Friday, October 17, 2025
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संभल विवाद: SC ने मस्जिद के बाहरी हिस्से पर सफेदी करने की HC के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया

नई दिल्लीः  सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को संभल स्थित शाही जामा मस्जिद के बाहरी हिस्से की सफेदी कराने और इसकी लागत मस्जिद कमेटी से वसूलने का निर्देश दिया गया था। 

दरअसल हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की गई थी जिसमें कहा गया था कि अदालत ने एएसआई को मस्जिद कमेटी से सफेदी का खर्च वसूलने की अनुमति देकर कानूनी गलती की है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि अदालत के आदेश में कोई कानूनी चूक नहीं है।

हाई कोर्ट का आदेश और सुप्रीम कोर्ट का फैसला

मार्च में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि मस्जिद के बाहरी हिस्से, जहां पर पपड़ी उखड़ रही है और सफेदी की आवश्यकता है, वहां एएसआई एक सप्ताह के भीतर सफेदी का कार्य पूरा करे। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, लेकिन शीर्ष अदालत ने इसमें हस्तक्षेप से इनकार कर दिया।

यह अपील याचिकाकर्ता सतीश कुमार अग्रवाल द्वारा दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि संबंधित ढांचे से जुड़ा एक मुकदमा पहले से ही अदालत में विचाराधीन है। याचिका में यह भी दावा किया गया था कि यह विवादित स्थल भगवान कल्कि के हरिहर मंदिर के रूप में पूजनीय है और हाई कोर्ट का आदेश याचिकाकर्ता के अधिकारों को प्रभावित कर सकता है।

याचिका में क्या सवाल उठाए गये थे?

याचिकाकर्ता ने सवाल उठाया था कि क्या एएसआई को हरिहर मंदिर (संभल) या उस विवादित ढांचे के रखरखाव के लिए धन नहीं दिया जाता, जिसे कथित रूप से जामा मस्जिद प्रबंधन समिति ने अवैध रूप से कब्जे में ले रखा है?

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया था कि मस्जिद की दीवारों पर अतिरिक्त लाइटिंग नहीं लगाई जाएगी, क्योंकि इससे स्मारक को नुकसान पहुंच सकता है। हालांकि, बाहरी हिस्से को रोशन करने के लिए फोकस लाइट या एलईडी लाइट्स लगाने की अनुमति दी गई।

संभल विवाद की पृष्ठभूमि

गौरतलब है कि नवंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ट्रायल कोर्ट की सुनवाई पर रोक लगाई थी और निर्देश दिया था कि जब तक मस्जिद कमेटी द्वारा दायर याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट में सूचीबद्ध नहीं होती, तब तक निचली अदालत इस मामले की सुनवाई न करे।

संभल में उस वक्त हालात बिगड़ गए थे जब 19 नवंबर को स्थानीय अदालत ने जामा मस्जिद का सर्वे कराने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं, जिनमें चार लोगों की मौत हो गई थी।

यह सर्वे कुछ लोगों द्वारा दायर याचिका के आधार पर किया जा रहा था, जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद की जगह पहले एक हरिहर मंदिर था, जिसे 1526 में ध्वस्त कर दिया गया था और उसी स्थान पर मस्जिद बनाई गई थी।

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.com
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
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