Thursday, October 16, 2025
Homeविश्वनेपाल में 'Gen z' के विरोध प्रदर्शन के बाद सोशल मीडिया पर...

नेपाल में ‘Gen z’ के विरोध प्रदर्शन के बाद सोशल मीडिया पर लगा बैन हटा, कई इलाकों में अनिश्तिकालीन कर्फ्यू

नेपाल की कैबिनेट के प्रवक्ता और संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को यह जानकारी दी। गुरुंग ने बताया कि नेपाल सरकार ने पिछले हफ्ते लगाए गए सोशल मीडिया बैन को वापस ले लिया है।

Gen z protests: नेपाल सरकार ने ‘जनरेशन जी’ (Gen Z) के हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगाया गया प्रतिबंध हटा दिया है। सरकार ने यह फैसला तब लिया जब हजारों युवाओं ने सड़कों पर उतरकर सोशल मीडिया को बहाल करने और भ्रष्टाचार को खत्म करने की मांग की।

जेन जी प्रोटेस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा कि यह स्थिति सोच की अस्पष्टता और सरकार के प्रयासों को लेकर सूचना की कमी से पैदा हुई। इन प्रदर्शनों में भारी हिंसा हुई, सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा और कई लोगों की जानें गईं।

ओली ने कहा कि सरकार सोशल मीडिया के इस्तेमाल को रोकने के पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा कि हम केवल कानून और अदालत के आदेश के अनुसार सोशल मीडिया कंपनियों का पंजीकरण करना चाहते हैं। लेकिन इस मुद्दे पर गलतफहमी और सोच में अस्पष्टता के कारण यह अप्रिय स्थिति बनी। सोशल मीडिया के इस्तेमाल को रोकने की कोई मंशा नहीं है, इसलिए इसके लिए प्रदर्शन जारी रखने की जरूरत नहीं थी।

विरोध प्रदर्शनों में हुई मौतों पर दुख जताते हुए ओली ने वादा किया कि घटना की जाँच के लिए एक समिति बनाई जाएगी, जो 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। उन्होंने कहा कि मैं इस दुखद घटना में जान गंवाने वालों के परिवारों और रिश्तेदारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूँ। सरकार मृतकों के परिवारों को उचित राहत और घायलों को मुफ्त इलाज प्रदान करेगी।

बता दें ये विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण शुरू हुए थे, लेकिन बाद में हिंसक हो गए। पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से कम से कम 19 लोगों की मौत हुई और 347 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। गृहमंत्री रमेश लेखक के इस्तीफे के बाद सोमवार देर रात नेपाल सरकार ने आपात बैठक बुलाई जिसमें सरकार ने फेसबुक, व्हाट्सऐप, एक्स समेत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगी रोक हटाने का फैसला लिया।

नेपाल की कैबिनेट के प्रवक्ता और संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को यह जानकारी दी। गुरुंग ने बताया कि नेपाल सरकार ने पिछले हफ्ते लगाए गए सोशल मीडिया बैन को वापस ले लिया है।

नेपाल सरकार ने क्यों लगाया था सोशल मीडिया पर बैन

सरकार ने बताया कि यह प्रतिबंध 4 सितंबर से लागू था क्योंकि कंपनियां देश के पंजीकरण नियमों का पालन नहीं कर रही थीं। सरकार ने 4 सितंबर को फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, एक्स समेत 26 प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाया था। इसका कारण बताया गया कि ये कंपनियां नेपाल में रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाईं और फर्जी खातों से देश विरोधी गतिविधियां हो रही हैं।

सरकार ने प्रभावित कंपनियों को पंजीकरण कराने, संपर्क अधिकारी नियुक्त करने और शिकायत निवारण व अनुपालन अधिकारी नामित करने के लिए सात दिनों का समय दिया था। यह फैसला पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लिया गया था।

हालांकि, आलोचकों का मानना था कि यह कदम असहमति की आवाजों को दबाने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने का एक प्रयास था। इस प्रतिबंध को लेकर भारी आलोचना हुई थी और कई नेपाली नागरिकों ने अपनी नाराजगी व्यक्त करने के लिए टिकटॉक का सहारा लिया।

रविवार को एक बयान में सरकार ने कहा था कि वह विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करती है और उनकी सुरक्षा और बेरोकटोक उपयोग के लिए एक वातावरण बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

