Homeमनोरंजनऑस्कर 2025: 'अनोरा' ने जीता बेस्ट एक्ट्रेस का खिताब, 'द ब्रूटलिस्ट' को...मनोरंजनऑस्कर 2025: ‘अनोरा’ ने जीता बेस्ट एक्ट्रेस का खिताब, ‘द ब्रूटलिस्ट’ को मिला बेस्ट एक्टरBy bharatbMarch 3, 2025010ShareFacebookTwitterPinterestWhatsApp Tagsऑस्कर पुरस्कारShareFacebookTwitterPinterestWhatsApp Previous articleIRCTC और IRFC को मिला ‘नवरत्न’ का दर्जा, जानें क्या हैं इसके मायने?Next articleबेटी की खैरियत जानने कोर्ट पहुंचा पिता, सरकार बोली- शहजादी खान को पिछले महीने ही दी जा चुकी है फांसीbharatbhttps://bolebharat.com/RELATED ARTICLES मनोरंजननहीं रहे महाभारत के ‘कर्ण’, पंकज धीर का 68 की उम्र में कैंसर से निधन October 15, 2025 मनोरंजनजुबीन गर्ग की मौत मामले में पांच आरोपी दो हफ्ते की न्यायिक हिरासत में भेजे गए October 15, 2025 मनोरंजनFilmfare Awards 2025: आलिया बेस्ट एक्ट्रेस अभिषेक-कार्तिक को मिला बेस्ट एक्टर का खिताब, लापता लेडीज ने जीते 13 अवार्ड October 12, 2025 LEAVE A REPLY Cancel replyComment:Please enter your comment! Name:*Please enter your name here Email:*You have entered an incorrect email address!Please enter your email address here Website: Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Most PopularIPPB ने GDS के पदों पर निकाली भर्ती, जल्दी करें आवेदन October 16, 2025 दृश्यम: विजय कुमार और हम बिहार में चुनाव लड़ रहे हैं: प्रक्रिया का सौंदर्यशास्त्र October 16, 2025 यमनः केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी पर रोक, सुप्रीम कोर्ट ने क्या टिप्पणी की? October 16, 2025 तेलंगाना: महिला पत्रकारों को सुप्रीम कोर्ट से राहत, CM रेवंत रेड्डी के खिलाफ पोस्ट को लेकर दोबारा गिरफ्तारी पर रोक October 16, 2025 Load moreRecent Comments R G on कहानीः इरेज़र डॉ उर्वशी on कहानीः इरेज़र RAVI KHAVSE on अखिलेश यादव के फेसबुक अकाउंट ब्लॉक-बहाल होने में सरकार ने किसी भी भूमिका से किया इंकार Dinesh Bhatt on कथा प्रांतर 3: द्रष्टा और भोक्ता के अनुभूति-अंतरालों के बावजूद Rakesh Bihari on कथा प्रांतर 3: द्रष्टा और भोक्ता के अनुभूति-अंतरालों के बावजूद डॉ उर्वशी on कथा प्रांतर 3: द्रष्टा और भोक्ता के अनुभूति-अंतरालों के बावजूद पंकज मित्र on कथा प्रांतर 3: द्रष्टा और भोक्ता के अनुभूति-अंतरालों के बावजूद Rohini Aggarwal on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता मनोज मोहन on कहानीः याद Alka Tiwari on स्मरण: आलोचना की निगाह से दूर एक लेखक और एक राजा के दिल मे गरीबों के लिए दर्द Kavita kavita on उतर के नाव से भी कब सफ़र तमाम हुआ… प्रकाश on कहानीः याद Neelam shanker on उतर के नाव से भी कब सफ़र तमाम हुआ… योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद Kavita Kavita on स्मरण: आखिर क्यों मारे गए गुलफाम शैलेंद्र K. Manjari Srivastava on दृश्यम: कमालुद्दीन नीलू, इब्सन और नेटिव पियर Shampa Shah on दृश्यम: कमालुद्दीन नीलू, इब्सन और नेटिव पियर Kavita on उतर के नाव से भी कब सफ़र तमाम हुआ… Kavita Kavita on स्मरण: आखिर क्यों मारे गए गुलफाम शैलेंद्र नमिता on उतर के नाव से भी कब सफ़र तमाम हुआ… डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा डॉ उर्वशी on स्मरण: आखिर क्यों मारे गए गुलफाम शैलेंद्र SAHIL RAJ on पुस्तक समीक्षा: हो सके तो इन किसानों को बचाइए राकेश बिहारी on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता राकेश बिहारी on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता Navin Goela on बोलते बंगले: शास्त्री जी क्यों नहीं रहे तीन मूर्ति रवि रंजन on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता पंखुरी सिन्हा on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता Pramod Kumar barnwal on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता Madhu Kankariya on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता