आज प्रधानमंत्री संग्रहालय से पंडित नेहरू के पत्रों की वापसी की मांग पर विवाद हो रहा है। तीस साल पहले, इसी तरह का विवाद भुवनेश्वर में भी हुआ था। तत्कालीन मुख्यमंत्री बीजू पटनायक ने राज्य सभा में हुई रिक्तियों को भरने के लिए दो महिला नेताओं को जनता दल से उम्मीदवार बनाया था। इस प्रयास में पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री रहे नीलमणि राउतराय भी लगे रहे, लेकिन बीजू बाबू ने उन्हें निराश किया।
अगले दिन नीलमणिजी ने खुले रूप से आरोप लगाया कि पटनायक ने अपने महिला मित्रों को ऑब्लाइज किया। टाइम्स ऑफ इंडिया ने यह खबर पहले पन्ने पर स्प्रेड कर छापी। इसके बाद मुख्यमंत्री का मुझे सुबह फोन आया। उन्होंने कहा- क्या रे,तुम क्या छाप दिया कि मैं अपने गर्ल फ्रेंड्स को राज्य सभा में भेजा है? मैने जवाब दिया और कहा कि “मैने अपने मन से नहीं लिखा है,आपके पुराने मित्र नीलमणि जी ने जो कहा,वही छपा।” बीजू बाबू ने कहा, “तुम बाहर से आते हो, इसीलिए नहीं पता है। उड़ीसा में कहावत है, बीजू,बिरेन और नीलमणि कहा मिलेंगे, जहां W और W होंगे।”
मुख्यमंत्रीजी ने कहा, मेरे पास भी नीलमणि का लव लेटर्स है, छापेगा। मैने कहा,जरूर। फिर उन्होंने फॉरेस्ट पार्क स्थित निवास पर बुलाया और सही में कुछ चिठ्ठियां दी,जो अगले दिन फिर पहले पेज पर छपी। मुख्यमंत्री के अनुसार राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बिरेन मित्र भी नीलमणि जैसे उनके पुराने मित्र रहे हैं।
जब एक कार्यक्रम में खुद के चरित्र का किया जिक्र
बीजू बाबू ने ऑल इंडिया विमेन कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन रविन्द्र भवन में किया और उनके प्राथमिक उदगार थे, “मुझे आश्चर्य है। मुझे क्यों मुख्य अतिथि बना कर आपने बुलाया। मेरे क्रेडेंशल्स (चरित्र) के बारे में आप लोगों को पता है। एक बार घर का पालतू कुत्ता गायब हो गया,तीन दिन के बाद लौटा तो मेरी पत्नी ने कहा” जैसा मालिक, वैसे ही उसका कुत्ता”।
मुख्यमंत्रीजी गंजाम जिला में एक कॉलेज के कार्यक्रम में गए। उन्होंने कॉलेज की पांच छात्राओं को उनके साथ जहाज में राजधानी आने का निमंत्रण दिया। जिसे बच्चियों ने स्वीकार कर लिया। साथ में गए मंत्रीगण को कलेक्टर ने सड़क मार्ग से वापिस किया। बीजू बाबू से एक महिला पत्रकार ने प्रेस कॉन्फ्रेस में पूछा आप दिल्ली जा रहे हैं, दूसरा स्टील प्लांट कब लगेगा? मुख्यमंत्री ने उनके कंधे पर हाथ रख कर कहा, तुम जब चाहेगी तब, चल मेरे साथ दिल्ली।
बीजू पटनायक अपनी स्पष्टवादिता और निर्भीकता के लिए जाने जाते थे
बीजू बाबू अपनी साहसिकता, स्पष्टवादिता और निर्भीक कार्यों व बयानों के लिए जाने जाते थे। उनका सिद्धांत था, किसी से द्वेष नहीं। इनके जैसा कोई स्पष्ट बोलने वाला नेता मैने नहीं देखा। एक बार उन्होंने पार्टी अध्यक्ष एस.आर. बोम्मई से कहा, “ओडिशा (गोपालपुर समुद्र तट) जैसी जगह तुम्हारे जैसे लोगों के लिए नए साल का जश्न मनाने के लिए नहीं हैं। जाओ, लालू और रामविलास के साथ मौज करो।” कर्नाटक के पूर्व सीएम को उड़ीसा ने ही राज्य सभा में भेजा था।
इसी तरह प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को भी उन्होंने कहा कि “मुझे देशभक्ति के पाठ न पढ़ाओ। मैं उस समय राजनीति में था जब तुम पैदा भी नहीं हुए थे।” मुख्यमंत्री ने धमकी दी थी यदि उड़ीसा के साथ अन्याय होता रहा तो राज्य अलग भी हो सकता है।
1991 लोकसभा चुनावों में चंद्रशेखर- देवी लाल का नारा था “चालीस साल बनाम चार महीने”। बीजू बाबू ने भुवनेश्वर एयरपोर्ट पर दो केंद्रीय मंत्रियों के पेट पर हाथ रखते हुए चंद्रशेखर से कहा, “चार महीने की उपलब्धि देख लो।” यह बयान उन मंत्रियों द्वारा अवैध रूप से अर्जित संपत्ति पर कटाक्ष था।
भद्रक में सांप्रदायिक दंगों के बाद अटल बिहारी वाजपेयी के बयान पर भी बीजू बाबू ने कटाक्ष किया था। जब वाजपेयी ने कहा कि “व्यापारियों और उद्योगपतियों को बड़ा नुकसान हुआ है।” बीजू बाबू ने जवाब दिया, “क्या हुआ? वे तो राजस्थान से सिर्फ एक लोटा लेकर आए थे।”
राजीव गांधी के प्रस्ताव पर दिया खरा जवाब
पारादीप में दूसरे स्टील प्लांट के लिए स्वराज पॉल के साथ साझेदारी का सपना देखते हुए जब पीएमओ के संयुक्त सचिव (मोंटेक सिंह) ने देरी की शिकायत की, तो बीजू बाबू ने मीडियाकर्मियों के सामने कहा, “मुझे सबको ठीक करना होगा- चपरासी से लेकर प्रधानमंत्री (from peon to pm ) तक।
जब चंद्रशेखर सरकार हरियाणा पुलिस के दो जवानों की वजह से गिरी तो राजीव गांधी ने बीजू बाबू से कांग्रेस में शामिल होने और राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने का सुझाव दिया। बीजू बाबू का जवाब था, “तुमने मेरी गोद में खेला है। यह कितनी बेवकूफी भरी बात कर रहे हो।”
मीडिया और न्यूज रिपोर्टर पर कटाक्ष
टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक बार खबर प्रकाशित की कि ओडिशा के जनता दल सांसद कांग्रेस में शामिल होने वाले हैं। जब संपादक ने बीजू बाबू से उनकी प्रतिक्रिया मांगी, तो उन्होंने कहा, “बकवास! बकवास!” संपादक के महत्व को लेकर उन्होंने कहा, “तो उसमें क्या बड़ी बात है।” एक बार कटक हाईवे पर उन्होंने दिल्ली से आए रिपोर्टर को अपनी गाड़ी से उतार दिया और कहा, “तुम्हारा इंटरव्यू खत्म हो चुका है।”
बीजू पटनायक ने अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत पूरी में जगन्नाथ मंदिर से की थी और दावा किया कि उनसे कलिया (जगन्नाथ) से बात हो गई है और उन्होंने आश्वासन दिया उनकी पार्टी लोक सभा की सभी सीटों पर जीतेगी। बीजू बाबू को उनकी साहसिकता, स्पष्टवादिता और ईमानदारी के लिए आज भी याद किया जाता है।