वाशिंगटनः इजराइल-हमास संघर्ष के बीच, कतर ने हमास नेताओं को देश छोड़ने का निर्देश दे दिया है। कतर ने यह आदेश अमेरिका के दबाव में जारी किया है। अमेरिका ने दो सप्ताह पहले कतर से कहा था कि उसे अपनी राजधानी में हमास को शरण देना बंद करना चाहिए। अमेरिका की बातों पर कतर ने सहमति जताई और करीब एक हफ्ते पहले हमास को नोटिस थमा दिया।
सीएनएन के अनुसार अमेरिका और कतर के सूत्रों ने बताया कि फिलिस्तीनी ग्रुप को इजराइल-हमास युद्ध में सीजफायर और बंधकों की रिहाई के समझौते के लिए मनाने की कई नाकाम कोशिशों के बाद यह कदम उठाया गया।
हमास को देश से निकालने की वजह
एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने स्पष्ट किया कि “हमास एक आतंकवादी संगठन है जिसने अमेरिकी नागरिकों को नुकसान पहुँचाया है और कई को बंधक बनाकर रखा है। बार-बार बंधकों को रिहा करने के प्रस्ताव ठुकराने के बाद, इसके नेताओं का किसी अमेरिकी सहयोगी की राजधानी में स्वागत उचित नहीं है।”
हमास का प्रतिक्रिया
हालांकि, हमास ने कतर द्वारा उन्हें निष्कासित करने की खबरों को “बेबुनियाद” और “दबाव की रणनीति” करार दिया। हमास के एक अधिकारी ने कहा कि ऐसे दावे पहले भी मीडिया में बिना किसी सबूत के किए गए हैं। उनका कहना है कि यह इजराइली मीडिया द्वारा दुष्प्रचार का हिस्सा है।
कतर का लंबे समय से मध्यस्थ की भूमिका
कतर लंबे समय से हमास और इजराइल के बीच मध्यस्थता करता रहा है, विशेष रूप से तब जब संघर्ष और हिंसा चरम पर होते हैं। हमास के कई वरिष्ठ सदस्य 2012 से कतर में रह रहे हैं ताकि वार्ता की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाया जा सके। हाल के महीनों में, अमेरिका, मिस्र और कतर ने गाजा में हिंसा समाप्त करने के लिए कई दौर की वार्ता आयोजित की थी, परंतु संघर्ष विराम का कोई ठोस हल नहीं निकला।
14 सांसदों ने कतर को लिखा था पत्र
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भी गर्मियों में कतर से अनुरोध किया था कि वह हमास को चेतावनी दे कि अगर हमास गाजा में संघर्ष विराम के लिए सहमत नहीं होता है, तो उन्हें दोहा से बाहर किया जा सकता है। हाल ही में अमेरिकी-इजराइली बंधक हर्श गोल्डबर्ग-पोलिन की मौत और हमास द्वारा युद्धविराम प्रस्ताव को खारिज करने के बाद कतर ने यह निर्णय लिया।
चौदह रिपब्लिकन सीनेटरों ने हाल ही में विदेश विभाग को एक पत्र लिखा था जिसमें कतर में रहने वाले हमास अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने, उनके प्रत्यर्पण की मांग करने और कतर से हमास के प्रति “अपनी मेहमाननवाजी समाप्त करने” की मांग की गई थी।
कतर के प्रधान मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमास के अधिकारियों की उपस्थिति जरूरी कूटनीतिक वार्ताओं को सुचारू रखने के लिए है।
हमास के नेताओं को कब और किस स्थान पर भेजा जाएगा, इस पर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। हालांकि, एक अमेरिकी अधिकारी के अनुसार, ग्रुप को देश छोड़ने के लिए अधिक समय नहीं दिया गया है। माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद इजराइल का मिडिल ईस्ट दबदबा बढ़ सकता है। मालूम हो कि ट्रंप इजराइल समर्थक रहे हैं।