इस्लामाबाद: पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप में 49 साल के एक दृष्टिहीन ईसाई शख्स की गिरफ्तारी और हिरासत में उसके साथ पुलिस की बर्बरता का मामला सामने आया है। पाकिस्तान में ईशनिंदा के अपराध साबित होने पर मौत तक की सजा का प्रावधान है और आरोप लगते रहे हैं कि इस कानून का धड़ल्ले से इस्तेमाल अल्पसंख्यकों के खिलाफ किया जाता रहा है। खासकर आपसी वाद-विवाद तक में इस कानून का इस्तेमाल किसी अल्पसंख्यक को फंसाने के लिए किया जाता रहा है।
बहरहाल, ताजा मामला एक ईसाई शख्स से जुड़ा है, जिस पर एक स्थानीय मुस्लिम ने पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने का आरोप लगाया है। इस घटना के सामने आने के बाद पाकिस्तान में कट्टरपंथी गुट सक्रिय हो गया है। वहीं, ईसाई समुदाय में भी नाराजगी है।
समाचार एजेंसी एएनआई ने मॉर्निग स्टार न्यूज के हवाले से बताया है कि आरोपी नदीम मसीह को अगस्त में हिरासत में लिया गया था, जब कथित तौर पर कुछ लोगों के एक ग्रुप ने उसे इस केस में फंसाया था। आरोपी मसीह की मां 80 वर्षीय मार्था यूसुफ के अनुसार जिस ग्रुप ने उनके बेटे को ईशनिंदा के केस में फंसाया है, वो लंबे समय से शख्स को परेशान भी कर रहा था।
क्या है पूरा मामला?
मसीह की मां ने कहा कि उनका बेटा लाहौर के मॉडल टाउन पार्क में तराजू चलाकर मामूली जीविका कमाता था। उसे अक्सर स्थानीय श्रमिकों द्वारा धमकाया जाता था, जबरन वसूली की जाती थी और यहां तक कि हमला भी किया जाता था जिसमें शिकायतकर्ता वकास मजहर भी शामिल था।
रिपोर्ट के अनुसार 21 अगस्त को जब मसीह ने अपना स्टॉल लगाए जाने से रोके जाने का विरोध किया, तो मजहर और एक अन्य व्यक्ति कथित तौर पर उसे मॉडल टाउन पुलिस स्टेशन ले गए और उस पर ईशनिंदा का आरोप लगाया।
मॉर्निंग स्टार न्यूज के अनुसार बाद में पुलिस ने उस पर पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 295-सी के तहत ईशनिंदा आरोप लगाया। आरोपी की मां ने बताया, ‘हर बार जब मैं उससे मिलती हूँ, तो मेरा दिल रो पड़ता है जब वह मुझे बताता हैं कि उनके साथ कितना बुरा व्यवहार किया जा रहा है, खासकर जब उसे अदालत में पेशी के लिए ले जाया जाता है।’ मां ने आगे कहा, ‘वे उसे धक्का देते हैं, जबकि वे जानते हैं कि वह पूरी तरह से अंधा है और उसके दाहिने पैर में लोहे की रॉड भी लगी है।’
मसीह के वकील ने क्या बताया?
मसीह के वकील जावेद सहोत्रा ने कहा कि पुलिस रिपोर्ट में बड़ी विसंगतियाँ हैं और गड़बड़ी की ओर इशारा करती हैं। शिकायत में दावा किया गया है कि अधिकारी रात 11 बजे (स्थानीय समयानुसार) पार्क में गश्त कर रहे थे, जब उन्हें कथित अपराध की सूचना मिली, जबकि पार्क रात 9 बजे बंद हो जाता है।
सहोत्रा ने मॉर्निंग स्टार न्यूज को बताया, ‘सच्चाई यह है कि पार्क के गेट रात 9 बजे बंद हो जाते हैं और उसके बाद किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं होती…इसके अलावा, मसीह ने सुबह 6 बजे पुलिस हेल्पलाइन पर कॉल करके पार्किंग ठेकेदार और अन्य लोगों द्वारा उसके साथ किए गए दुर्व्यवहार की सूचना दी थी, लेकिन उसे कोई मदद नहीं मिली।’
वकील ने इस बात की भी पुष्टि की है कि मसीह को हिरासत में प्रताड़ित किया गया है। वकील ने इसे ‘अमानवीय व्यवहार’ बताते हुए सीनियर अधिकारियों से ऐसा कर रहे अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का आग्रह किया है। वकील ने मॉर्निंग स्टार न्यूज से कहा, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक नेत्रहीन व्यक्ति के साथ पुलिस ने ऐसा अमानवीय व्यवहार किया… हमें उम्मीद है कि सरकार और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अपने कर्मियों के इस अत्याचारी व्यवहार पर ध्यान देंगे और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करेंगे।’
मामले पर ईसाई समाज ने जताई नाराजगी
इस बीच पाकिस्तान में कैथोलिक चर्च नेशनल कमिशन फॉर जस्टिस एंड पीस (एनसीजेपी) के कार्यकारी निदेशक नईम यूसुफ ने गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा कि मसीह ‘अन्याय और मानवीय उदासीनता का शिकार’ है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के ईशनिंदा कानूनों का इस्तेमाल अल्पसंख्यकों, खासकर गरीबों और दिव्यांगों के खिलाफ हथियार के तौर पर किया जा रहा है।
मॉर्निंग स्टार न्यूज के अनुसार उन्होंने कहा, ‘मसीह इतने सालों तक कठोर सामाजिक रवैये का शिकार होने के बावजूद काम करता रहा। उन्होंने आगे कहा, ‘गरीबी, अंधेपन और सामाजिक क्रूरता से पहले से ही पीड़ित, वह शख्स अब जेल की सलाखों के पीछे और भी ज्यादा पीड़ा झेल रहा है।
बता दें कि ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में निजी विवादों को निपटाने, संपत्ति जब्त करने और भीड़ की हिंसा भड़काने के लिए पाकिस्तान के ईशनिंदा कानूनों के व्यापक दुरुपयोग की बात कही है। समूह ने ये भी कहा कि ये कानून ‘अस्पष्ट और आसानी से शोषण का जरिया बन जाने वाले’ हैं, जबकि पुलिस अक्सर आरोपियों को बचाने या हिंसक भीड़ पर मुकदमा चलाने में विफल रहती है।
ओपन डोर्स की 2025 वर्ल्ड वॉच लिस्ट में पाकिस्तान उन देशों की लिस्ट में वर्तमान में आठवें स्थान पर है, जहाँ ईसाईयों के लिए माहौल खतरनाक है।

