बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सारे राजनीतिक दल अलर्ट मोड में आ चुके हैं। सत्ताधारी दल के लोक-लुभावन घोषणाओं से लेकर विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा ‘बदलाव, अधिकार’ जैसे पॉलिटिकल की-वर्ड को प्राथमिकता देते हुए यात्राओं के निकलने का दौर चालू हो चुका है।

सभी दल विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी तैयारियों को अंजाम देने में जुट गये हैं। भावी प्रत्याशियों की धड़कनें रूकने का नाम नहीं ले रही है। इन सबके बीच बिहार के सीमांत जिले पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, कटिहार में विभिन्न दलों के स्टार नेताओं की आवाजाही भी बढ़ने लगी है। सीमांचल में 24 विधानसभा सीटें हैं। इन सीटों में से पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को आठ सीटों पर सफलता मिली थी। जबकि कांग्रेस को पांच, जदयू को चार, भाकपा माले को एक तथा राजद को एक सीट मिली थी। सबसे आश्चर्य वाली बात यह थी कि 2020 विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम ने अभूतपूर्व सफलता हासिल करते हुए पांच विधानसभा सीटों पर अपनी जीत दर्ज की थी। हालांकि बाद में ओवैसी की पार्टी के पांच में से चार विधायकों ने अपना पाला बदल लिया था और वह राजद में शामिल हो गए थे।

इस तरीके से सीमांचल में जीत दर्ज करने वाली पार्टियों में जदयू और राजद की सीटें एक समान हो गयी थी।

दरअसल बिहार विधानसभा चुनाव में अब गिने चुने महीने का वक्त बचा है। ऐसे में राज्य का सियासी पारा भी हाई होता रहा है। लोकसभा में नेता विपक्ष कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव 'वोटर अधिकार यात्रा' निकाल रहे हैं। इधर एनडीए के नेता राहुल गांधी -तेजस्वी यादव पर भी जमकर हमला बोल रहे हैं। और इन सबके बीच सबकी निगाहें सीमांत जिलों में बिखरी 24 विधानसभा पर टिकी हुई है।

आगामी 23 अगस्त को सीमांचल के 8 विधानसभा क्षेत्रों से राहुल गांधी गुजरने वाले हैं। वोटर अधिकार यात्रा के दौरान वह कटिहार जिला के 4 पूर्णिया व अररिया जिला के दो-दो विधानसभा क्षेत्रों में जाएंगे।

कांग्रेस नेताओं के मुताबिक 23 अगस्त को बरारी, कोढा, कटिहार और कदवा होते हुए राहुल गांधी पुर्णिया सदर विधानसभा क्षेत्र के खखरैली पहुंचेंगे। जहां वह रात्रि विश्राम करेंगे।

राहुल गांधी 24 अगस्त की सुबह पूर्णिया शहर के बेलौरी, खुश्कीबाग, पंचमुखी मंदिर, रामबाग होते हुए कसबा विधानसभा क्षेत्र पहुंचेंगे। इसके बाद वह अररिया होते हुए नरपतगंज जाएंगे। गौरतलब है कि इससे पहले भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी किशनगंज होते हुए पूर्णिया पहुंचे थे।

माना जा रहा है कि राहुल गांधी के वोटर अधिकार यात्रा से सीमांचल में इंडिया गठबंधन की स्थिति मजबूत हो सकती है। राहुल गांधी के साथ तेजस्वी यादव भी होंगे। इससे गठबंधन के नेताओं के बीच एकजुटता का संदेश जाएगा। यही नहीं माले नेता दीपांकर भट्टाचार्य भी इस यात्रा में साथ नजर आ रहे हैं। दीपांकर की पार्टी के एक मात्र विधायक महबूब आलम कटिहार जिला के बलरामपुर से विधायक हैं।

इस यात्रा को देखने का एक नजरिया पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव भी दे रहे हैं। कांग्रेस के भीतर और बाहर पप्पू यादव की सियासी बेचैनी चर्चा का केंद्र बनी हुई है। पप्पू यादव बीते एक साल से कांग्रेस में औपचारिक एंट्री की राह देख रहे हैं। दरअसल, लोकसभा चुनाव 2024 के ठीक पहले पप्पू यादव ने अपनी जनाधिकार पार्टी का विलय कांग्रेस में करा दिया था। लेकिन पूर्णिया लोकसभा सीट से महागठबंधन का उम्मीदवार नहीं बनाए जाने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा औऱ जीत हासिल की। इसके बाद से ही राजद और पप्पू यादव में तनातनी चल रही है। बीते दिनों राहुल गांधी के पटना दौरे पर कन्हैया कुमार और पप्पू यादव को मंच पर जगह नहीं मिलना इसका संकेत है।

कभी लालू प्रसाद यादव के करीबी रहे पप्पू यादव अब कांग्रेस के साथ नई पारी खेल रहे हैं, लेकिन बार-बार दिल्ली में कांग्रेस दफ्तर की दौड़ और महागठबंधन में उनकी अनिश्चित भूमिका सवाल खड़े कर रही है।

क्यों है सीमांचल महत्वपूर्ण

बिहार की राजनीति में सीमांचल कितना खास रहा है,  इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले लोकसभा चुनाव में पूरे बिहार में चुनावी प्रचार का आगाज खुद गृहमंत्री ने पूर्णिया से ही किया था। इसके अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इसी जगह से शुरुआत की थी। वहीं इससे पहले जब जब नीतीश कुमार ने एनडीए का साथ छोड़ा था तब उन्होंने तेजस्वी यादव के साथ महागठबंधन के अन्य नेताओं के साथ पूर्णिया में ही मीटिंग की थी। इस इलाके में एआइएमआइएम भी अपनी पकड़ को मजबूत बनाने में लगी हुई है। वहीं रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर भी इस इलाके पर विशेष रूप से फोकस किए हुए हैं। वे हाल ही में बदलाव यात्रा के सिलसिले में पूर्णिया आए थे। यही नहीं, उनकी पार्टी जनसुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी पूर्णिया से ही हैं।

दूसरी ओर कांग्रेस नेताओं का ध्यान सीमांचल पर खास बना हुआ है। उनके दो सांसद इस इलाके से आते हैं। किशनगंज और कटिहार लोकसभा क्षेत्र फिलहाल कांग्रेस की झोली में है। इन इलाकों में कांग्रेस की खास दखल है। वहीं भाजपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल सीमांचल से आते हैं। किशनगंज में उनका मेडिकल कॉलेज फिलहाल बिहार क राजनीति में हॉट केक बना हुआ है।

इन सभी राजनीतिक गुणा गणित को देखते हुए सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि सीमांचल को लेकर राजनीतिक दल कितने गंभीर हैं। ऐसे में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी जब सीमांचल के इलाके में कदम रखेंगे तो एक सुगबूगाहट तो कांग्रेस के भीतर भी होगी कि क्या देश की सबसे पुरानी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में खुद को इन इलाकों में मजबूत कर पाएगी, अपने दमखम पर?