कागजों पर, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का पद संवैधानिक है, और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली लोकतांत्रिक सरकार के कारण यह और भी अधिक महत्वपूर्ण है। अब्दुल्ला और उनके मंत्री केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का दौरा करते रहते हैं और सार्वजनिक समारोहों में दिखाई देते हैं। हालांकि, सच कहा जाए तो एलजी सिन्हा शायद उन सभी मंत्रियों से कहीं अधिक दिखाई देते हैं। इसके पीछे की वजह जम्मू-कश्मीर की विशेष परिस्थिति है।
श्री अमरनाथ तीर्थयात्रा कुछ ही दिनों में शुरू होने वाली है। इसलिए एलजी मनोज सिन्हा ने तीर्थयात्रियों को दी जा रही सुविधाओं का खुद निरीक्षण करने के लिए बालटाल और पहलगाम का दौरा किया है। चूंकि वे शासन की पंक्ति में सबसे आगे हैं, इसलिए वरिष्ठ अधिकारियों के पास हर उस शिविर में जहां तीर्थयात्रियों को ठहराया जाना है, उसकी हर छोटी-छोटी जानकारी की जांच करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
जब हम जम्मू-कश्मीर की बात करते हैं, तो आतंकवाद की बात हमेशा पृष्ठभूमि में होती है। रविवार को भी ऐसा ही हुआ, जब मनोज सिन्हा ने पहलगाम के शिविरों में सभी सुविधाओं का गहनता से निरीक्षण किया और साथ ही आतंकवाद के पीड़ितों के परिवारों को एक साथ लाने के लिए श्रीनगर में आयोजित एक समारोह में भाग लिया।
'आतंक के दबाव में सालों से दबाई जाती रही सच्चाई'
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को श्रीनगर में कहा, 'मुझे पता है कि सालों तक आतंकी इकोसिस्टम के दबाव में सच्चाई को दबाया गया। अब परिवार पाकिस्तान और कश्मीर में उसके समर्थकों को बेनकाब कर रहे हैं। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि असली दोषियों को, चाहे वे जम्मू-कश्मीर में हों या पाकिस्तान में छिपे हों, कड़ी से कड़ी सजा मिले।'
उन्होंने कहा, 'हमें समाज में मुखौटे पहने लोगों को बेनकाब करना चाहिए। हमें समाज की चुप्पी तोड़नी चाहिए और अत्याचार करने वालों के खिलाफ बोलना चाहिए।' एलजी सिन्हा एक समारोह में भाग ले रहे थे, जहां पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के पीड़ित एकत्र हुए थे। उन्होंने पिछले तीन दशकों में आतंकवादियों द्वारा मारे गए आम कश्मीरी नागरिकों के कई परिवार के सदस्यों से भी बातचीत की।
यह एक तरह से कश्मीर में निर्दोष नागरिकों के परिवारों के बलिदान को मान्यता देने का एक ऐतिहासिक कदम था। फिर चाहे उनकी मृत्यु इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) से हुई विस्फोट से हो या आतंकवादियों द्वारा अंधाधुंध गोलीबारी से। पाकिस्तानी आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हुए आम कश्मीरी नागरिकों को श्रद्धांजलि देते हुए एलजी सिन्हा ने उनके परिवार के सदस्यों को नमन किया।
सेव यूथ, सेव फ्यूचर फाउंडेशन नाम की एक एनजीओ ने आतंकवादियों द्वारा पीड़ितों के परिवारों पर किए किए गए अत्याचारों का दस्तावेजीकरण करने में प्रमुख भूमिका निभाई है। 1990 से अब तक 40,000 से अधिक लोग, जिनमें नागरिक, सुरक्षाकर्मी और यहां तक कि बच्चे भी शामिल हैं, आतंकवाद के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। कई मामलों में, आतंकवादियों द्वारा आम कश्मीरियों की हत्या से संबंधित मामलों में एफआईआर दर्ज नहीं की गई। एलजी के संकेत के अनुसार यह सब रवैया जल्द ही बदल सकता है।
'आतंकियों के जनाजे जुलूस के तौर पर निकलते थे'