नेपाल में ऑनलाइन प्लेटफार्मं पर प्रतिबंध कोई नई बात नहीं है। इससे पहले सरकार ने जुलाई में ऑनलाइन धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग में वृद्धि का हवाला देते हुए टेलीग्राम मैसेजिंग ऐप को बैन कर दिया था। इसी तरह टिकटॉक पर लगा 9 महीने का बैन पिछले साल अगस्त में हटाया जब कंपनी ने नेपाली नियमों का पालन करने पर सहमति व्यक्त की।

सरकार के बैकफुट पर आने के बावजूद प्रदर्शन जारी

सरकार के फैसले के खिलाफ नेपाल में सोमवार को बड़े पैमाने पर प्रदर्शन भड़क उठे। काठमांडू और कई अन्य शहरों में सुबह शुरू हुआ विरोध दोपहर तक हिंसक हो गया। काठमांडू की सड़कों पर जगह-जगह पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं।

इन प्रदर्शनों ने तब हिंसक रूप ले लिया जब प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में घुसने की कोशिश की। इसके बाद सुरक्षा बलों ने भीड़ पर गोली चला दी और आंसू गैस के गोले छोड़े। इससे स्थिति और बिगड़ गई। इस दौरान पुलिस की गोलीबारी में 19 लोगों की मौत हो गई।

मौतों की बढ़ती संख्या और सुरक्षा बलों पर जरूरत से ज्यादा बल प्रयोग के आरोपों के बीच गृहमंत्री रमेश लेखक ने सोमवार शाम अपने पद से इस्तीफा दे दिया। कहा जा रहा है कि हाल के वर्षों में पुलिस की गोली से एक दिन में इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मौत पहली बार हुई है।

सरकार के फैसले के बावजूद मंगलवार को प्रदर्शन फिर से शुरू हो गए। प्रदर्शनकारी सिर्फ सोशल मीडिया बहाली नहीं बल्कि भ्रष्टाचार विरोधी कदम और बेहतर आर्थिक अवसरों की मांग भी कर रहे हैं। वे पीएम केपी शर्मा ओली के इस्तीफे की मांग पर भी अड़े हैं। हालांकि मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने स्पष्ट किया है कि ओली इस्तीफा नहीं देंगे।

बता दें कि इन प्रदर्शनों में सबसे ज्यादा संख्या में छात्र और युवा शामिल हैं। इसलिए इसे ‘जेन जी’ प्रोटेस्ट नाम दिया गया।

पुलिस कार्रवाई की स्वतंत्र जांच की मांग, कई इलाकों में कर्फ्यू

हिंसा और मौतों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने कहा कि प्रदर्शनकारियों के मारे जाने और घायल होने की घटनाएं बेहद चिंताजनक हैं और इसकी तुरंत पारदर्शी व स्वतंत्र जांच होनी चाहिए। आयोग ने नेपाल सरकार से सोशल मीडिया पर लगी पाबंदी पर फिर से विचार करने की भी अपील की।

इंटरनेशनल एमनेस्टी ने भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाई जा रही रोक और बल प्रयोग की निंदा की है। संस्था ने तनाव कम करने और प्रदर्शनकारियों पर सख्ती बंद करने की मांग की।

स्थिति बिगड़ने के बाद सरकार ने काठमांडू की सड़कों पर सैना की तैनाती कर दी है।काठमांडू के तीन जिलों के कई इलाकों में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दी गई है। वहीं इटाहारी और सुनसरी में भी अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया है।

हालात को देखते हुए मंगलवार को पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। हर संवेदनशील स्थान पर बड़ी संख्या में पुलिसबलों को तैनात किया गया है, जो हर गतिविधि पर नजर रखे हुए हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति पैदा नहीं हो।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सोमवार को जिस जगह से पथराव किया गया था, उस जगह को पूरी तरह बंद कर दिया गया है और वहां पर बड़ी संख्या में पुलिसबलों को तैनात कर दिया गया है। इन जगहों पर लोगों के आने-जाने पर भी पाबंदी लगा दी है।

इसके साथ ही, दुकानों को भी बंद करने का आदेश दिया गया है। सभी हिंसाग्रस्त इलाकों में दुकानें बंद हैं। पुलिस यह सुनिश्चित कर रही है कि कोई भी प्रशासन की ओर से जारी किए गए निर्देशों की अवहेलना न करे। पुलिस ने सड़क पर पड़े सभी पत्थर हटा दिए हैं, ताकि किसी भी प्रकार से स्थिति तनावग्रस्त नहीं हो।

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.com
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

डॉ उर्वशी on कहानीः इरेज़र
मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा