नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता को लेकर फिर से चिंताएं बढ़ने लगी हैं। सोमवार सुप्रीम कोर्ट में बताया गया कि दीवाली के दिन 37 में से सिर्फ 9 वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग स्टेशन ही काम कर रहे थे।
न्याय मित्र (amicus curiae) अपराजिता सिंह ने अदालत में कहा कि कई मॉनिटरिंग स्टेशन बंद पड़े हैं, जिससे प्रदूषण के स्तर पर सही निगरानी नहीं हो पा रही। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) और सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) को तत्काल निर्देश दिए जाएं कि वे प्रदूषण बढ़ने से पहले ही ठोस कदम उठाएं।
अपराजिता सिंह ने सवाल उठाया कि जब कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट के पास प्रदूषण के सही आंकड़े ही नहीं हैं, तो वह दिल्ली की वायु गुणवत्ता सुधारने के अपने दायित्व को कैसे पूरा करेगा। उन्होंने कहा कि हम यह भी नहीं जान पा रहे कि ग्रैप कब लागू करना है। दीवाली पर 37 में से सिर्फ 9 स्टेशन चल रहे थे, बाकी सब बंद थे। तो फिर योजना लागू करने का आधार क्या होगा?
अदालत ने CAQM और CPCB से मांगी रिपोर्ट
निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अगुवाई वाली पीठ ने इस पर कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट और सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड दोनों को फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने दोनों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा कि 14 से 25 अक्टूबर के बीच हर दिन की वायु गुणवत्ता का रिकॉर्ड रखकर अदालत को बताया जाए कि हालात सुधारने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की क्षेत्रीय इकाइयां रेत और पानी के नमूने लेकर विश्लेषण करें।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 14 अक्टूबर को दिल्ली-एनसीआर में दीवाली पर रात 8 से 10 बजे के बीच ‘ग्रीन पटाखे’ चलाने की अनुमति दी थी। लेकिन पटाखेबाजी देर रात तक जारी रही। दिल्ली में वायु प्रदूषण का यह स्तर पिछले तीन वर्षों में सबसे खराब बताया गया।
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एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, दीवाली के अगले दिन दिल्ली का औसत पीएम2.5 स्तर 488 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज हुआ, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की सीमा से करीब 100 गुना ज्यादा है। प्रदूषण का स्तर दिवाली से पहले की तुलना में 212 प्रतिशत तक बढ़ गया। जबकि पराली जलाने की घटनाएं इस बार 77.5 प्रतिशत कम दर्ज की गईं।
दिल्ली में हर साल दिवाली के बाद प्रदूषण की यह स्थिति दोहराई जाती है। अदालत ने कहा कि यह सिर्फ मौसमी बहस नहीं, बल्कि जनता के जीवन से जुड़ा गंभीर मुद्दा है। अदालत ने साफ किया कि अब प्रदूषण बढ़ने के बाद नहीं, बल्कि पहले ही कदम उठाने होंगे।
दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में ‘गंभीर’ स्तर का प्रदूषण
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण सोमवार फिर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली के 39 निगरानी केंद्रों में से केवल सात ही ऐसे हैं जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक खतरे के निशान से नीचे है। बाकी सभी इलाकों में हवा ‘बेहद खराब’ से लेकर ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज की गई है।
राजधानी के कई प्रमुख इलाकों में हवा का स्तर लगातार बिगड़ता जा रहा है। आर.के.पुरम (335), रोहिणी (352), सोनिया विहार (350), वजीरपुर (377) और विवेक विहार (373) जैसे क्षेत्रों में एक्यूआई 300 से ऊपर दर्ज हुआ है, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। सिरिफोर्ट (338), शादिपुर (330) और पूसा (333) में भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ स्तर पर बनी हुई है।
दिल्ली से सटे इलाकों में भी स्थिति बेहतर नहीं है। नोएडा के सेक्टर-62 में AQI 304, सेक्टर-116 में 306 और सेक्टर-125 में 299 दर्ज किया गया — जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में हैं। गाजियाबाद में स्थिति और भी चिंताजनक है, जहां लोनी में एक्यूआई 344 और वसुंधरा में 358 रहा, दोनों ‘गंभीर’ श्रेणी में शामिल हैं।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ऐसे प्रदूषण स्तर में लंबे समय तक रहने से सांस संबंधी बीमारियां, अस्थमा, आंखों में जलन और सिरदर्द जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। डॉक्टरों ने खासकर बुजुर्गों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को सतर्क रहने की सलाह दी है।
स्मॉग के कारण दृश्यता में भी भारी गिरावट आई है। सुबह और शाम के समय राजधानी की सड़कों पर धुंध की परत छाई रहती है, जिससे वाहन चालकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों में हालात में सुधार की संभावना कम है। हवा की गति धीमी है और तापमान में गिरावट के चलते प्रदूषक कण वातावरण में फंसे हुए हैं। इसी कारण प्रदूषण के स्तर में कमी आने की संभावना फिलहाल नहीं दिख रही।
सरकार और पर्यावरण विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे निजी वाहनों का कम इस्तेमाल करें, कार पूल या सार्वजनिक परिवहन का सहारा लें और निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के उपायों का कड़ाई से पालन करें।

