नई दिल्ली: भारत में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई दर अक्टूबर में बढ़कर 6.21 प्रतिशत हो गई है। सितंबर में यह 5.49 प्रतिशत थी। सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा मंगलवार को यह जानकारी दी गई।
अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर पिछले 14 महीनों में सबसे अधिक है। महंगाई में यह वृद्धि खाद्य महंगाई के 15 महीने के उच्चतम स्तर 10.87 फीसदी पर पहुंचने के साथ आई है, जबकि सितंबर में यह 9.24 फीसदी थी और एक साल पहले यह 6.61 फीसदी थी।
जुलाई 2023 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब खाने पीने की जीचों की महंगाई दर दो डीजीट का आंकड़ा पार किया है। जुलाई 2023 में यह आकंड़ा 7.4 फीसदी था। सीपीआई पर 45.86 फीसदी तक का वेटेज रखने वाले खाने और पीने की चीजों की महंगाई सितंबर में 8.36 फीसदी थी जो अक्टूबर में बढ़कर 9.69 प्रतिशत हो गई है।
खुदरा महंगाई दर बढ़ने के पीछे बीते महीने खाने की जीजें जिसमें खासकर फलों, मांस, मछली और सब्जियों की कीमतों में तेज बढ़ोतरी को कारण माना जा रहा है। अक्टूबर में सब्जियों की कीमतों में 42.18 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
केयरएज रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा के अनुसार, देश के कई हिस्सों में बेमौसमी बारिश के कारण फसल उत्पादन प्रभावित हुआ है जिससे सब्जियों, फलों और तेलों जैसी अन्य खाद्य श्रेणियों में उच्च मुद्रास्फीति देखी गई है।
अक्टूबर में इन चीजों में आई है गिरावट
आधिकारिक बयान में कहा गया कि अक्टूबर महीने के दौरान दालों, अंडे, चीनी कन्फेक्शनरी और मसाले में महंगाई दर में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है।
अनाज महंगाई सितंबर में 6.84 फीसदी थी जो अक्टूबर में बढ़कर 6.94 फीसदी हो गई है जबकि मांस और मछली की कीमतें 2.66 फीसदी से बढ़कर 3.17 प्रतिशत हो गई है। इसके अलावा सेवा-संबंधित मुद्रास्फीति, विशेष रूप से सीपीआई की विविध श्रेणी के भीतर, पिछले महीने के 4.05 फीसदी से बढ़कर 4.32 प्रतिशत हो गई है।
क्षेत्रीय रूप से, शहरी क्षेत्रों में 5.62 फीसदी की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई 6.68 फीसदी अधिक थी। ग्रामीण खाद्य महंगाई भी 10.69 प्रतिशत रही है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 11.09 फिसदी दर्ज की गई है।
बीते महीने के दौरान खाद्य तेलों की कीमतों में 9.51 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इससे कुल फूड प्राइस इंडेक्स में 10.87 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सालाना आधार पर हाउसिंग महंगाई दर अक्टूबर में 2.81 प्रतिशत रही है। यह सितंबर में 2.72 प्रतिशत पर थी।
अक्टूबर 2024 महीने के लिए ऑल इंडिया इलेक्ट्रिसिटी इंडेक्स और महंगाई दर क्रमशः 162.5 और 5.45 प्रतिशत रही है। सितंबर 2024 में संबंधित सूचकांक और महंगाई दर क्रमशः 162.4 और 5.39 प्रतिशत थी।
शक्तिकांत दास ने क्या कहा है
बीते कुछ महीनों में यह पहली बार है, जब रिटेल महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा तय किए गए स्तर छह प्रतिशत के ऊपर रही है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले हफ्ते कहा था कि आरबीआई विकास को गति देने के लिए नरम तटस्थ मौद्रिक नीति रुख की ओर बढ़ गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ब्याज दर में तुरंत कटौती होगी।
एक मीडिया कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा कि रुख में बदलाव का मतलब यह नहीं है कि अगली मौद्रिक नीति बैठक में दर में कटौती होगी। दास ने आगे कहा था कि महंगाई के बढ़ने का अभी भी जोखिम बना हुआ है। ऐसे समय में ब्याज दरों में कटौती करना एक जोखिम भरा फैसला हो सकता है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