सनाः भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के भाग्य पर अनिश्चितता के बीच गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया कि यमन में मौत की सजा पाए दोषी की फांसी पर रोक लगा दी गई है और कोई प्रतिकूल घटना नहीं हो रही है।
केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ को बताया कि इस मामले में एक नया मध्यस्थ आ गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान क्या पूछा?
निमिषा प्रिया मामले में सुनवाई के दौरान पीठ ने पूछा – “फांसी का क्या हुआ?”
इस मामले में याचिकाकर्ता संगठन ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ के वकील ने कहा कि फिलहाल फांसी पर रोक लगा दी गई है। यह संगठन प्रिया को कानूनी सहायता प्रदान कर रहा है।
आर.वेंकटरमणि ने कहा, “एक नया मध्यस्थ सामने आया है।” उन्होंने आगे कहा, “एकमात्र अच्छी बात यह है कि कुछ भी प्रतिकूल नहीं हो रहा है।”
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मामले को स्थगित किया जा सकता है।
पीठ ने आगे कहा, “जनवरी 2026 में सूचीबद्ध करें। यदि स्थिति की मांग होगी तो पक्षकारों के लिए शीघ्र सूचीबद्धता के लिए आवेदन करना खुला रहेगा।”
निमिषा प्रिया मामले में सुप्रीम कोर्ट कर रही थी सुनवाई
दरअसल शीर्ष अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें 38 वर्षीय नर्स को बचाने के लिए राजनयिक माध्यमों का उपयोग करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई थी, जिसे 2017 में अपने यमनी व्यापारिक साझेदार की हत्या का दोषी ठहराया गया था।
बीती 14 अगस्त को याचिकाकर्ता संगठन के वकील ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि प्रिया को “कोई तत्काल खतरा” नहीं है। इससे पहले शीर्ष अदालत को बताया गया था कि प्रिया की 16 जुलाई को होने वाली फांसी पर रोक लगा दी गई है। वहीं, 18 जुलाई को केंद्र ने अदालत को सूचित किया था कि प्रिया की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करने के लिए प्रयास जारी हैं और सरकार हर संभव प्रयास कर रही है।
इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील ने पहले कहा था कि प्रिया की माँ पीड़ित परिवार से बातचीत करने के लिए यमन में थीं और दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा केंद्र से उन्हें यात्रा की अनुमति देने के अनुरोध के बाद वह वहाँ गई हैं।
गौरतलब है कि निमिषा प्रिया को 2017 में दोषी ठहराया गया। 2020 में उसे मौत की सजा सुनाई गई और 2023 में उनकी अंतिम अपील खारिज कर दी गई। केरल के पलक्कड़ की रहने वाली नर्स यमन की राजधानी सना की एक जेल में कैद है।
याचिकाकर्ता के वकील ने पहले शीर्ष अदालत को बताया था कि शरिया कानून के तहत मृतक के परिवार को ब्लड मनी के भुगतान पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा था कि अगर ब्लड मनी का भुगतान किया जाता है तो पीड़ित का परिवार प्रिया को माफ कर सकता है। ब्लड मनी पीड़ित परिवार को दिया जाने वाला मुआवजा होता है।
इस साल 17 जुलाई को भारत ने कहा था कि वह इस मामले में “पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान” तक पहुँचने के प्रयासों के तहत यमन के अधिकारियों के साथ-साथ कुछ मित्र देशों के संपर्क में है।