Tuesday, November 18, 2025
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‘100% जिम्मेदारी लेता हूं,’ प्रशांत किशोर ने बिहार चुनाव में हार पर तोड़ी चुप्पी कहा- लोगों का भरोसा नहीं जीत सके

बिहार विधानसभा चुनाव के 14 नवंबर को आए नतीजों के बाद पहली बार प्रशांत किशोर मंगलवार को मीडिया के सामने आए। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि वे किसी ऐसे आधिकारिक पद पर नहीं हैं, जिससे इस्तीफा दे। उन्होंने साथ ही कहा कि वे अपने अभियान को और मजबूती से जारी रखेंगे और बिहार की आवाज उठाते रहेंगे।

पटना: जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने मंगलवार को कहा कि वह बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के खराब प्रदर्शन की 100 प्रतिशत जिम्मेदारी लेते हैं। चुनावी नतीजों के बाद यह उनकी पहली प्रतिक्रिया है। पटना में पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, ‘हमने ईमानदार कोशिश की, लेकिन वह पूरी तरह असफल रही। इसे स्वीकार करने में कोई बुराई नहीं है। व्यवस्था परिवर्तन की तो बात ही छोड़िए, हम सत्ता परिवर्तन भी नहीं ला पाए। लेकिन बिहार की राजनीति बदलने में हमारी भूमिका जरूर रही… हमारी कोशिशों में, हमारी सोच में, और यह समझाने के हमारे तरीके में जरूर कोई न कोई चूक रही होगी कि जनता ने हमें नहीं चुना। अगर जनता ने हम पर विश्वास नहीं दिखाया, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी मेरी है। मैं यह जिम्मेदारी 100 प्रतिशत अपने ऊपर लेता हूँ कि मैं बिहार की जनता का विश्वास नहीं जीत सका।’

जन सुराज पार्टी को बिहार चुनाव में कोई भी सीट नहीं मिल सकी जबकि पार्टी खुद को एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़े मुकाबले में ‘तीसरी ताकत’ के तौर पर पेश करती नजर आई थी। इस चुनाव में एनडीए ने चौंकाने वाला प्रदर्शन करते हुए 202 सीटें हासिल की और महागठबंधन को 35 सीटें मिली। हार के बाद क्या वह इस्तीफा देंगे, इस सवाल का जवाब देते हुए किशोर ने इसे खारिज किया। जन सुराज प्रमुख ने कहा कि उनके पास कोई आधिकारिक पद नहीं है जिससे वह इस्तीफा दे सकें।

उन्होंने कहा, ‘मैं किस पद पर हूँ कि इस्तीफा दे दूँ? मैंने कहा था कि अगर जदयू को 25 से ज्यादा सीटें मिलीं, तो मैं रिटायर हो जाऊँगा। मुझे किस पद से इस्तीफा देना चाहिए? मैंने यह नहीं कहा कि मैं बिहार छोड़ दूँगा। मैंने राजनीति छोड़ दी है। मैं राजनीति नहीं करता, लेकिन मैंने यह भी नहीं कहा कि मैं बिहार के लोगों के लिए बोलना बंद कर दूँगा।’

प्रशांत किशोर ने चुनाव में मिले झटके के बावजूद बिहार में अपने अभियान को और मजबूती से जारी रखने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि वह जमीनी स्तर पर अपने प्रयासों को तेज करेंगे और राज्य को सुधारने के अपने मिशन से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा, ‘आपने मुझे पिछले तीन सालों में जितनी मेहनत करते देखा है, मैं उससे दोगुनी मेहनत करूँगा और अपनी पूरी ऊर्जा लगा दूँगा। पीछे हटने का कोई सवाल ही नहीं है। जब तक मैं बिहार को बेहतर बनाने का अपना संकल्प पूरा नहीं कर लेता, तब तक पीछे मुड़कर नहीं देखूँगा।’

‘लोगों को समझाने में नाकाम रहे पर हमने अपराध नहीं किया’

किशोर ने आगे कहा, ‘मैं बिहार के लोगों को यह समझाने में नाकाम रहा कि उन्हें किस आधार पर वोट देना चाहिए और उन्हें एक नई व्यवस्था क्यों बनानी चाहिए। इसलिए, प्रायश्चित के तौर पर, मैं 20 नवंबर को गांधी भितिहरवा आश्रम में एक दिन का मौन व्रत रखूँगा… हमसे गलतियाँ हो सकती हैं, लेकिन हमने कोई अपराध नहीं किया है। हमने समाज में जाति-आधारित जहर फैलाने का अपराध नहीं किया है।’

प्रशांत किशोर ने कहा, ‘हमने बिहार में हिंदू-मुस्लिम की राजनीति नहीं की है। हमने धर्म के नाम पर लोगों को बाँटने का अपराध नहीं किया है। हमने बिहार के गरीब, भोले-भाले लोगों को पैसे देकर उनके वोट खरीदने का अपराध नहीं किया है।’

बता दें कि राजनीति में उतरने से पहले प्रशांत किशोर भारत के सबसे सफल राजनीतिक रणनीतिकारों में से एक माने जाते थे। उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल चुनावी में विभिन्न पार्टियों जीत के पीछे के रणनीतिकार के तौर पर जाना जाता रहा है। हालांकि, जब वे अपनी पार्टी बनाकर राजनीति में उतरे तो पहले ही चुनाव में असफल साबित हुए।

बिहार में कई दिनों की ‘पदयात्रा’ के बाद लॉन्च की गई जन सुराज पार्टी ने 238 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। हाई-प्रोफाइल अभियान के बावजूद, पार्टी ने जिन 238 सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें से 236 पर उनकी जमानत जब्त हो गई। जबकि जन सुराज ने चुनाव में सफलता को लेकर बड़ा दावा किया था।

विनीत कुमार
विनीत कुमार
पूर्व में IANS, आज तक, न्यूज नेशन और लोकमत मीडिया जैसी मीडिया संस्थानों लिए काम कर चुके हैं। सेंट जेवियर्स कॉलेज, रांची से मास कम्यूनिकेशन एंड वीडियो प्रोडक्शन की डिग्री। मीडिया प्रबंधन का डिप्लोमा कोर्स। जिंदगी का साथ निभाते चले जाने और हर फिक्र को धुएं में उड़ाने वाली फिलॉसफी में गहरा भरोसा...
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