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बिहार के पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र के सांसद राजेश रंजन ऊर्फ पप्पू यादव अपने बयानों और कामकाज को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। आप यह भी कह सकते हैं कि उन्हें मीडिया में बने रहना पसंद है।
बुधवार को जब इंडिया गठबंधन के आह्वान पर बंद का समर्थन करने कांग्रेस के सबसे बड़े नेता राहुल गांधी पटना आए थे तो खबरों में राहुल गांधी से अधिक फुटेज जिस नेता को मिला वह पप्पू यादव ही थे।
इसके पीछे की कहानी पर आने से पहले यह लिख देना जरूरी है कि पप्पू यादव निर्दलीय सांसद हैं लेकिन वह झंडा कांग्रेस का उठाते हैं।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव से पहले पप्पू यादव ने अपनी पार्टी जनअधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय करवा दिया था। कांग्रेस में पप्पू यादव की फजीहत की कहानी उसी दिन शुरू हो गयी थी, जब वे अपने बेटे सार्थक रंजन के साथ कांग्रेस पार्टी में शामिल होने का ऐलान कर रहे थे, तो उसी दिन उन्हें फटकार लगी। पप्पू यादव के समर्थक उस पार्टी में उनके जिंदाबाद का नारा लगा रहे थे। कांग्रेस के तत्कालीन बिहार प्रभारी मोहन प्रकाश ने उन्हें जमकर फटकार लगायी थी। मोहन प्रकाश ने कहा था- ‘कांग्रेस में ये सब नहीं चलता है’, उस वक्त पप्पू यादव के हाव भाव देखने लायक थे।
कांग्रेस पार्टी ने नियम बना रखा है कि दूसरी पार्टी का कोई दूसरा नेता भले ही दिल्ली आकर कांग्रेस में शामिल होने का ऐलान कर दे, लेकिन पार्टी की सदस्यता उन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में जाकर ही लेनी होगी। पप्पू यादव ने पिछले साल भले ही दिल्ली में कांग्रेस में शामिल होने का ऐलान कर दिया था, लेकिन उन्हें बिहार कांग्रेस कमेटी के दफ्तर सदाकत आश्रम में पहुंच कर सदस्यता लेनी थी। दिल्ली से लौटकर उन्होंने बिहार कांग्रेस के कार्यालय में जाने की भरपूर कोशिश की। लेकिन तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने पप्पू यादव की ‘एंट्री पर ही बैन’ लगा दिया। लिहाजा, पप्पू यादव औपचारिक तौर पर कांग्रेस के सदस्य तक नहीं बन सके।
हालांकि कांग्रेस में तथाकथित तौर पर शामिल होने के बावजूद लोकसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस का सिंबल नहीं मिला। लेकिन उन्होंने पूर्णिया से अपने बूते जीत दर्ज की।
पप्पू यादव आज भी कांग्रेस की जयकारा लगाते हैं लेकिन कांग्रेस के सर्वेसर्वा राहुल गांधी जब भी पटना आते हैं तो पप्पू यादव की उनसे मुलाकात नहीं हो पाती है। बुधवार 9 जुलाई को भी ऐसा ही कुछ हुआ।
कांग्रेस के लोगों ने पूर्णिया के सांसद को राहुल गांधी के पास पहुंचने ही नहीं दिया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है और इसके बाद तो पप्पू यादव हर चैनल पर अपनी बात रखते दिख गए।
बुधवार को पटना के आयकर गोलंबर पर जिस खुले ट्रक पर राहुल गांधी सवार हुए थे, उस पर पप्पू यादव ने चढ़ने की कोशिश भी की लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें रोक दिया। पप्पू यादव को रोकने के बाद प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार, शकील अहमद खान समेत तीन लोगों को राहुल गांधी के ट्रक पर चढ़वाया गया।
हालांकि पप्पू यादव अच्छी खासी भीड़ के साथ आए हुए थे। कुछ ऐसा ही हाल कांग्रेस युवा नेता कन्हैया कुमार के साथ भी हुआ।