केंद्र सरकार ने आतंकवाद से प्रभावित परिवारों को अपना दर्द साझा करने और आतंकी इकोसिस्टम की साजिशों को उजागर करने के लिए यह पहल शुरू की है। एलजी मनोज सिन्हा ने कहा, 'दशकों तक, इन परिवारों को हाशिए पर रखा गया और उनकी आवाज नहीं सुनी गई। न्याय से वंचित किया गया। उनके दर्द को नजरअंदाज किया गया, उनकी कहानियों को अनकहा कर दिया गया और सच को जानबूझकर दबा दिया गया। सैकड़ों परिवारों को यह कहने की ताकत और समर्थन मिला है कि उनके प्रियजनों को पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मार डाला था। यह चौंकाने वाला है कि 2019 से पहले, आतंकवादियों के जनाजे के जुलूसों की अनुमति दी गई थी, जबकि आतंकवादियों द्वारा मारे गए हजारों आम कश्मीरियों को भुला दिया गया और उन्हें स्वीकार नहीं किया गया।'
उन्होंने आतंकवाद पीड़ितों के परिवार के सदस्यों से कहा कि जो सरकारी नौकरी के हकदार हैं, वे अपने मामले संबंधित उपायुक्तों (डीसी) के समक्ष प्रस्तुत करें। उन्होंने उन्हें एक महीने के भीतर इन नियुक्तियों की त्वरित प्रक्रिया का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि जो परिवार के सदस्य अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
एलजी सिन्हा ने कहा, 'जिन मामलों में एफआईआर दर्ज नहीं की गई है, उन मामलों में एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए जाएंगे। आतंकवाद पीड़ितों के परिवारों की जमीन और संपत्ति को आतंकवादियों के समर्थकों या अलगाववादी तत्वों द्वारा अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए भी कार्रवाई की जाएगी।'
एलजी ने कहा कि सरकार और सुरक्षा तंत्र पीड़ितों की आवाज को सामने लाने और न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि जहां हमारा देश दिन-प्रतिदिन आगे बढ़ रहा है, वहीं हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान, जिसे वैश्विक आतंकवाद का केंद्र और आतंकवाद को जन्म देने के रूप में जाना जाता है, वो लड़खड़ा रहा है। पाकिस्तान के अधिकांश नागरिक नियमित रूप से दो वक्त की रोटी का प्रबंध भी नहीं कर पा रहे हैं।
'पाकिस्तान सबसे बड़ा भिखाड़ी'
एलजी ने कहा, 'आज पाकिस्तान की गिनती दुनिया के सबसे बड़े भिखारियों में होती है और हमारा देश दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। आज हमारे युवा जहां नवाचार और उद्यमिता में नाम कमा रहे हैं, वहीं पाकिस्तान अपने युवाओं को आतंकी प्रशिक्षण शिविरों में भेज रहा है। उसका लक्ष्य आम कश्मीरियों को मारना है। लेकिन, हमने ऑपरेशन सिंदूर ने एक नई रेखा खींची है और हम दुश्मन के किसी भी दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देंगे।'
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में त्वरित समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं और सुरक्षा अधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं कि इन परिवारों को न्याय, मान्यता और समर्थन मिले, जिसके वे हकदार है पर वर्षों से चुप हैं।
एलजी सिन्हा ने कहा, 'मैं पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से प्रभावित सभी परिवारों को यह आश्वासन भी देता हूं कि आपके दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।' आतंकवाद के शिकार परिवारों के सदस्यों के साथ बातचीत के दौरान, इन परिवारों ने दशकों से चल रहे झूठे प्रचार और कश्मीर घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान की भूमिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि एक फर्जी और खतरनाक कहानी को बढ़ावा दिया गया, जिसमें पाकिस्तानी आतंकवादियों को पीड़ित और भारतीय सुरक्षा बलों को हमलावर के रूप में चित्रित किया गया। इसके उलट वास्तविक पीड़ितों, पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा मारे गए आम कश्मीरियों को अलगाववादी संगठनों और इकोसिस्टम के प्रभाव के कारण नजरअंदाज किया जाता रहा।