरोध प्रदर्शन शुरू किया था। यहां लगभग 2,000 कर्मचारी कार्यरत हैं और यह भारत में सैमसंग दो संयंत्रों में से एक है।
यह फैक्ट्री घरेलू उपकरणों का उत्पादन करती है। इस फैक्ट्री से सैमसंग को भारत में अपनी वार्षिक 10 खरब से अधिक की कमाई का लगभग एक तिहाई हिस्सा प्राप्त होता है।
श्रमिकों की प्रमुख मांगों में से एक उनकी यूनियन को मान्यता देने की थी। श्रमिकों का कहना है कि केवल इससे ही उन्हें प्रबंधन के साथ बेहतर वेतन और काम के घंटों पर बातचीत करने में मदद मिल सकती है।
बीबीसी के अनुसार श्रमिक अधिकार कार्यकर्ता आकृति भाटिया ने बताया कि भारत में कारखाने स्थापित करने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियां अक्सर भारतीय श्रम कानूनों का पालन नहीं करती हैं, जो श्रमिकों को एसोसिएशन और इसके जरिए प्रबंधन से बातचीत का अधिकार देता है।
इस साल की शुरुआत में तमिलनाडु में एक एप्पल सप्लायर के विनिर्माण संयंत्र के सैकड़ों कर्मचारी भी अपनी यूनियन को मान्यता देने की मांग को लेकर एक दिन की हड़ताल पर चले गए थे।