काठमांडूः नेपाल में बीते दिनों हुए जेन-जी के हिंसक प्रदर्शनों के दो महीने बाद एक बार फिर से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। इसके चलते गुरुवार, 20 नवंबर को बारा जिले में तनाव बढ़ गया और कर्फ्यू लगाना पड़ा।
इन प्रदर्शनों का मुख्य कारण जेन-जी प्रदर्शनकारियों और पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के समर्थकों के बीच नए सिरे का टकराव है।
जिला प्रशासन ने कर्फ्यू का दिया आदेश
इस बीच जिला प्रशासन कार्यालय ने स्थानीय समयानुसार दोपहर 1 बजे से रात 8 बजे तक प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया। इसका कारण युवाओं द्वारा संचालित आंदोलन की तीव्रता के बीच सार्वजनिक सुरक्षा को लेकर चिंता का हवाला दिया गया।
यह अशांति बुधवार, 19 नवंबर को सिमारा में शुरू हुई, जहां विरोध प्रदर्शन के दौरान युवा प्रदर्शनकारियों की सीपीएन-यूएमएल कार्यकर्ताओं के साथ झड़प हो गई।
इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, इस टकराव में कथित तौर पर लगभग एक दर्जन सीपीएन-यूएमएल कार्यकर्ताओं के शामिल होने के बावजूद, पुलिस ने केवल दो व्यक्तियों को हिरासत में लिया, जिससे जेन-जी कार्यकर्ताओं में निराशा बढ़ गई है।
ऐसे में जेन-जी आंदोलन जो मुख्यतः स्थापित राजनीतिक ताकतों के प्रति बढ़ते असंतोष का प्रतीक है। उसका विस्तार हो गया है क्योंकि वे कानून प्रवर्तन एजेंसियों से जवाबदेही और सख्त रुख की मांग कर रहे हैं।
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इसका तात्कालिक विवाद तब और बढ़ गया जब यह खबर फैली कि सीपीएन-यूएमएल महासचिव शंकर पोखरेल और महेश बसनेत सरकार विरोधी रैली के लिए काठमांडू से सिमारा जा रहे हैं।
जैसे ही बुद्ध एयर का उनका विमान उड़ान भरने के लिए तैयार हुआ, प्रदर्शनकारियों ने हवाई अड्डे पर धावा बोल दिया और वहां पहुंचे यूएमएल समर्थकों से भिड़ गए। यह टकराव तेजी से बढ़ गया जिसके बाद अधिकारियों को स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए हवाई अड्डा क्षेत्र सहित आसपास के क्षेत्रों में कर्फ्यू लागू करना पड़ा।
सितंबर में हुआ था जेन-जी प्रदर्शन
बारा जिले के धर्मेंद्र कुमार मिश्रा ने जोर देकर कहा कि अस्थायी कर्फ्यू का उद्देश्य तनाव को और बढ़ने से रोकना और शांति स्थापित करना है। हालांकि बार-बार हो रही झड़पें गहराते राजनीतिक परिदृश्य और नेपाल की युवा पीढ़ी के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करती हैं। युवा नई राजनैतिक दिशा की मांग कर रहे हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले सितंबर में नेपाल के युवाओं ने विरोध प्रदर्शन किया था जिसे जेन-जी प्रदर्शन कहा गया था। ये प्रदर्शन कथित तौर पर देश में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के बाद शुरू हुए थे जिसके बाद केपी शर्मा ओली की सरकार को इस्तीफा देना पड़ा था। 8 सितंबर को नेपाल में जेन-जी के नेतृत्व में एक बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ, इसमें भ्रष्टाचार और असमानता को लेकर सालों का गुस्सा उभरा।
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इन प्रदर्शनों में प्रदर्शनकारियों की पुलिस से भी झड़प हुई थी जिसमें कम से कम 51 लोग मारे गए थे और 1300 लोग घायल हुए। इसके बाद केपी शर्मा ओली और सरकार को इस्तीफा देना पड़ा।
इसके कुछ दिनों बाद सुशीला कार्की को देश की अंतरिम नेता चुनी गईं। इस पद पर रहने वाली वह देश की पहली महिला हैं।

