Narowal: Sikh devotees at Gurdwara Darbar Sahib Kartarpur on the death anniversary or ‘Joti Jot’ of Guru Nanak Dev, in Narowal district, Pakistan, (IANS/Pawan Sharma)
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साल 2019 के अंत में नवंबर में भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर खोला गया था। इसे उन सिख तीर्थयात्रियों के लिए बेहद सकारात्मक कदम माना गया जो दूसरी तरफ बमुश्किल कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित अपने गुरुद्वारे की यात्रा करना चाहते थे। करतारपुर साहिब गलियारे की सबसे अच्छी बात तीर्थयात्रियों को वीजा मुक्त सुविधा प्रदान करना था। परदे के पीछे और लोगों की नजरों से दूर रहते हुए भारत और पाकिस्तान की सरकारों ने इसे संभव बनाने के लिए लंबे समय तक काम भी किया था।
पाकिस्तान के 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' की एक रिपोर्ट के अनुसार अब दोनों सरकारों ने 24 अक्टूबर, 2029 तक अगले पांच वर्षों के लिए करतारपुर को लेकर समझौते को कायम रखने का फैसला किया है। दोनों पक्षों ने तीर्थयात्रियों की वीजा मुक्त यात्रा के लिए एक समझौते पर पांच साल पहले हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के खत्म होने से कुछ दिन पहले ही अब दोनों पक्षों ने इसे और पांच साल के लिए बढ़ा देने का फैसला किया है।
करतारपुर गलियारा समझौता: तारीख का जिक्र नहीं...
दिलचस्प बात यह है कि सामने आई रिपोर्ट्स में उस तारीख का कोई जिक्र नहीं है कि कब करतारपुर गलियारे को लेकर समझौते को बढ़ाने पर सहमति बनी। इस पर अब तक न तो पाकिस्तानी विदेश कार्यालय और न ही दिल्ली स्थित भारतीय विदेश मंत्रालय ने कोई आधिकारिक टिप्पणी की है। अहम बात ये भी है कि हर शुक्रवार को पाकिस्तान का विदेश कार्यालय (एफओ) आधिकारिक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करता है। हालाँकि, विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने भी पिछले सप्ताह इस समझौते को बढ़ाने को लेकर हुई बातचीत आदि पर कुछ नहीं कहा था।
उस समय करतारपुर पहल को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय से व्यापक सराहना मिली थी। गुटेरेस ने इसे 'आशा का गलियारा' बताया था। इसे ऐसा कहने का कारण यह था कि फरवरी और अगस्त-2019 की कई घटनाओं ने दोनों पक्षों के बीच तनाव काफी बढ़ा दिया था।
फरवरी 2019 में पुलवामा ब्लास्ट की घटना हुआ जिसके बाद भारत की ओर से पाकिस्तान में बालाकोट एयर स्ट्राइक किए गए। वहीं, अगस्त 2019 में भारत की संसद ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 35-ए और 370 को निरस्त कर दिया। इन दोनों घटनाओं से भारत-पाकिस्तान संबंध बेहद तनावपूर्ण हो गए थे।
बहरहाल, वीजा मुक्त गलियारे के खुलने से तनाव कम हुआ और दोनों पक्षों के बीच लोगों का संपर्क बढ़ा। उद्घाटन समारोह में दोनों पक्षों के कई प्रमुख नेता शामिल हुए। तब पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान ने गलियारे का उद्घाटन किया था, जबकि पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, नवजोत सिंह सिद्धू और अन्य भारतीय भी इसमें शामिल हुए थे।
शारदा पीठ की यात्रा के लिए गलियारे की 'उम्मीद'
करतारपुर गलियारे की उपलब्धि की पूरी क्षमता भी संभवत: हासिल नहीं की जा सकी क्योंकि इन सालों में यह भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों के साये से प्रभावित रहा। साल 2019 की शुरुआत में, पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर के मुजफ्फराबाद जिले में शारदा पीठ की यात्रा के लिए कुपवाड़ा जिले के टीटवाल के पास एक और गलियारे के संभावित उद्घाटन पर दोनों पक्षों के बीच चर्चा हुई थी। साल 2023 के अंत में और इस साल की शुरुआत में दोनों पक्षों के बीच शारदा पीठ कॉरिडोर को लेकर फिर चर्चा हुई लेकिन अब तक कुछ ठोस सामने नहीं आया है।
पाकिस्तान के पंजाब की मुख्यमंत्री और नवाज़ शरीफ की बेटी मरियम नवाज ने व्यक्तिगत रूप से करतापुर कॉरिडोर का दौरा किया था। वहां तीर्थयात्रियों के साथ उनका घुलना-मिलना और उन्हें सभी सुविधाओं का आश्वासन देना दोनों पक्षों के बीच तनाव कम करने के प्रयासों के रूप में देखा गया। उनके पिता नवाज शरीफ और पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बड़े भाई ने समय-समय पर दोनों पक्षों को बातचीत के लिए आगे बढ़ाने की कोशिश की है। यहां इस पर भी गौर करना चाहिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार को पाकिस्तानी कैबिनेट में नवाज का आदमी माना जाता है।
करतारपुर गलियारे को लेकर पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, 'पाकिस्तान सरकार ने तीर्थयात्रियों को पांच साल की अतिरिक्त अवधि के लिए गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर, नारोवाल पाकिस्तान जाने की सुविधा के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच समझौते के नवीनीकरण की घोषणा की है।'
इसमें आगे कहा गया है, 'समझौते का नवीनीकरण अंतर-धार्मिक सद्भाव और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान की स्थायी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।'