नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में लाल किले के पास सोमवार शाम हुए धमाके लेकर कुछ और जानकारी सामने आई है। सूत्रों के हवाले से सामने आई जानकारी के अनुसार दिल्ली ब्लास्ट संभवत: कोई निर्धारित सुसाइड मिशन नहीं बल्कि अचानक हुआ धमाका था। ये धमाका घबराहट में हुआ। सूत्रों के अनुसार सतर्क सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में जैश के ठिकानों के सफलतापूर्वक भंडाफोड़ किए जाने के बाद घबराहट और हताशा में ये हुआ।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने, ‘दिल्ली-एनसीआर और पुलवामा में कई जगहों पर सुरक्षा एजेंसियों द्वारा की गई छापेमारी में लगभग 3,000 किलोग्राम विस्फोटक बरामद हुए। इससे बढ़ते दबाव से संदिग्ध घबरा गया था और जल्दबाजी में उससे ऐसा हुआ।’
सूत्रों ने बताया कि इस जल्दबाजी की पुष्टि इस बात से होती है कि विस्फोट के लिए इस्तेमाल किया गया बम अधूरे और अभी गलत तरीके से जुड़ा था और पूरी तरह से विकसित नहीं था। इसी वजह से धमाके से हुआ नुकसान सीमित रहा और विस्फोट से कोई गड्ढा भी नहीं बना और न ही कोई छर्रे आदि मिले। माना जा रहा है कि साजिश और बड़ी थी लेकिन इसे अंजाम नहीं दिया जा सका।
विस्फोटकों को दूसरी जगह ले जाने की कोशिश में धमाका?
एक अधिकारी ने कहा, ‘मॉड्यूल के एक सदस्य डॉ. उमर ने अपने मॉड्यूल के अन्य सदस्यों पर हुई कार्रवाई के बाद अल फलाह मेडिकल कॉलेज परिसर से अपना ठिकाना बदल लिया। सीसीटीवी फुटेज से पुष्टि होती है कि विस्फोट में इस्तेमाल की गई कार वही चला रहा था। विस्फोट में जिन चीजों का इस्तेमाल हुआ, वो फरीदाबाद में जब्त विस्फोटकों से मेल खाता है।’
अधिकारी ने आगे कहा, ‘यह विस्फोट पूर्वनियोजित था या आकस्मिक, यह जाँच का विषय है।’ सूत्रों ने बताया कि हालाँकि, कुछ कारक एक आकस्मिक विस्फोट की ओर इशारा करते हैं, जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि वाहन यातायात के बीच चल रहा था और भीड़ में नहीं घुसा था, जो कि वाहन से कराए गए आईईडी हमलों में अधिकतम हताहतों की संख्या बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक आम रणनीति है। विस्फोटकों के किसी एक जगह से दूसरे जगह तक ले जाते समय गलती से इसके सक्रिय होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा रहा है।
दिल्ली लाने से पहले 11 दिन अल-फलह यूनिवर्सिटी में खड़ी रही कार
सूत्रों के हवाले से ये जानकारी भी सामने आई है कि दिल्ली में लाल किले के पास विस्फोट में इस्तेमाल की गई सफेद हुंडई i20 कार, हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह मेडिकल कॉलेज परिसर में लगभग 11 दिनों तक खड़ी रही, उसके बाद उसे दिल्ली ले जाया गया। संदिग्ध हमलावर डॉ. उमर नबी ने हमले की सुबह 10 नवंबर को कथित तौर पर घबराहट के कारण कार को कॉलेज परिसर से बाहर निकाला था।
डॉ. उमर नबी ने 29 अक्टूबर को फरीदाबाद के एक कार डीलर सोनू से कार खरीदी थी और उसी दिन प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र के लिए कार ले गया। सीसीटीवी वीडियो में HR 26CE7674 नंबर प्लेट वाली कार सोनू के कार्यालय, रॉयल कार जोन के पास प्रदूषण नियंत्रण (PUC) बूथ के पास खड़ी दिखाई दे रही है।
वहाँ से नबी कथित तौर पर कार को अल-फलाह मेडिकल कॉलेज ले गया और उसे डॉ. मुजम्मिल शकील की स्विफ्ट डिजायर के बगल में खड़ी कर दी, जिसे सोमवार को भारी मात्रा में विस्फोटकों के जखीरे के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। डॉ. शकील की कार डॉ. शाहीन शाहिद के नाम पर पंजीकृत थी, जिसकी कार से असॉल्ट राइफलें और गोला-बारूद बरामद किया गया था।
बहरहाल, i20 कार कथित तौर पर 29 अक्टूबर से 10 नवंबर तक वहाँ खड़ी रही, जब तक कि नबी अपने करीबी सहयोगियों – डॉ. मुजम्मिल शकील और डॉ. अदील अहमद राथर की गिरफ्तारी के बाद कथित तौर पर घबरा नहीं गया।
इसके बाद कार 10 नवंबर को दिल्ली में दाखिल हुई। चांदनी चौक स्थित सुनहरी मस्जिद पार्किंग में खड़ी होने से पहले कनॉट प्लेस और मयूर विहार में भी यह कार देखी गई थी।
सीसीटीवी वीडियो में दिख रहा है कि कार दोपहर 3:19 बजे पार्किंग में दाखिल हुई, और संदिग्ध आत्मघाती हमलावर का हाथ खिड़की पर था। गाड़ी शाम 6:30 बजे तक पार्किंग से बाहर नहीं निकली। नबी, जो कथित तौर पर गाड़ी चला रहा था, इस दौरान एक पल के लिए भी कार से बाहर नहीं निकला।

