आचार्य किशोर कुणाल जिनका हृदय गति रुक जाने से 30 दिसंबर को पटना में निधन हो गया, को लोग हनुमान भक्त के रूप में जानते हैं। वे पटना जंक्शन के बाहर विशाल हनुमान मंदिर ट्रस्ट के आजीवन सचिव रहे। अयोध्या में राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य और चंपारण मद केसरिया के पास विश्व के सबसे ऊंचे राम मंदिर के निर्माता रहे।
कुणाल जिन्होंने 2001 में गुजरात पुलिस में अपर महानिदेशक( जेल) के पद से वॉलंटरी रिटायरमेंट ली जब उनका सेवा काल 8 साल बचा था। इस्तीफा देते वक्त कुणाल ने गुजरात के मुख्यमंत्री को बताया ” मैं ज्यादा दिनों तक हनुमान जी से अलग नहीं रह सकता हूं, मुझे महावीर मंदिर में ही काम करना है।”
यद्यपि वे हनुमान भक्त कट्टर हिंदू थे, पर सभी धामों के लिए सद्भावना रखते थे। जब उनका शव महावीर मंदिर लाया गया, बंगाल स्थित जमा मस्जिद के कई मुस्लिम मुजावर भी फूल डालने आए थे। जब उन्होंने केसरिया में विराट राम मंदिर के लिए कार्य आरम्भ किया, स्थानीय मुस्लिम जमींदारों ने भी अपनी कीमती जमीन मंदिर के लिए दी।
जब पटना जंक्शन महावीर मंदिर के उद्घाटन का समय आया, तब अयोध्या के महंत भी पधारे। उसी मंदिर में दिल्ली से सैयद बुखारी और धर्मशाला से डाले लामा और द्वारका से जगद गुरु शंकराचार्य आए। उन्होंने अपने इकलौते बेटे सायन की शादी में जहां मोहन भागवत को बुलाया, वहीं सैयद बुखारी भी आए।
कुणाल खुद बिहार की ऊंची जाति भूमिहार से आते थे, बेटे की शादी एक महादलित लड़की से करने की इजाजत दी। उन्होंने कभी दलित देवता होते हैं पुस्तक लिखी। उन्होंने इसे अपने परिवार में भी लागू किया
मुझे याद है तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने इनका मजाक उड़ाया था और धमकी दी, जो ऑफिसर मंदिर के घंटा बजाता है, सरकर की नौकरी नहीं कर सकता। कुणाल ने भारत के किसी मंदिर में पहली बार तीस साल पहले अयोध्या से दो महादलित को बुलाया और महावीर मंदिर का पुजारी नियुक्त किया। इन्हें सामाजिक मान्यता भी दिलाई।
कुणाल 1972 में भारतीय पुलिस सेवा में गुजरात में नियुक्त हुए। बाद में central industrial security force में उपमहानिरीक्षक रहे। उन्हें पीवी नरसिम्हा राव ने गृह मंत्रालय में अयोध्या मामलों का अधिकारी नियुक्त किया था। मुलाजिम और हिंदू पक्षकारों के बीच निगोशिएशन की जिम्मेदारी थी, एक फॉर्मूला भी तैयार हुआ।
कुणाल ने मुझे छह दिसंबर1992 की शाम बताता था” मैने प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव नरेश चन्द्र जी से फोन पर बात की। जानना चाहता था प्रधानमंत्री की क्या प्रतिक्रिया थी। उन्होंने कहा, सब हनुमान जी कृपा। अपने त्याग पत्र के बाद वे लाल किशन आडवाणी से मुलाकात किये। आडवाणीजी ने एक शब्द नहीं कहा। बाद में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख के सा सुदर्शन जी मुलाकात की। कुणाल ने बताया, अब आप अयोध्या जी पर ध्यान दीजिए, धर्म की दीवा करिए।
कुणाल ने महावीर मंदिर में तिरुपति मंदिर की तरह ही नैयावॉद्यम लड्डू प्रसाद के रूप में देने का इंतजाम किया। भक्तों द्वारा चढ़ावे में दिए गए रुपयों से ने अस्पताल बना । महावीर कैंस अस्पताल बिहार का सबसे बड़ा अस्पताल है। फिर बच्चों के लिए दो अस्पताल बने। हृदय रोगियों के लिए विशाल अस्पताल भी बना। कोरोना काल में ऑक्सीजन सिलेंडर बांटे। नौ सदस्यीय मंदिर समिति जिसने पांच व्यक्ति एकाध प्राप्त हाईकोर्ट न्यायधीश हैं और एक मुख्य सचिव हैं, सारी व्यवस्था देखते हैं।
माता वैष्णव देवी मंदिर की जितनी कमाई होती है, पूरे उत्तर भारत ने महावीर मंदिर का दूसरा नंबर आता है कुणाल ने एक उदाहरण पेश किया- मंदिर को समाज के लिए कैसे समर्पित किया जा सकता है।
बिहार में एक पुलिस ऑफिसर के रूप में उनके कई किस्से हैं। रोहतास में पुलिस ऑफिसर ने डालमियानगर उद्योग के प्रबंध निदेशक को गिरफ्तार किया अपराध था मजदूरी का पैसा नहीं देना। पलामू में अधीक्षक के रूप में जिन्होंने सत्तारूढ़ दल के विधायक को हवाई जहाज जिसपर मुख्यमंत्री सवार थे, उतार कर हवाई अड्डे से ही गिरफ्तार किये।