जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला अपने बयान को लेकर सुर्खियों में हैं।शनिवार को उन्होंने श्रीनगर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिल्ली और नौगाम धमाकों पर चिंता जाहिर की। फारूक अब्दुल्ला ने ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे कुछ हासिल नहीं हुआ। हमारे 18 लोग मारे गए और सीमाएं असुरक्षित हो गईं। आगे ऐसी कोई स्थिति न बने, इसकी उम्मीद है।
फारूक ने कहा कि दोनों देशों के रिश्ते में सुधार ही समाधान है। जैसा वाजपेयी जी ने कहा था, दोस्त बदले जा सकते हैं, पड़ोसी नहीं। दिल्ली धमाके के बाद कश्मीरियों पर लग रहे आरोपों को लेकर उन्होंने नाराजगी जताई।
उन्होंने कहा कि हर कश्मीरी पर उंगलियां उठाई जा रही हैं। वो दिन कब आएगा जब वे मानेंगे कि हम हिंदुस्तानी हैं। हम इसके जिम्मेदार नहीं हैं। जो जिम्मेदार हैं, उनसे पूछिए कि इन डॉक्टरों को ये रास्ता क्यों अपनाना पड़ा? क्या वजह थी? इसकी गहन जांच और अध्ययन की जरूरत है।
श्रीनगर के नौगाम थाने में विस्फोटक सामग्री हैंडलिंग के दौरान हुए धमाके पर भी उन्होंने प्रशासन पर सवाल उठाए। फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “यह हमारी गलती है, जो लोग इस विस्फोटक को बेहतर समझते हैं, उन्हें हैंडल करना जानते हैं, हमें पहले उनसे बात करनी चाहिए थी। बजाय इसके कि खुद उन चीजों में दखल करें, जिसके बारे में पता नहीं है। आपने नतीजा देखा, 9 लोगों की जान चली गई। वहां घरों को कितना नुकसान हुआ।”
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि इन घटनाओं की निष्पक्ष और गहन जांच जरूरी है ताकि यह पता चल सके कि चूक कहां हुई और भविष्य में ऐसी घटनाओं को कैसे रोका जा सकता है।
14 नवंबर को नौगाम थाने में विस्फोटक में हुआ था धमाका
दिल्ली बम विस्फोट मामले में हरियाणा के फरीदाबाद से जब्त किए गए 360 किलोग्राम विस्फोटक में 14 नवंबर की देर रात कश्मीर के नौगाम थाने में धमाका हो हुआ था। हादसे में 3 फोरेंसिक विशेषज्ञ, एसआईए के एक इंस्पेक्टर, नायब तहसीलदार, दो पुलिस फोटोग्राफर और तीन स्थानीय लोगों की मौत हो गई। 32 लोग घायल हैं, जिनमें 27 पुलिसकर्मी शामिल हैं। धमाका इतना शक्तिशाली था कि थाने की इमारत बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई, खिड़कियां 800 मीटर दूर तक टूट गईं और शवों के हिस्से 100 मीटर तक बिखर गए।
अधिकारियों ने बताया कि यह कोई आतंकी हमला नहीं बल्कि जांच के दौरान हुआ हादसा था। इस विस्फोटक में अमोनियम नाइट्रेट, पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर मिला था। फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर और आतंकी डॉ. मुजम्मिल से यह सामग्री पिछले सप्ताह बरामद की गई थी। नौगाम थाने में इस केस की पहली एफआईआर दर्ज होने के कारण विस्फोटक वहीं लाया गया था।
उधर, दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए धमाके में 13 लोगों की मौत के बाद जांच की दिशा सीधे अल फलाह यूनिवर्सिटी तक पहुंची है। यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाला आतंकी डॉ. उमर मोहम्मद नबी विस्फोटक वाली कार चला रहा था और ब्लास्ट में उसकी भी मौत हो गई। अब तक यूनिवर्सिटी से जुड़े दो डॉक्टरों सहित तीन लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। देशभर में करीब 15 डॉक्टरों को हिरासत में लिया गया है। कई मेडिकल प्रोफेशनल्स की आतंकी साजिशों में संलिप्तता सामने आने के बाद एजेंसियों ने अपनी कार्रवाई और तेज कर दी है।

