राज की बातः कॉलेजों की किस्मत भी अब 'भाग्य' भरोसे! बिहार में लॉटरी से निकले प्रिंसिपल्स के नाम

विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा आयोजित इंटरव्यू में साइंस कॉलेज में 32 वर्षों से भूगर्भ विभाग में पढ़ा रहे प्रोफेसर अतुल आदित्य पांडे ने कहा, “इंटरव्यू महज मजाक था, रैगिंग जैसा लग रहा था। मुझसे कम योग्यता वाले लोग मेरा इंटरव्यू ले रहे थे।”

Bihar College principal, Patna College Principal Salary, Patna College Principal Appointment, Lucky Draw Appointment, Bihar Education System, Patna University, PU, Bihar State University Service Commission, BSUSC,

इमेजः एआई

भारत में संभवतः पहली बार लॉटरी ड्रॉ के जरिए बड़े-बड़े कॉलेजों के लिए 116 प्राचार्यों की नियुक्ति की जा रही है। इस लॉटरी प्रक्रिया की शुरुआत पटना विश्वविद्यालय के पांच कॉलेजों से हुई। उदाहरण के लिए, साइंस कॉलेज में प्राचार्य की नियुक्ति कला विभाग से हुई है, जबकि पटना कॉलेज के प्राचार्य वे बने हैं जिन्हें असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए रिजेक्ट कर दिया गया था। होम साइंस की एक शिक्षिका को वाणिज्य महाविद्यालय का प्राचार्य बनाया गया है, जबकि मगध महिला कॉलेज में एक पुरुष शिक्षक को प्राचार्य नियुक्त किया गया है।

राज्यपाल का दावा है कि कुलपति प्राचार्य पदों के लिए "बोली" लगा रहे थे। यह दलील दी जा रही है कि जैसे आईएएस अधिकारियों को ट्रेनिंग के बाद राज्यों में कैडर आवंटन लॉटरी ड्रॉ से होता है, उसी तरह यह प्रक्रिया अपनाई गई।

मार्च माह में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित इंटरव्यू में 172 उम्मीदवार शामिल हुए थे। इंटरव्यू प्रतिदिन सुबह 8 बजे शुरू होता था, जिसमें एक कुलपति और विश्वविद्यालय सेवा आयोग के सदस्य उपस्थित रहते थे। 116 रिक्तियों के लिए 156 लोगों का चयन हुआ।

राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थु ने 16/05/2025 को पत्र संख्या 774 द्वारा सभी कुलपतियों को निर्देश दिया कि आयोग द्वारा अनुशंसित उम्मीदवारों की सूची में से लॉटरी ड्रॉ (randomly) के माध्यम से विभिन्न कॉलेजों में प्राचार्यों की पोस्टिंग की जाए। यह लॉटरी एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी द्वारा निकाली गई, जिसका वीडियो भी बनाया गया। राजभवन के निर्देश पर स्थानीय विधायक को भी बुलाने के लिए कहा गया।

पटना विश्वविद्यालय में साइंस कॉलेज के लिए हाजीपुर के एक गर्ल्स कॉलेज की होम साइंस शिक्षिका अलका यादव को चुना गया। पटना कॉलेज के लिए झांसी के आमिल कुमार और मुजफ्फरपुर के एक शिक्षक का चयन हुआ। वाणिज्य महाविद्यालय के लिए होम साइंस की सुहेली महत्ता, जो एक पूर्व मंत्री की बेटी भी हैं, को नियुक्त किया गया। सौ साल पुराने सिर्फ लड़कियों के लिए बने मगध महिला कॉलेज में एक पुरुष को प्राचार्य नियुक्त किया गया है।

राजभवन के सूत्रों ने बताया कि “पटना के एक पुराने कॉलेज में एक महिला शिक्षिका हैं, जो राज्य के सबसे शक्तिशाली अधिकारी — मुख्यमंत्री के निकटतम सहयोगी — की पत्नी हैं। उनका नाम मेरिट लिस्ट में 100वें स्थान के बाद था। उन पर पटना में ही प्राचार्य नियुक्त करने के लिए दबाव बनाया जा रहा था। जब इस तरह की सिफारिशें बढ़ने लगीं, तो राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने लॉटरी सिस्टम से ही प्राचार्यों की पोस्टिंग का निर्देश दिया।”

लॉटरी से प्राचार्य की नियुक्ति का कोई प्रावधान कानून में नहीं है। पटना विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 (संशोधित 2008) और बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 (संशोधित 2008) के अनुसार, कुलपति ही मेरिट और सीनियरिटी के आधार पर प्राचार्य नियुक्त करते हैं। बिहार में प्राचार्य का पद टेन्योर पोस्टिंग होता है, जिसमें एक प्राचार्य अधिकतम पांच वर्षों के लिए नियुक्त होता है, और बाद में उन्हीं के अधीनस्थ शिक्षक उनकी जगह ले लेते हैं।

विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा आयोजित इंटरव्यू में साइंस कॉलेज में 32 वर्षों से भूगर्भ विभाग में पढ़ा रहे प्रोफेसर अतुल आदित्य पांडे ने कहा, “इंटरव्यू महज मजाक था, रैगिंग जैसा लग रहा था। मुझसे कम योग्यता वाले लोग मेरा इंटरव्यू ले रहे थे।”

उधर सुहेली महत्ता ने वाणिज्य महाविद्यालय में योगदान देने से मना कर दिया है। उनका कहना है, “मैं होम साइंस पढ़ाती रही हूं, कॉमर्स और अर्थशास्त्र से मेरा कोई वास्ता नहीं है।”

पटना विश्वविद्यालय के पांचों कॉलेजों में नियुक्त सभी प्राचार्य अति पिछड़ा वर्ग (EBC), पिछड़ा वर्ग (BC) और अनुसूचित जाति (SC) समुदाय से आते हैं।

होम साइंस के शिक्षक को शुद्ध विज्ञान महाविद्यालय और वाणिज्य महाविद्यालय का प्राचार्य बना दिया गया। एक अन्य प्राचार्य जिन्होंने आयोग में असिस्टेंट प्रोफेसर (लेक्चरर) के लिए आवेदन दिया था, वे 150 वर्ष पुराने पटना कॉलेज के प्राचार्य बन गए। यह सब लॉटरी सिस्टम का ‘कमाल’ है।

यह भी पढ़ें
Here are a few more articles:
Read the Next Article