बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार ने सरकारी संपत्तियों और परिसरों के उपयोग को लेकर बड़ा आदेश जारी किया है। इसके तहत अब कोई भी निजी संस्था, संगठन या समूह सरकारी संपत्ति या परिसर में कार्यक्रम या जुलूस आयोजित करने से पहले सरकार से अनुमति लेगा। बिना अनुमति ऐसा करने वालों पर कार्रवाई होगी।
सरकार का यह निर्णय तब आया जब ग्रामीण विकास, आईटी और बीटी मंत्री प्रियांक खड़गे ने सार्वजनिक स्थानों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के संबंध में एक पत्र लिखा था। यह नया आदेश शनिवार को गृह विभाग (कानून एवं व्यवस्था) के अवर सचिव, एस. नागराजू द्वारा जारी किया गया है, जिसका उद्देश्य सरकारी संपत्तियों का संरक्षण और उचित उपयोग सुनिश्चित करना है।
आदेश में यह भी बताया गया है कि किन चीजों को सरकारी संपत्ति माना जाएगा और कौन अधिकारी अनुमति दे सकते हैं। इसके मुताबिक सरकारी संपत्ति में सभी भूमि, इमारतें, सड़कें, खेल के मैदान, पार्क, जलाशय या अन्य अचल संपत्तियाँ शामिल हैं जो किसी विभाग, बोर्ड, निगम या स्थानीय निकाय के नियंत्रण में हैं।
कार्यक्रम के लिए तीन दिन पहले लिखित में आवेदन देना होगा
अनुमति के लिए संबंधित पुलिस आयुक्त, जिला उपायुक्त या सरकार द्वारा अधिकृत अधिकारी सक्षम प्राधिकारी होंगे। किसी भी कार्यक्रम के लिए आयोजकों को कम से कम तीन दिन पहले लिखित में आवेदन देना होगा। आवेदन सरकार द्वारा तय प्रारूप में देना जरूरी है।
आदेश के मुताबिक रैली या जुलूस का मतलब 10 से अधिक लोगों की सभा से है, जो किसी सामान्य उद्देश्य से निकलती है। विवाह और अंतिम संस्कार जैसी सभाओं को इससे छूट दी गई है।
सक्षम अधिकारी कर्नाटक पुलिस अधिनियम, 1963 के तहत सरकारी संपत्तियों के उपयोग और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठा सकते हैं। जिन आयोजनों को अनुमति दी जाएगी, उन्हें उसी के अनुसार कार्यक्रम करना होगा, वरना कानूनी कार्रवाई होगी।
संघ पर बैन लगाने को लेकर प्रियांक ने सरकार को लिखा था पत्र
गौरतलब है कि कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने राज्य के सरकारी परिसरों में आरएसएस की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर 4 अक्टूबर को मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को पत्र लिखा था। प्रियांक खड़गे ने पत्र में लिखा, “जब समाज में नफरत फैलाने वाली विभाजनकारी ताकतें सिर उठाती हैं, तो हमारे संविधान के मूल सिद्धांत (एकता, समानता और अखंडता) हमें उन्हें रोकने का अधिकार देते हैं।”
उन्होंने आरोप लगाया था कि संघ की शाखाएं सरकारी और अर्ध-सरकारी स्कूलों, सार्वजनिक मैदानों, मंदिरों, पार्कों और पुरातत्व विभाग के स्थलों पर चल रही हैं। यहां बिना पुलिस अनुमति के लाठी (दंड) के साथ आक्रामक प्रदर्शन किए जा रहे हैं, जिससे बच्चों और युवाओं के मन पर नकारात्मक और विभाजनकारी विचारों का असर पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा था कि देश के बच्चों, युवाओं और समाज के मानसिक स्वास्थ्य और विकास के हित में आरएसएस की सभी गतिविधियों को सरकारी परिसरों में प्रतिबंधित किया जाए।