ढाका: हाल में ही पड़ोसी देश बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्वी तट पर एक पाकिस्तानी मालवाहक जहाज पहुंचा था। फर्सपोस्ट की एक खबर के अनुसार, यह शिपमेंट सन 1971 के बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई के बाद दोनों देशों के बीच पहला सीधा समुद्री संपर्क था।
अगस्त में बांग्लादेश के पूर्व पीएम शेख हसीना के देश छोड़ने और मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सत्ता के 100 दिन पूरे होने के बीच यह शिपमेंट दोनों देशों के बीच के तनावपूर्ण रिश्ते में एक क ऐतिहासिक बदलाव का संकेत देता है।
जानकारों के अनुसार, दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापार और सुधरते रिश्ते भारत की सुरक्षा के लिए चिंताजनक है जो बांग्लादेश के साथ विशाल सीमा साझा करता है।
दशकों के बाद बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच शुरू हुआ व्यापार-रिपोर्ट
खबर के अनुसार, 13 नवंबर को एमवी युआन जियान फा झोंग नामक जहाज कराची के शिपमेंट को चटगांव बंदरगाह पर डॉक किया था। जहाज पाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात से सामान लेकर आया, जिसमें बांग्लादेश के कपड़ा उद्योग के लिए कच्चा माल और आवश्यक खाद्य पदार्थ शामिल थे।
बांग्लादेश अखबार ढाका ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देशों के बीच सबसे बड़े शिपमेंट में बांग्लादेश के कपड़ा जैसे उद्योगों में इस्तेमाल होने वाले सोडियम कार्बोनेट (सोडा ऐश) का था जो जहाज में 115 कंटेनरों में लाया गया था।
शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान के शिपमेंट की बांग्लादेश में डायरेक्ट एंट्री पर बैन था। बांग्लादेश आने वाले जहाजों को पहले किसी तीसरे देश से हो कर गुजरना होता था साथ ही बंदरगाह पर इस तरह की शिपमें की फिजिकल जांच अनिवार्य था जिससे व्यापार में काफी देरी होती थी।
लेकिन मुहम्मद यूनुस के शासनकाल में पाकिस्तानी सामानों के आयात पर प्रतिबंधों को हटा दिया गया है साथ ही जहाजों की डायरेक्ट एंट्री के बैन को हटा दिया गया है जिस कारण एमवी युआन जियान फा झोंग जहाज बांग्लादेश पहुंचा है।
पाकिस्तान के उच्चायुक्त सैयद अहमद मारूफ ने क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देने और व्यापार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए सीधे शिपिंग मार्ग को एक बड़ा कदम बताया है।
यूनुस ने पाकिस्तान-बांग्लादेश संबंधों के पुनर्निर्माण में समुद्री लिंक के महत्व पर जोर दिया और अपने संबंधों में एक “नए पृष्ठ” का आह्वान किया है। वहीं शेख हसीना अपने शासनकाल में पाकिस्तान के साथ दूरी बनाती थी और भारत के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए थे।
अगस्त में हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद से ढाका और इस्लामाबाद के बीच संबंधों में गहराई के कई संकेत मिले हैं। बांग्लादेश ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए पहले के मुकाबले अपनी वीजा प्रक्रिया को सरल बना दिया है साथ ही पाकिस्तानी गोला-बारूद के लिए अपना ऑर्डर बढ़ा दिया है।
यही नहीं पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना की 76वीं पुण्य तिथि के दौरान ढाका के नेशनल प्रेस क्लब में उर्दू शायरी का आयोजन भी हुआ था। दावा है कि प्रोग्राम में मुहम्मद अली जिन्ना की तारीफ की गई थी।
पाक-बांग्लादेश के रिश्तों से भारत पर क्या असर पड़ेगा
रिपोर्ट के मुताबिक, विशेषज्ञों का कहना है कि बांग्लादेश द्वारा पाकिस्तानी शिपमेंट के फिजिकल वेरीफिकेशन के अनिवार्यता को खत्म कर देने से अवैध हथियारों और नशीले पदार्थों की आवाजाही को बढ़ावा मिल सकता है।
मामले में एक पूर्व राजनयिक ने कहा है कि हालांकि भारत के लिए तब तक कोई चिंता की बात नहीं है जब तक बांग्लादेश आने वाले पाकिस्तानी शिपमेंट में “कुछ भी आपत्तिजनक” न आए।
बांग्लादेश में पाकिस्तानी शिपमेंट पर बोलते हुए साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से बात करते हुए पूर्व राजनयिक ने कहा है कि दो देशों के बीच यह केवल एक व्यापार को दर्शाता है। उनके अनुसार, पाकिस्तान का बांग्लादेश में विभिन्न समूहों को हथियार और गोला-बारूद भेजने की पुरानी आदत है, भारत के लिए असल में यह अहम मुद्दे हैं।
विल्सन सेंटर के साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने दिस वीक इन एशिया से बात करते हुए कहा है कि पाकिस्तानी शिपमेंट को लेकर भारत का चिंतित होना स्वाभाविक है।
उन्होंने साल 2004 की घटना का जिक्र किया है जहां भारत में आतंकवादी संगठन उल्फा (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असोम) के लिए हथियारों की एक खेप को बांग्लादेश के चटगांव में रोक दिया गया था। भारत ने उस समय शिपमेंट को पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित करने का आरोप लगाया था।
ऐसे में कुगेलमैन ने कहना है कि “पाकिस्तान के साथ भारत के खराब संबंधों को देखते हुए और बांग्लादेश में पाकिस्तान के किसी भी प्रकार के इरादे के बारे में दिल्ली के संदेह को देखते हुए, मुझे लगता है कि भारत के लिए पाकिस्तानी शिपमेंट को काफी चिंता के साथ देखा जाएगा।”
वहीं दूसरी ओर यूनुस ने भारत के साथ मजबूत संबंध बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया है। शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ हिंसा और उनके घरों को आग लगा दी गई है। यही नहीं कई अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों को भी निशाना बनाया गया था।
भारत ने अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमले की निंदा की थी जिसके बाद दोनों देशों के रिश्तों कथित तौर पर तनावपूर्ण बन गए थे। यूनुस ने इस तनाव को स्वीकार करते हुए कहा कि ढाका की नीतियों में हालिया बदलावों ने भारत को निराश किया होगा।
हालांकि, उन्होंने दोनों पड़ोसियों के बीच घनिष्ठ आर्थिक और सुरक्षा सहयोग की आवश्यकता को भी दोहराई है।