फाइल फोटो
पूरे भारत से अलग-अलग जगहों से आए निर्दोष हिंदू पर्यटकों का 22 अप्रैल को लश्कर-ए-तैयबा (LeT) द्वारा गठित एक संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) के आतंकवादियों द्वारा नरसंहार किया गया। असल में, यह दुनिया को धोखा देने और इस गलत धारणा फैलाने के लिए पाकिस्तान द्वारा की गई एक चाल है कि उसने लश्कर को अपंग बना दिया है। पाकिस्तान की सैन्य खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) को यह कदम उठाने के लिए बाध्य होना पड़ा क्योंकि देश फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की आलोचना का सामना कर रहा था।
बहरहाल, 23 अप्रैल को पहलगाम की घटना के 24 घंटे से कुछ अधिक समय बाद भारत ने कुछ कड़े फैसले लेते हुए पाकिस्तान को नरसंहार को अंजाम देने और उसकी योजना बनाने के लिए घेरने की कोशिश की। यह एक तरह से भारत की ओर से बदले की शुरुआत थी। भारत के कई फैसलों में सबसे अहम सिंधु जल संधि (IWT) के बारे में किया गया ऐलान था। सिंधु जल संधि को तुरंत स्थगित करने के भारत के फैसले से पाकिस्तान में हलचल मच गई। हालांकि, इसके शीर्ष नेता बहादुरी दिखाने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं।
IWT को स्थगित रखने का फैसला हमारे विरोधी के लिए बहुत गंभीर हैं और इसका पूरा प्रभाव आने वाले दिनों, हफ्तों और महीनों में स्पष्ट होता जाएगा। केवल घोषणा करने से संतुष्ट नहीं होकर, भारत सरकार शॉर्ट टर्म, मध्यावधि और लंबे समय तक पाकिस्तान के खिलाफ इस्तेमाल किए जा सकने वाले विकल्पों को तलाशने के लिए उत्सुक है। भारत सरकार ऐसा करने में गंभीरता से लगी हुई है और पाकिस्तान को वहीं चोट पहुँचाना चाहती है जहाँ उसे सबसे ज्यादा चोट पहुँचती है।
सिंधु जल संधि का एकतरफा निलंबन
सिंधु जल संधि में 12 अनुच्छेद और कई परिशिष्ट हैं, जिनमें से कोई भी भारत और पाकिस्तान में से किसी एक पक्ष द्वारा एकतरफा निर्णय जैसी स्थिति से संबंधित नहीं है। दरअसल, सीधे शब्दों में संधि को स्थगित रखने की इस एकतरफा कार्रवाई का कोई प्रावधान नहीं है और यह भी स्पष्ट नहीं है कि आने वाले दिनों में विश्व बैंक भारत के कदम पर किस तरह से प्रतिक्रिया देगा। विश्व बैंक में जाकर भारत के खिलाफ शिकायत करना एक ऐसी चीज है जिस पर पाकिस्तान निकट भविष्य में विचार कर सकता है।
सिंधु जल संधि से संबंधित अंतिम प्रावधान अनुच्छेद XII में दिए गए हैं और ये परिभाषित करते हैं कि संधि कैसे लागू होगी और इसे कैसे संशोधित किया जा सकता है। अनुच्छेद XII (3) के तहत समझाया गया है कि कैसे आपसी परामर्श से समय-समय पर इसमें संशोधन किया जा सकता है। यहां ये जानना भी जरूरी है कि अनुच्छेद XII एक बहुत छोटा अनुच्छेद है और इसमें 1, 2, 3 और 4 शामिल हैं, जिन्हें बमुश्किल 130 शब्दों में समेटा गया है।
संधि लागू होने के 62 वर्षों के बाद, भारत ने 25 जनवरी, 2023 को इसके संशोधन की मांग करते हुए अनुच्छेद XII का हवाला दिया। पाकिस्तान की प्रतिक्रिया इतनी भयावह थी कि उसने भारत की दलील सुनने से सीधे तौर पर इनकार कर दिया। धैर्य दिखाते हुए भारत ने 30 अगस्त, 2024 को संधि में संशोधन के लिए दूसरा नोटिस जारी किया, जिसके परिणाम वही रहे। पाकिस्तान ने भारतीय अनुरोध को फिर अस्वीकार कर दिया और भारत कुछ नहीं कर सका।
बहरहाल, अब पाकिस्तान को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि भारत ने ऐसी कार्रवाई की है जिसका संधि में कोई प्रावधान नहीं है। अब उसे जवाब देना चाहिए और अपने किसानों को बताना चाहिए कि वह अपनी हठधर्मिता से पैदा हुई स्थिति से कैसे निपटने की योजना बना रहा है।
रामायण में एक प्रसंग आता है जहाँ श्री राम समुद्र देव से लंका जाने का रास्ता देने के लिए कहते हैं। कई दिनों तक, श्री राम सुबह और शाम को यह अनुरोध करते हैं। कुछ नहीं होता। इससे श्री राम क्रोधित हो जाते हैं और वे एक विशेष बाण निकालते हैं और समुद्र से कहते हैं कि प्रार्थना का समय समाप्त हो गया है। यह कार्रवाई का समय है और कार्रवाई का अर्थ होगा उसकी मृत्यु (पूरी तरह सूख जाना)।
श्री राम की सात दिनों की प्रार्थना से जो हासिल नहीं हुआ, वह कुछ ही मिनटों में हासिल हो गया जब उन्होंने अपना गुस्सा दिखाया। यह ऐसा क्षण है जब भारत सरकार अपनी ताकत दिखाने को तैयार है और उसने ऐसा करना शुरू कर दिया है। दूसरी ओर पाकिस्तान अब काफी दबाव में आएगा।
पाकिस्तान पर पड़ने वाला असर
आने वाले दिनों में, गर्मी चरम पर होगी और पाकिस्तान के लिए चिंता की कोई बात नहीं होगी। हालाँकि, उसके तुरंत बाद, बारिश का मौसम होगा जब नदियाँ उफान पर होंगी और उग्र रूप से बहेंगी। संधि के स्थगित होने के कारण भारत अब पाकिस्तान को पानी के बहाव के बारे में कोई डेटा नहीं देगा। ऐसे में वह बाढ़, अचानक आने वाली बाढ़ और इससे भी बदतर चुनौतियों से निपटने की योजना समय रहते नहीं बना सकता। आंकड़े बहुत काम आते है और इसीलिए IWT में डेटा शेयरिंग के बारे में प्रावधान हैं।
हमने अभी एक कदम उठाया है। इसमें IWT को एकतरफा रूप से स्थगित रखने की बात हुई है। यह हमारी ओर से शुरू की गई न्यूनतम शुरुआत है और अब अन्य चीजें भी होंगी। ऐसी कई चीजें हैं जो करने योग्य हैं और जो पाकिस्तान में बहुत परेशानी लेकर आएगी और तबाही मचा सकती हैं। ये सब करने पर पाकिस्तान केवल बहुत दर्द में तड़प सकता है और बदले में कुछ नहीं कर सकेगा।
वुलर झील की खुदाई
भारत सरकार द्वारा उठाए जा सकने वाले सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण कदमों में से एक वुलर झील की खुदाई है, जिसके माध्यम से झेलम नदी बहती है और पाकिस्तान में जाती है। संयोग से, यह उस परियोजना पर काम शुरू करने का सबसे अच्छा समय भी है, जो अगस्त 2012 में हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) द्वारा किए गए आतंकवादी हमले के बाद बाधित हो गई थी। 7 सितंबर, 2014 को मूसलाधार बारिश के कारण ड्रेजिंग में यह बाधा पूरे कश्मीर के लिए बहुत हानिकारक साबित हुई थी। अगर 27 अगस्त, 2012 को आदिपोरा में हमले के कारण वुलर की खुदाई बाधित नहीं हुई होती, तो कश्मीर में बाढ़ इतनी विनाशकारी नहीं होती।
मौसम के लिहाज से भी आने वाले दिनों में कश्मीर में छह महीने के काम का अवसर है। उसके बाद खुदाई जारी रखना अधिक कठिन होगा। लेकिन यह तभी किया जा सकता है जब हम दुश्मन को दंडित करने के लिए उत्सुक हों। एक बार जब भारत सरकार राजनीतिक संकल्प दिखाए, तो खराब मौसम शायद ही कोई बाधा बनेगी।