नई दिल्ली: शहीद भगत सिंह और उनके साथियों राजगुरु और सुखदेव के शहीदी दिवस के मौके पर आगामी रविवार को गोल मार्केट के करीब भगत सिंह पैलेस पर लगी भगत सिंह की मूरत के आगे उन शहीदों को याद किया जाएगा। जरा विडंबना देखिए कि वहां से एक-डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर अब भी उस शख्स के नाम पर सड़क है, जो जलियांवाला बाग कांड के समय भारत का वायसराय था। यही नहीं, उसने उस कत्लेआम पर अफसोस तक नहीं जताया था।

बात हो रही हैं चेम्सफोर्ड रोड की। दिल्ली वाले जानते हैं कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के ठीक सामने जो सड़क है, उसका ही नाम चेम्सफोर्ड रोड है। लार्ड चेम्सफोर्ड 1916 से लेकर 1921 तक भारत का वायसराय रहा। भगत सिंह की शख्सियत पर जलियांवाला कांड का गहरा असर हुआ था। बीते कई सालों से भगत सिंह पैलेस में भगत सिंह की जयंती और शहादत पर कार्यक्रम आयोजित करने वाले सोशल वर्कर प्रीतम धारीवाल कहते है कि ये सिर्फ भारत में ही संभव है कि जलियांवाला बाग जैसे दिल दहलाने वाले कत्लेआम के समय भारत में तैनात वायसराय के नाम पर राजधानी में एक सड़क और क्लब है।

चेम्सफोर्ड रोड का नाम क्या हो

बेहतर होगा कि चेम्सफोर्ड रोड का नाम भगत सिंह की परम सहयोगी दुर्गा भाभी के नाम पर रखा जा सकता है। दुर्गा भाभी, जिनका पूरा नाम दुर्गा देवी वोहरा था, ने एक बार भगत सिंह को उनकी पत्नी बनकर पुलिस से बचाया था। वो मशहूर हुईं दुर्गा भाभी के रूप में। वो महान क्रांतिकारी थीं दुर्गा भाभी असली जिंदगी में पत्नी थी हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचएसआरए) के सदस्य भगवती चरण वोहरा की। इसी संगठन के सक्रिय सदस्य भगत सिंह थे।

 सबसे पहले पहाड़गंज की भगत सिंह स्ट्रीट

 आप नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से निकलकर पहाड़गंज पहुंचते हैं। वहां पर आपको चूना मंडी में भगत सिंह स्ट्रीट के बोर्ड दिखाई देते हैं। पहाड़गंज में भगत सिंह स्ट्रीट खास है। खालसा कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. हरमीत सिंह बताते हैं कि भगत सिंह और उनके साथियों को 23 मार्च,1931 को लाहौर में फांसी दिए जाने के बाद तुरंत बाद पहाड़गंज वालों ने चूना मंडी में एक गली का नाम अपनी पहल पर भगत सिंह स्ट्रीट रख लिया। हालांकि तब देश में अंग्रेजों का राज था। देश आजाद हुआ तो भगत सिंह स्ट्रीट को आधिकारिक रूप से भी मान्यता भी मिल गई। कहने वाले कहते हैं कि देश में भगत सिंह के नाम पर पहाड़गंज से पहले कोई प्रतीक नहीं था।

 भगत सिंह को बचाने के लिए बापू की पहल

भगत सिंह और उनके दोनों साथियों को फांसी से बचाने के लिए 7 मार्च, 1931 को लाल किले के करीब के एडवर्ड पार्क ( अब सुभाष पार्क) में महात्मा गांधी ने एक बड़ी सार्वजनिक सभा को संबोधित किया था। उस सभा में पहाड़गंज वालों की भारी मौजूदगी रही थी। दिल्ली के गांवों से भी सैकड़ों लोग एडवर्ड पार्क पहुंचे थे। गांधी जी तब दरियागंज में कांग्रेस के नेता डॉ. एम.ए. अंसारी के घर में रहते थे।