आज ही के दिन (सुबह साढ़े दस बजे) 1998 के मई महीने में पोखरण में परमाणु बम का परीक्षण किया गया था। इस दौरान बारी-बारी से पांच भूमिगत विस्फोट हुए। इससे पहले, 18 मई 1974 को भी इसी जगह के पास पोखरण में पहला परमाणु विस्फोट किया गया था, जब श्रीमती इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं। 1998 के परीक्षण के समय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे।
राजस्थान की राजधानी जयपुर से करीब 400 किलोमीटर दूर, राष्ट्रीय राजमार्ग 125 के पूर्व में स्थित जिला मुख्यालय जैसलमेर से लगभग 128 किमी उत्तर में पोखरण को भूमिगत विस्फोट के लिए चुना गया था। यहां की जमीन रेतीली (बालुवाही) थी, बस्तियों से दूर थी और सामरिक दृष्टि से गोपनीयता भी सुनिश्चित करती थी।
तैयारी काफी पहले से चल रही थी। एपीजे अब्दुल कलाम, राजा रामन्ना, अनिल काकोडकर और डी. राजगोपालन जैसे वैज्ञानिकों ने कई बार साइट का दौरा किया था। कलाम साहब इस परियोजना के मुख्य समन्वयक बनाए गए थे। गोपनीयता का आलम यह था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत को भी इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई थी।
मुख्यमंत्री को उस समय अपनी पार्टी के नेताओं से शिकायतें मिल रही थीं कि पश्चिम राजस्थान में आलू और प्याज की भारी किल्लत हो गई है, जबकि उत्पादन बहुत अच्छा हुआ था। जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, जोधपुर, पाली और जालौर जैसे जिलों में जहां आलू का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था, वहां भी बाजारों में ये नहीं मिल रहे थे।
बाद में जब परमाणु परीक्षण सफलतापूर्वक हो गया, तब पता चला कि आलू और प्याज की यह किल्लत क्यों थी—दरअसल, ये सीधे पोखरण भेजे जा रहे थे।
विस्फोट वाली जगह पर जमीन के अंदर करीब 1,000 टन आलू और लगभग उतनी ही मात्रा में प्याज डाले गए थे। यह सब परमाणु बम के विशेषज्ञों की सलाह पर किया गया था। चूंकि पांच विस्फोटों की योजना थी, इसलिए इतनी बड़ी मात्रा में इनकी जरूरत थी। डीआरडीओ के वैज्ञानिक इन्हें एकत्रित कर रहे थे। उनका अनुसंधान कहता था कि आलू और प्याज से रेडिएशन का प्रभाव कम होता है।
आलू की परत की वजह से बलुआही मिट्टी में बम अपनी जगह से नहीं खिसकते। वहीं, प्याज पर विस्फोट का असर तत्काल दिखाई देता है—इसका रंग नीला हो जाता है, जो परीक्षण की सफलता का प्रमाण माना जाता है। प्याज सेंसर (Sensor) का काम करता है।
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस और मुख्यमंत्री शेखावत विस्फोट के अगले दिन पोखरण पहुंचे और परीक्षण स्थल का निरीक्षण किया। आलू और प्याज के कारण कोई भी collateral damage नहीं हुआ था।
बाद में अमेरिका ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध (economic sanctions) लगाए, लेकिन वाजपेयी ने इसकी परवाह नहीं की।
आज भी पर्यटक पोखरण आते हैं और विस्फोट वाली जगह पर अवश्य जाते हैं। साथ ही, यहां मारवाड़ राठौड़ राजाओं द्वारा 14वीं शताब्दी में निर्मित बालगढ़ किले और देवल सती माता के मंदिर में शीश झुकाते हैं।