राजनीतिक गलियारों से लेकर सोशल मीडिया स्पेस पर इस बात को लेकर चर्चा है कि राष्ट्रीय जनता दल के नेता और लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव नहीं चाहते हैं कि पप्पू यादव को पॉलिटिकल फेम मिले। वैसे यह सच है कि तेजस्वी पूर्णिया के सासंद को लेकर कभी सहज नहीं हुए हैं।
राजनीति के जानकार मानते हैं कि यह घटना 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता के लिए खतरे की घंटी है। पप्पू यादव का कांग्रेस में तथाकथित विलय और उनका कोसी-सीमांचल में प्रभाव राजद के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है।
अगर पप्पू कांग्रेस के टिकट पर अधिक सीटों की मांग करते हैं तो महागठबंधन में दरार पड़ सकती है। वहीं, तेजस्वी का मुस्लिम-यादव समीकरण अब भी लालू की बनाई पार्टी की ताकत है, लेकिन सीमांचल में पप्पू का जनाधार इसे कमजोर कर सकता है।
आप यदि गौर करेंगे तो देखेंगे कि पप्पू यादव वाली घटना पर सबसे अधिक भाजपा नेता बयानबाजी कर रहे हैं। लोगबाग का मानना है कि इस टकराव का फायदा भाजपा उठा सकती है, खासकर अगर पप्पू तीसरे मोर्चे की ओर बढ़े।
बहरहाल, भारत बंद का मंच मीडिया के जरिए तेजस्वी और पप्पू की अदावत का स्टेज बन गया है। एक समाचार चैनल के साथ बातचीत में तो पप्पू यादव ने साफ कह दिया कि “तेजस्वी यादव मुझे रोकने वाले कौन होते हैं, जब हम विधायक बने थे तब तेजस्वी पैदा भी नहीं हुए थे।”
दरअसल यह सिर्फ दो लोगों की व्यक्तिगत खुन्नस नहीं, बल्कि यादव नेतृत्व और सियासी वर्चस्व की लड़ाई है। वैसे भी बिहार में लालू यादव के बिना कांग्रेस कुछ भी नहीं करती है। वह पूरी तरह से लालू के सामने बेबस रही है।
ऐसे में तेजस्वी का लालू की विरासत को संभालने का दबाव और पप्पू का जनाधार बिहार की सियासत को नया मोड़ दे सकता है।
पप्पू यादव ने पूरे घटनाक्रम पर सफाई देते हुए समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, “हम गिर गए, हमको मंच पर चढ़ने नहीं दिया गया, मुझे चोट लग गई। यह सब कोई मुद्दा है। हमारे नेता मंच पर थे। ये कोई मुद्दा है? यह कोई स्वाभिमान और अभिमान की लड़ाई नहीं है। पूरी दुनिया मुझे प्यार करती है। मैं बिहार का बेटा हूं। मुझे और किसी चीज से क्या करना है? हम गरीबों के दिल में हैं और हम गरीबों को भगवान मानने के लिए पैदा ही हुए हैं।”
पप्पू यादव ने कहा कि दुनिया हमें प्यार करती है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को लेकर हमने प्रदर्शन किया। पप्पू यादव ने कहा कि हमें किसी से कोई लेना देना नहीं है, हम गरीबों के दिल में हैं और हम बिहार के बेटे हैं।
पप्पू यादव ने कहा, “क्या राम का अपमान नहीं हुआ? क्या शिव को ज़हर नहीं दिया गया? क्या बुद्ध को पत्थर नहीं मारा गया? क्या हज़रत और मोहम्मद साहब को यातना नहीं दी गई? क्या महावीर को यातना नहीं दी गई? हमारा उद्देश्य चुनाव आयोग को बचाना और बिहार को इस हमले से बचाना है। या तो हम जिएंगे, या मरेंगे।”
बुधवार की घटना को लेकर पप्पू यादव भले जो सफाई दें लेकिन सब खुलकर कहने लगे हैं कि पप्पू यादव और कन्हैया कुमार की बेइज्जती हुई है। हालांकि पहले दिन से ही कांग्रेस में पप्पू अपनी हर बेइज्जती बर्दाश्त करते रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की नजरें उन पर पड़ेंगी, लेकिन सवाल ये है कि क्या कांग्रेस तेजस्वी यादव की नाराजगी मोलकर पप्पू यादव को भाव देगी।