मुंबई: भारत में अब बैंकों और दूसरे गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों से लोग सोने के साथ-साथ चांदी पर भी ऋण ले सकेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) चांदी पर भी लोन लेने को अनुमति दे दी है। इसका मतलब है कि अब लोग बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) से ऋण लेने के लिए चांदी के आभूषण या सिक्के भी गिरवी रख सकते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (स्वर्ण एवं रजत (ऋण) निर्देश, 2025) के अंतर्गत केंद्रीय बैंक ने सोना और चांदी को केलैटर्ल के रूप में लेने की प्रक्रियाओं को बताते हुए दिशानिर्देशों का एक नया सेट जारी किया है। इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य बहुमूल्य धातु ऋण बाजार में निगरानी, एकरूपता और पारदर्शिता में सुधार लाना है। नए नियम 1 अप्रैल, 2026 से प्रभावी होंगे।
चांदी पर लोन कौन-कौन दे सकते हैं?
- वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित)
- शहरी और ग्रामीण सहकारी बैंक
- एनबीएफसी और आवास वित्त कंपनियाँ
आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि ऋण केवल आभूषण या सिक्कों के रूप में रखे गए चांदी या सोने पर ही दिया जा सकेगा। बुलियन यानी शुद्ध सोने या चांदी की सिल्लियों या उनसे जुड़ी वित्तीय संपत्तियों जैसे गोल्ड ईटीएफ या म्यूचुअल फंड यूनिट पर ऋण नहीं मिलेगा।
नए दिशानिर्देशों में ये भी बताया गया है कि सोने की अधिकतम 1 किलो ज्वेलरी और चांदी की अधिकतम 10 किलो ज्वेलरी पर लोन लिया जा सकता है। वहीं, सिक्कों की बात करें तो सोने के 50 ग्राम तक के सिक्के और चांदी के अधिकतम 500 ग्राम तक के सोने पर ऋण मिल सकेगा। इससे ज्यादा के वजह पर लोन नहीं मिलेगा।
सोने या चाँदी की कीमत तय करने के लिए, बैंक या NBFC पिछले 30 दिनों के औसत बंद भाव या पिछले दिन के बंद भाव, जो भी कम हो, पर विचार करेंगे। यह कीमत आईबीजेए (इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन लिमिटेड) या किसी मान्यता प्राप्त कमोडिटी एक्सचेंज के इशू दर पर आधारित होगी। आभूषणों में लगे पत्थरों या अन्य धातुओं का मूल्य इसमें नहीं जोड़ा जाएगा।
कैसे मिलेगा चांदी पर लोन?
आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार ऋण लेने वाले व्यक्ति की उपस्थिति में आभूषण या चाँदी की जाँच की जाएगी। बैंक मूल्यांकन की एक प्रमाणित रिपोर्ट देगा। ऋण समझौते में सभी शुल्क, नीलामी प्रक्रिया और वापसी की समय-सीमा स्पष्ट रूप से लिखी होगी। सभी दस्तावेज और जानकारी स्थानीय भाषा या ग्राहक की पसंदीदा भाषा में उपलब्ध कराई जाएगी।
इसके बाद गिरवी रखी गई चाँदी या सोना बैंक की एक सुरक्षित तिजोरी में रखा जाएगा, जिसका संचालन केवल अधिकृत कर्मचारी ही कर सकते हैं। समय-समय पर निरीक्षण और जाँच की जाएगी।
यदि उधारकर्ता समय पर ऋण नहीं चुकाता है, तो बैंक उसके आभूषण या चांदी की नीलामी कर सकता है। बैंक पहले ग्राहक को नीलामी की सूचना देगा। यदि ग्राहक संपर्क नहीं करता, तो सार्वजनिक सूचना जारी करके एक महीने का समय दिया जाएगा। नीलामी का आरक्षित मूल्य वर्तमान मूल्य के 90% से कम नहीं हो सकेगा। यदि नीलामी दो बार विफल हो जाती है, तो आरक्षित मूल्य में 85% तक की कमी की जा सकती है।
इसके अलावा यदि कोई ग्राहक ऋण चुकाने के दो साल बाद भी अपना सोना या चांदी नहीं लेता है, तो बैंक उसे लावारिस कैलेटर्ल घोषित कर देगा और ग्राहक या उसके उत्तराधिकारियों से संपर्क करने के लिए एक विशेष अभियान चलाएगा।

